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अब तक नहीं मिली सैलरी और पेंशन… हिमाचल में क्यों गहराया आर्थिक संकट?

हिमाचल प्रदेश में बड़ा वित्तीय संकट गहराया हुआ है. पिछले महीने सैलरी सरकारी कर्मचारियों और पेंशन धारकों के बैंक अकाउंट में अब तक क्रेडिट नहीं हुई है. कहा जा रहा है कि पहली बार सरकारी कर्मचारियों का वेतन रुका है. वहीं, मुख्यमंत्री और मंत्री दो महीने देरी से अपना वेतन लेंगे. कहा जा रहा है कि सरकारी कर्मचारियों को 10 सितंबर तक सैलरी दी जाएगी.

केंद्र सरकार से राजस्व घाटा अनुदान के 490 करोड़ रुपए मिलने के बाद ही वेतन और पेंशन का भुगतान होगा. हालांकि बिजली बोर्ड के कर्मचारियों और पेंशनरों को वेतन व पेंशन दे दी गई है. सरकार की ओर से मुख्यमंत्री, मंत्री, मुख्य संसदीय सचिव, कैबिनेट दर्जा प्राप्त सलाहकारों व सार्वजनिक उपक्रमों के अध्यक्ष-उपाध्यक्षों का वेतन व भत्ते भी अगले दो माह की देरी से देने का फैसला किया गया है.

हिमाचल प्रदेश में सैलरी संकट क्यों पैदा हुआ?

राज्य सरकार भले ही प्राकृतिक आपदाओं और बाकी आर्थिक चुनौतियों का हवाला दे रही है, मगर असल वजह आपको समझाते हैं. हिमाचल पर अभी 86 हजार करोड़ से ज्यादा का कर्ज है. प्रति नागरिक औसत कर्ज 1 लाख 19 हजार रुपए है, जोकि अरुणाचल के बाद देश में सबसे ज्यादा है. सरकार के बजट का ज्यादातर हिस्सा, सैलरी-पेंशन और कर्ज अदायगी पर खर्च हो जाता है यानी 58 हजार 444 करोड़ में से 42 हजार करोड़ से ज्यादा इसी मद में खर्च होते हैं. सरकार पर कर्मचारियों और पेंशन भोगियों का 10 हजार करोड़ से ज्यादा का बकाया है.

अब कर्ज की वजह समझिए

  • मुफ्त की योजनाएं जैसे 350 यूनिट मुफ्त बिजली, जिससे 18000 करोड़ के बोझ का अनुमान है.
  • महिलाओं को 1500 रुपए हर महीने मदद. इससे भी सरकारी खजाने पर खासा बोझ पड़ेगा.
  • ओवरड्राफ्ट लिमिट में कमी. रेवेन्यू डेफिसिट ग्रांट भी कम हो गई है यानी सरकार से मिलने वाली मदद. लोन की लिमिट भी सरकार अधिकतर इस्तेमाल कर चुकी है.
  • GST रिइंबर्समेंट बंद हो चुका है. वाटर सेस को कोर्ट असंवैधानिक बता चुका है इससे भी करीब 4000 करोड़ की आमदनी बंद हो गई, तो वहीं आपदा भी एक वजह है.

क्या है हिमाचल सरकार के पास विकल्प

सैलरी देने का पहला विकल्प है लोन लिमिट पूरी खर्च कर दी जाए, लेकिन ये विकल्प सरकार इस्तेमाल नहीं करना चाहेगी क्योंकि आपातकाल में इसकी जरूरत पड़ सकती है. दूसरा विकल्प है, ओवरड्राफ्ट अकाउंट से पैसे दे दिए जाएं, लेकिन उसमें इतने पैसे नहीं हैं. तीसरा विकल्प, 5 सितंबर तक केंद्र से मिलने वाला रेवेन्यू डेफिसिट ग्रांट जो 6 हजार करोड़ से ज्यादा है, तो सरकार इसमें से सैलरी दे सकती है.

हिमाचल प्रदेश के सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा था कि मंत्रिमंडल में चर्चा करने के बाद सभी मंत्रिमंडल के सदस्यों ने ये तय किया है कि अगले 2 महीने तक ना सैलरी लेंगे, ना TA लेंगे, ना DA लेंगे. यही अनुरोध मैंने अपने CPS साथियों से किया है. उन्होंने कहा भी कहा है कि 2 महीने तक वे भी नहीं लेंगे.

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