भोपाल। जिले में भूमि का सीमांकन करने के लिए प्रशासन के पास लगभग 30 मशीनें हैं, लेकिन इनका उपयोग कभी भी राजस्व निरीक्षकों (आरआई) और पटवारियों द्वारा नहीं किया जाता है। जब भी सीमांकन किया जाता है तो जिम्मेदार अधिकारी निजी सर्वेयर के भरोसे ही रहते हैं। यह सर्वेयर प्रति एकड़ का सीमांकन करने के लिए 10 हजार रुपये तक लेते हैं। जबकि शासकीय मशीनों से सीमांकन के बदले किसानों को किसी भी तरह की अतिरिक्त शुल्क नहीं देना पड़ता है। इसको लेकर पिछले दिनों किसान संघ ने कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह के समक्ष आपत्ति भी दर्ज कराई थी।
जिले की कोलार, बैरसिया और हुजूर तहसील में सबसे अधिक कृषि भूमि हैं। इस वजह से इन्हीं तहसीलों में सीमांकन के प्रतिदिन 100 से अधिक प्रकरण आते हैं। जिनका आवेदन लोकसेवा केंद्र के माध्यम से जमा किया जाता है। यहां आवेदन देने के बाद करीब एक से दो महीने सीमांकन कराने में लगा दिए जाते हैं। यह प्रक्रिया तहसील स्तर से आरआई व पटवारियों द्वारा की जाती है।
सूत्र बताते हैं कि जमीनों का सीमांकन करने वाले निजी सर्वेयरों की अधिकारियों से मिलीभगत है। जैसे ही किसान सीमांकन कराने का आवेदन करता है तो आरआई, पटवारी निजी सर्वेयर के यहां बैठकर पूरा नक्शा जमाते हैं। इसके बाद उसी आधार पर मौके पर जमीन का सीमांकन किया जाता है। जिसमें गड़बड़ी मिलने पर विवाद की स्थिति बनती है।
जब भी किसान द्वारा शासकीय मशीनों से सीमांकन कराने की मांग की जाती है तो आरआई, पटवारी द्वारा इन्कार कर दिया जाता है। वहीं, अधिक बार मांग करने या फिर कलेक्टर से शिकायत करने पर इन मशीनों को खराब बता दिया जाता है। ऐसे में सीमांकन में शासकीय मशीनों का उपयोग ही नहीं हो पाता है।
जिले में किसानों की जमीनों का सीमांकन निजी सर्वेयर द्वारा आरआईं, पटवारी करवाते हैं। जबकि प्रशासन के पास 30 से अधिक मशीनें मौजूद हैं, जिन्हें अधिकारी खराब बताते हैं।
– राहुल धूत, नेता, किसान संघ
शासकीय मशीनों के बारे में अधिकारियों से जानकारी ली गई है। इन्हें सीमांकन के लिए उपयोग करने के निर्देश दिए गए हैं, जिससे बिना किसी विवाद के कार्रवाई पूरी हो सके।
– कौशलेंद्र विक्रम सिंह, कलेक्टर