देश का आम बजट 1 फरवरी को पेश होने वाला है. इस बजट से हर वर्ग के लोगों उम्मीदें है. ऐसे में यह कयास लगाया जा रहा है कि यह बजट किसान फ्रेंडली होगा. किसान देश के कुल GDP में 15 फीसदी से ज्यादा योगदान देता है. यह 45 फीसदी से अधिक भारतीयों को रोजगार भी देता है. भारत के कृषि क्षेत्र ने पिछले पांच सालों में 4.18 फीसदी की औसत सालाना बढ़ोतरी दर हासिल की है. आंकड़े पहली नजर में भारतीय कृषि के लिए अच्छे नजर आते हैं. इस बार का बजट किसानों की किस्मत बदलने वाली बजट साबित हो सकता है.
संख्या में इजाफा
भारत के कृषि क्षेत्र में लगातार संकट गहरा रहा है. 2020-2022 के दौरान भारत में किसानों की संख्या में 56 मिलियन का इजाफा हुआ है. इसके बावजूद उन्हें खेती से बाहर अन्य प्रोडक्शन फील्ड में जाने के ज्यादा अवसर नहीं मिले. इस बदलाव से यह जरूरी हो गया है कि सरकार कृषि क्षेत्र की प्रोडक्शन और डेवलपमेंट के लिए ठोस कदम उठाए.
किसानों की मांग
किसानों ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से कई अहम मांगें रखीं हैं. इसमें एग्रीकल्चर लोन पर ब्याज दरों में कमी करने की मांग है. लोन पर ब्याज दर 1 फीसदी तक कम की जाए. PM-KISAN में सालाना किस्त को 6,000 रुपये से बढ़ाकर 12,000 रुपये किया जाए. छोटे किसानों के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत शून्य प्रीमियम पर बीमा किया जाए. बीज, कृषि मशीनरी और उर्वरकों पर GST को कम किया जाए. PHD चैम्बर ऑफ कॉमर्स ने कीटनाशकों पर GST को 18 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी करने की सिफारिश की है.
अर्थव्यवस्था को पहुंचा सकता है नुकसान
अगर किसानों के मुद्दों का हल समय रहते नहीं निकाला गया तो यह लंबे समय तक भारत की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचा सकता है. इसके कारण मोदी सरकार का 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने का सपना भी प्रभावित हो सकता है. इसी बीच सरकार ने जनवरी 2025 में डाई-अमोनियम फास्फेट (DAP) के लिए एक विशेष पैकेज की घोषणा की है. इस पैकेज के तहत DAP की कीमतों को स्थिर करने और ग्लोबल मार्केट में 3,500 रुपये प्रति टन का सब्सिडी दिया जाएगा. ऐसे में सरकार की यह कोशिश रहेगी की इन मुद्दो को इस बार के बजट में शामिल किया जाए.