रूस-यूक्रेन युद्ध ने न केवल यूक्रेन के बुनियादी ढांचे को तहस-नहस कर दिया है, बल्कि इसकी आर्थिक स्थिति भी पूरी तरह से चरमरा गई है. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस संकट का समाधान खोजने के लिए दोनों देशों से शांति वार्ता की. तब जाकर सीजफायर के एक अस्थाई समझौते पर बात बनी है.
जिसके बाद यूक्रेन के पुनर्निर्माण की चर्चा भी तेज़ हो गई है. वर्ल्ड बैंक की एक रिपोर्ट कहती है कि यूक्रेन को फिर से पटरी पर लाने के लिए लगभग 45 लाख करोड़ रुपए की जरूरत होगी. यह राशि यूक्रेन की वर्तमान आर्थिक क्षमता से तीन गुना अधिक है.लेकिन एक सवाल बार-बार उठ रहा है कि युद्ध में जो विनाश हुआ, उसकी भरपाई के लिए 45 लाख करोड़ रुपए कहां से आएंगे?
तीन साल में यूक्रेन कितना हुआ तबाह
वर्ल्ड बैंक और अन्य संस्थाओं के अनुमान के अनुसार, यूक्रेन को फिर से अपनी पूर्व स्थिति में लाने के लिए लगभग 45 लाख करोड़ रुपए की आवश्यकता होगी. यह राशि यूक्रेन की वर्तमान आर्थिक क्षमता से तीन गुना अधिक है, जिससे साफ साफ अंदाजा लगाया जा सकता है कि युद्ध के दौरान हुआ नुकसान कितना बड़ा है. यूक्रेन के ऊर्जा क्षेत्र को भारी नुकसान हुआ है. रिपोर्ट के अनुसार, रूसी हमलों की वजह से यूक्रेन के ऊर्जा क्षेत्र को पिछले एक साल में 70% अधिक नुकसान हुआ है. पिछले साल फरवरी 2024 तक यूक्रेन को 486 अरब डॉलर का नुकसान हुआ था. हालांकि एक साल की तबाही ने इसी नुकसान को 524 अरब डॉलर कर दिया है.
कहां कहां हुआ सबसे ज्यादा नुकसान?
यूक्रेन के बुनियादी ढांचे को सबसे ज्यादा नुकसान आवास, परिवहन, ऊर्जा, वाणिज्य और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में हुआ है. वर्ल्ड बैंक और अन्य रिपोर्टों के अनुसार, इस युद्ध ने न केवल फिजिकल स्टरक्चर को नुकसान पहुंचाया है, बल्कि लाखों लोगों के जीवन और उनकी कमाई पर भी गंभीर प्रभाव डाला है.
रिपोर्ट के मुताबिक, यूक्रेन के लगभग 13% घर पूरी तरह से नष्ट हो चुके हैं, जिससे करीब 25 लाख से अधिक परिवार प्रभावित हुए हैं. इसके अलावा, ऊर्जा क्षेत्र में तबाही ने देश की ऊर्जा आपूर्ति को भी गंभीर रूप से प्रभावित किया है.
यूक्रेन के विकास के लिए एक नई रणनीति
इस अस्थाई शांति समझौते के बाद, यूक्रेन के सहयोगी देशों ने एक नई रणनीति पर काम करना शुरू किया है. यूरोपीय संघ के नेताओं का मानना है कि रूस की 25 लाख करोड़ रुपए की जब्त की गई संपत्तियों का इस्तेमाल यूक्रेन के पुनर्निर्माण के लिए किया जा सकता है. रूस की इन संपत्तियों का बड़ा हिस्सा सरकारी बॉन्ड्स के रूप में रखा गया था, जिन्हें अब विभिन्न देशों के बैंकिंग संस्थानों में जमा किया गया है. इन संपत्तियों से मिलने वाले ब्याज का एक हिस्सा पहले ही यूक्रेन को सहायता देने के लिए इस्तेमाल किया जा चुका है.
वर्तमान में, यूरोपीय देशों के पास रूस की जमी हुई संपत्तियों में से करीब 210 अरब यूरो जमा हैं. इनमें से सबसे बड़ा हिस्सा बेल्जियम के यूरोक्लियर में रखा गया है. इसके अतिरिक्त, ब्रिटेन, जापान, फ्रांस, कनाडा, स्विट्जरलैंड, ऑस्ट्रेलिया और सिंगापुर जैसे देशों में भी रूस की संपत्तियां जमा हैं. इन संपत्तियों से जो ब्याज मिल रहा था, उसे अब तक यूक्रेन को 50 अरब डॉलर की सहायता देने के लिए इस्तेमाल किया गया है.
क्या इन संपत्तियों को जब्त करना सही है?
हालाँकि, सभी यूरोपीय देश इस योजना से सहमत नहीं हैं. खासकर फ्रांस, जर्मनी और बेल्जियम इस विचार के विरोध में हैं. उनका मानना है कि अगर ये संपत्तियाँ अभी जब्त कर ली जाती हैं, तो भविष्य में रूस पर दबाव बनाने का मौका खत्म हो जाएगा, खासकर अगर शांति समझौते की प्रक्रिया शुरू होती है. इन देशों का कहना है कि रूस की संपत्तियों को जब्त करने से अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन हो सकता है और इससे वैश्विक वित्तीय स्थिरता को खतरा हो सकता है.
यूक्रेन के पुनर्निर्माण के लिए क्या विकल्प हैं?
रूस की संपत्तियों से यूक्रेन के पुनर्निर्माण का विचार एक मायने में आकर्षक लग सकता है, लेकिन यह एक जटिल और विवादास्पद मुद्दा है. ऐसे में, यूक्रेन के पुनर्निर्माण के लिए अन्य संभावनाओं की भी तलाश की जा रही है. यूरोपीय संघ, विश्व बैंक, और अन्य अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के सहयोग से यूक्रेन के लिए एक अंतरराष्ट्रीय पुनर्निर्माण फंड बनाने का विचार भी सामने आ रहा है. इसके तहत, विभिन्न देशों और संस्थाओं से धन जुटाकर यूक्रेन के बुनियादी ढांचे को फिर से खड़ा किया जा सकता है.
रूस का रुख क्या है?
रूस पहले ही चेतावनी दे चुका है कि उसकी संपत्तियों की जब्ती अवैध होगी और इससे वैश्विक निवेशकों का भरोसा डगमगा सकता है. क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने कहा कि ऐसा कोई भी कदम रूस के खिलाफ कानूनी कार्रवाई को जन्म देगा. रूस के पास भी जवाबी कार्रवाई के विकल्प हैं. देश में अभी भी लगभग 1,800 पश्चिमी कंपनियां काम कर रही हैं, जिनकी संपत्तियों को रूस जब्त कर सकता है.