ब्रेकिंग
अब सिर्फ चेहरा नहीं, रणनीतिकार भी": नए साल में कांग्रेस का पावर बैलेंस बदलेगा, प्रियंका गांधी के पास... आलीशान लाइफस्टाइल और काली कमाई": करोड़ों की गाड़ियां, महंगी शराब और फर्जीवाड़ा; कॉल सेंटर घोटाले का ... दोषी पर सजा नहीं": पत्नी ने पति पर किया तलवार से वार, फिर भी कोर्ट ने क्यों दी रिहा करने की मोहलत? महायुति में 'सीट शेयरिंग' का खेल: 200 सीटों पर बनी बात, बाकी 27 पर फडणवीस और शिंदे करेंगे आखिरी फैसल... NCR वालों ने ली राहत की सांस: AQI में सुधार के बाद CAQM का बड़ा फैसला, निर्माण कार्यों और भारी वाहनों... कब्जा करने वालों की खैर नहीं": यूपी विधानसभा में सीएम योगी की दहाड़— 'गरीब की जमीन पर हाथ डाला तो बु... भक्ति के सफर का दुखद अंत: उज्जैन से लौट रहे परिवार पर पलटा मौत का कंटेनर, कोटा के पास दो जिंदगियां ख... बलात्कारी आजाद, न्याय शर्मसार": हाई कोर्ट के फैसले पर पीड़िता का प्रहार, अब सुप्रीम कोर्ट में होगी आ... खाकी के साये में खूनी खेल: पुलिस कस्टडी में गैंगस्टर पर अंधाधुंध फायरिंग, हरिद्वार में मचा हड़कंप बलात्कारी को जमानत, डर में पीड़िता… कुलदीप सिंह सेंगर की बेल पर भड़के राहुल गांधी
देश

जामिया में जो हुआ वो जलियांवाला बाग जैसा: उद्धव ठाकरे

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने दिल्ली के जामिया इलाके में हुई हिंसा को लेकर बड़ा बयान देते हुआ कहा कि यह जलियांवाला बाग जैसा है। नागरिकता कानून पर विरोध प्रदर्शन कर रहे छात्रों और पुलिस के बीच हुई झड़प की निंदा करते हुए ठाकरे ने पुलिस की कार्रवाई की तुलना जलियांवाला बाग नरसंहार से कर दी। उद्धव ने कहा कि युवाओं की ताकत बम जैसी होती है, उन्हें मत भड़काइए। बता दें कि रविवार को जामिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी के छात्र नागरिकता कानून पर प्रदर्शन कर रहे थे जिसने हिंसक रूप ले लिया। इस दौरान कई वाहनों को आग के हवाले कर दिया गया और तोड़फोड़ भी की गई। छात्रों ने पुलिस पर पत्थरबाजी भी की।

क्या है जलियांवाला बाग नरसंहार
पंजाब के अमृतसर के प्रसिद्ध स्‍वर्ण मंदिर, यानी गोल्‍डन टेंपल से डेढ़ किलोमीटर दूर स्थित जलियांवाला बाग में 13 अप्रैल, 1919 को रॉलेट एक्‍ट का विरोध करने के लिए एक सभा हो रही थी। उस दिन बैसाखी भी थी। जलियांवाला बाग में कई सालों से बैसाखी के दिन मेला भी लगता था, जिसमें शामिल होने के लिए उस दिन सैकड़ों लोग वहां पहुंचे थे। उस समय की ब्रिटिश आर्मी का ब्रिगेडियर जनरल रेजिनैल्‍ड डायर 90 सैनिकों को लेकर वहां पहुंच गया। सैनिकों ने बाग को घेरकर ब‍िना कोई चेतावनी दिए निहत्‍थे लोगों पर गोलियां चलानी शुरू कर दीं। वहां मौजूद लोगों ने बाहर निकलने की कोश‍िश भी की लेकिन कोई बाहर नहीं निकल पाया।

जनरल डायर के आदेश पर ब्रिटिश आर्मी ने बिना रुके लगभग 10 मिनट तक गोलियां बरसाईं। इस नरसंहार में करीब 1,650 राउंड फायरिंग हुई थी। बताया जाता है कि सैनिकों के पास जब गोलियां खत्‍म हो गईं, तभी उनके हाथ रुके। कई लोग जान बचाने के लिए बाग में बने कुएं में कूद गए थे, जिसे अब ‘शहीदी कुआं’ कहा जाता है। यह आज भी जलियांवाला बाग में मौजूद है और उन मासूमों की याद दिलाता है, जो अंग्रेज़ों के बुरे मंसूबों का श‍िकार हो गए थे। ब्रिटिश सरकार के अनुसार इस फायरिंग में लगभग 379 लोगों की जान गई थी और 1,200 लोग ज़ख्‍मी हुए थे, लेकिन भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के मुताबिक उस दिन 1,000 से ज़्यादा लोग मारे गए, जिनमें से 120 की लाशें कुएं में से मिली थीं और 1,500 से ज़्यादा लोग जख़्मी हुए थे।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button