मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में बीस जिले हो गए कांग्रेस मुक्त, एक भी सीट नहीं मिली
भोपाल। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में बीस जिले कांग्रेस मुक्त हो गए। यहां एक भी सीट कांग्रेस नहीं जीत सकी। पिछले चुनाव में ऐसे जिले छह ही थे। वहीं, तीन जिले ऐसे भी हैं, जहां भाजपा का खाता नहीं खुला। इनमें छिंदवाड़ा ऐसा जिला रहा जहां की सभी सातों सीटों पर कांग्रेस कब्जा बरकरार रखने में सफल रही।
सदमे से कम नहीं परिणाम
विधानसभा चुनाव के परिणाम कांग्रेस के लिए सदमे से कम नहीं हैं। कई जिलों में कांग्रेस का पूरी तरह से सफाया हो गया। दमोह में पिछले चुनाव में कांग्रेस ने यहां एक सीट जीती थी और एक सीट पथरिया से बसपा की रामबाई चुनाव जीतीं थीं। इस जिले में इस बार कांग्रेस और बसपा का सफाया हो गया।
इन जिलों में कांग्रेस साफ
भाजपा ने कटनी, पन्ना, विदिशा, रायसेन, राजगढ़, शाजापुर, देवास, खंडवा, बुरहानपुर और इंदौर जिलों में सभी सीटें जीतकर जिले को कांग्रेस मुक्त कर दिया। नरसिंहपुर जिले में तीन तो बैतूल में चार सीटें अपने पाले में कीं। रतलाम में एक सीट पहली बार भारत आदिवासी पार्टी ने जीतकर खाता खोला है। यह सीट पहले कांग्रेस के पास थी। सिंगरौली, शहडोल, उमरिया, नर्मदापुरम, सीहोर और नीमच में भाजपा ने अपना पिछला प्रदर्शन दोहराते हुए कांग्रेस को सेंध लगाने का कोई अवसर नहीं दिया। इन बीस जिलों में भाजपा ने 89 सीटें जीती हैं।
गढ़ बचाने में सफल रहे कमल नाथ
कमल नाथ अपना छिंदवाड़ा का गढ़ बचाने में सफल रहे। यहां पिछले चुनाव में भी सभी सातों सीटें कांग्रेस ने जीती थीं और इस बार भी प्रदर्शन दोहराया है। जबकि, भाजपा ने यहां सेंध लगाने के हरसंभव प्रयास किए। चुनाव की घोषणा के पहले पांढुर्णा जिला बनाया तो केंद्र और राज्य सरकार के मंत्रियों की टीम लगाई। कमल नाथ को यहां विशेष ध्यान देना पड़ा। वह दिन में दो-तीन सभा करने के बाद रात को छिंदवाड़ा पहुंच जाते थे और उनके पुत्र छिंदवाड़ा से सांसद नकुल नाथ पूरे समय डटे रहे। हरदा में दोनों सीटें कांग्रेस ने जीतीं तो श्योपुर में विजयपुर जीतकर बढ़त बना ली।






