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धार्मिक

शादी के बाद विदाई पर लड़कियां क्यों फेंकती हैं चावल, क्या है इसकी धार्मिक मान्यता

हिंदू शादी में कई तरह की रस्में की जाती हैं. कुछ रस्मों को शादी से पहले किया जाता है और कुछ रस्मों को शादी के दौरान और बाद में किया जाता है. हर रस्म का अपना एक अलग खास महत्व माना जाता है, इसलिए ही ये सभी रस्में अभी तक निभाई जा रही हैं. हिंदू शादी में सबसे ज्यादा भावुक करने वाली रस्म होती है लड़की की विदाई की रस्म और इस दौरान पीछे चावल फेंकने का रिवाज होता है. हर हिंदू शादी में यह रस्म काफी खास मानी जाती है. लेकिन ये रस्म क्यों निभाई जाती है इसके पीछे की वजह जानते है.

कैसे होती है ये रस्म

शादी होने के बाद दुल्हन की विदाई के समय यह चावल फेंकने की रस्म की जाती है. जब दुल्हन अपने मायके को छोड़कर ससुराल के लिए जाती है, तभी यह रस्म दुल्हन से कराई जाती है. इस रस्म में दुल्हन अपने दोनों हाथों की हथेलियों को मिलाकर उनमें चावल भरती है और हाथों में भरे हुए उन चावल को अपने सिर के ऊपर से ले जाकर पीछे की ओर फेंकती है.

दुल्हन के द्वारा फेंके गए चावलों को नीचे गिरने से बचाना होता है, इसलिए दुल्हन के साथ साथ उसके पीछे उसके परिवार की महिलाएं और सहेलियां होती हैं. इन सभी के हाथों में आंचल या दुपट्टा फैला हुआ होता है, जिसमें दुल्हन के द्वारा पीछे फेंके गए चावल गिरते रहते हैं. ये रस्म पांच बार दोहराई जाती है. इस रस्म के दौरान दुल्हन को पीछे मुड़कर नहीं देखना होता है.

इस रस्म के पीछे की मान्यता

हिंदू धर्म में लड़कियों को मां लक्ष्मी का रूप माना जाता है. माना जाता है कि शादी के बाद जब लडकियां विदा होकर ससुराल जाती हैं तो वे अपने परिवार को चावल के रूप में धन-संपत्ति, समृद्धि और दुआएं देती हैं. इसलिए लड़की की विदाई के समय सिर के ऊपर से चावल फेंकने की रस्म कराई जाती है और इन चावलों को लड़की के घर वाले अपने पास सहेज कर रखते हैं

होती है बुरी नजर से रक्षा

इस रस्म को बुरी नजर से मायके की रक्षा से भी जोड़ा जाता है. माना जाता है कि मायके को बुरी नजर से बचाने के लिए ही दुल्हन विदाई के समय अपने सिर के ऊपर से चावल फेंकती है. इस रस्म के द्वारा दुल्हन अपने परिवार के प्रति उनसे मिले प्यार, दुलार और सम्मान के लिए मायके वालों का आभार व्यक्त करती है.

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