हांगकांग से दुनिया का ध्यान भटकाने के लिए बनाया गया था जानलेवा ‘कोरोना वायरस’!

नई दिल्ली। दिसंबर 2019 से पहले चीन दुनियाभर की मीडिया में सुर्खियों में छाया हुआ था। इसकी वजह थी हांगकांग का प्रदर्शन, जो चीन की कम्यूनिस्ट सरकार के खिलाफ था। मार्च 2019 में ये प्रदर्शन एक विवादास्पद कानून की वजह से शुरू हुआ था जिसमें बाद में चीन से आजादी की मांग भी जुड़ गई और पूरी दुनिया में चीन की एक दूसरी छवि पेश हुई। ये छवि एक तानाशाही सरकार की थी, जो अपने खिलाफ हो रहे विरोध प्रदर्शनों को सख्ती के साथ कुचल देना चाहती थी। हांगकांग का मुद्दा जब-जब अंतरराष्ट्रीय मंच पर उठा तब-तब चीन ने काफी गुस्साए स्वर में इसको चीन का आंतरिक मामला करार दिया। वहीं जब अमेरिका और दूसरे देशों ने हांगकांग के समर्थकों के सुर में सुर मिलाया तो चीन की बौखलाहट को पूरी दुनिया ने देखा।
हांगकांग प्रदर्शन से चीन की छवि हुई दागदार
हांगकांग ने न सिर्फ पूरी दुनिया में चीन की छवि को दागदार किया बल्कि इसका सीधा असर उसकी अर्थव्यवस्था पर भी दिखाई दिया। प्रदर्शनों की वजह से हांगकांग के बाजारों पर सीधा असर पड़ा। यहां तक की कुछ कंपनियों को इसकी वजह से खुद को शिफ्ट तक करना पड़ा। हांगकांग में यह प्रदर्शन इतना जबरदस्त था कि चीन के नागरिकों को प्रदर्शनकारियों ने बाहर निकल जाने तक का अल्टीमेटम दे दिया था। कई छात्र इस इन प्रदर्शनों की वजह से हांगकांग से बाहर चीन लौट भी गए थे। हांगकांग का मामला पूरी तरह से चीन के हाथों से खिसक रहा था। हर रोज प्रदर्शनकारियों और चीन की पुलिस के बीच हिंसक झड़पों की खबरें प्रकाशित हो रही थीं। इसका जीता जागता सुबूत वो चीन के वो सरकारी आंकड़े हैं जो इसकी कहानी को बयां कर रहे हैं। इनके मुताबिक 9 दिसंबर 2019 तक 2600 से अधिक लोग घायल हुए और 7 हजार से अधिक लोगों को 16 जनवरी 2020 तक गिरफ्तार किया गया। ये आंकड़े काफी दिलचस्प हैं। साथ ही दिलचस्प है इनके साथ दी गई तारीख।
जनवरी में सामने आया था कोरोना वायरस का पहला मामला
दरअसल, जनवरी के आखिरी सप्ताह में ही चीन के वुहान में कोरोना वायरस का पहला मामला सामने आया था। इससे पहले एक अजीब बीमारी से कुछ लोगों के बीमार पड़ने की खबर भी प्रकाशित हुई थी। चीन की ही एक वेब साइट के मुताबिक इस वायरस की चपेट में पहले मरीज के आने से कुछ दिन पहले ही चीन के उप राष्ट्रपति ने वुहान का सीक्रेट दौरा किया था। ये दौरा कथिततौर पर वहां स्थित पी4 लैब का था। इस वेबसाइट के मुताबिक ये वही लैब है जिसमें कोरोना वायरस को तैयार किया गया। इसको तैयार करने वाले वैज्ञानिक का नाम डेयिन ग्यो है। वेब साइट के मुताबिक चीन की कम्यूनिस्ट पार्टी ने माना है कि ये वायरस लैब से मानवीय गलती की वजह से लीक हुआ। खबर के मुताबिक यह चीन के बायालोजिकल वैपंस का हिस्सा था। बहरहाल, चीन की कम्यूनिस्ट सरकार ने ये तो माना है कि ये वायरस किसी मार्केट से नहीं बल्कि लैब से लीक हुआ था। वहीं वेब साइट ने ये कहकर पूरी दुनिया में सनसनी फैला दी है कि इसको बनाने का अविष्कार चीन के उप राष्ट्रपति ने ही दिया था। उन्होंने ही इसके अटैक की इजाजत भी दी थी।
वायरस की क्यों जरूरत महसूस हुई?
आपको ये भी बता दें कि चीन में वर्ष 2002-2003 में सार्स ने वुहान में ही दस्तक दी थी, जिसकी वजह से करीब 400 लोगों की मौत हो गई थी। कोरोना वायरस इसकी ही अगली कड़ी है। यह सारी बातें अपने आप में बहुत मायने रखती हैं। साथ ही ये बातें कुछ सवालों को भी जन्म दे रही हैं। पहला सवाल तो सबसे बड़ा यही है कि चीन को इस वायरस को बनाने और फिर इसका अटैक करवाने की जरूरत क्यों महसूस हुई। इसका जवाब देने तलाशने के लिए हमें हांगकांग का ही रुख करना जरूरी होगा। ऐसा इसलिए क्योंकि मार्च 2019 से लेकर फरवरी 2020 तक चीन की अर्थव्यवस्था और चीन की सरकार पर सवाल उठाने वाला कारण यहां का प्रदर्शन ही था। इन प्रदर्शनों की वजह से लगातार चीन की सरकार पर अंतरराष्ट्रीय मीडिया सवाल उठा रही थी। लिहाजा जरूरी था कि किसी भी तरह से इन प्रदर्शनों को खत्म किया जाए।
काम कर गया वायरस, हांगकांग का मुद्दा हुआ गायब
चीन इन्हें रोकने के लिए चाइनामेन स्क्वायर मॉडल का इस्तेमाल इसलिए नहीं कर सकता था क्योंकि इससे वह अंतरराष्ट्रीय मंच पर बेदखल हो जाता और पूरी दुनिया उसके खिलाफ हो जाती। लिहाजा उसके लिए कुछ ऐसा करना जरूरी हो गया था जिससे बिना ऐसा कुछ किए पूरी दुनिया का ध्यान हांगकांग के प्रदर्शन से हट जाए। इसके लिए कोरोना वायरस से अच्छा कुछ नहीं हो सकता था। कोरोना वायरस के वुहान से निकलकर हांगकांग और फिर पूरी दुनिया में फैलने के बाद पूरी दुनिया का ध्यान हांगकांग से खुद-ब-खुद हट गया। मौजूदा समय में हांगकांग प्रदर्शन की खबर बेमानी हो गई है और पूरी अंतरराष्ट्रीय मीडिया का ध्यान कोरोना वायरस तक सिमट कर रह गया है। हांगकांग में भी इसकी वजह से एक व्यक्ति की मौत हो चुकी है। यहां पर एक खास बात ये भी है कि कोरोना वायरस के फैलने के बाद चीन की सरकार ने किसी भी तरह के जश्न और लोगों के एकजुट होने या भीड़-भाड़ करने पर पूरी तरह से रोक लगा दी थी। सरकार का कहना था कि कोरोना इंसान से इंसान में फैल सकता है। भीड़ होने पर ये वायरस एक से दो और दो से तीन और फिर हजारों में फैल सकता है। हालांकि इस रोक के बावजूद भी अकेले चीन में ही इसके करीब 16678 मरीज सामने आ चुके हैं। वहीं 479 लोगों की मौत पूरे चीन में इस वायरस की चपेट में आने के बाद हो चुकी है।