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प्रयागराज के करछना में हुई हिंसा पर बोले चंद्रशेखर आजाद- ये गहरी साजिश, कई लोग नीला पटका पहनते हैं

प्रयागराज के करछना इलाके में उस वक्त हालात बिगड़ गए जब भीम आर्मी प्रमुख और सांसद चंद्रशेखर आजाद को कौशाम्बी जाने से रोका गया. इसके बाद पुलिस की इस कार्रवाई के विरोध में उनके समर्थकों ने सड़कों पर प्रदर्शन किया. प्रदर्शनकारियों ने कई स्थानों पर पथराव किया, जिसमें पुलिस की गाड़ियों को भी नुकसान पहुंचा. डायल 112 की एक गाड़ी पलट दी गई, उपद्रवियों को हिरासत में लिया गया है. करछना में हुई हिंसा पर चंद्रशेखर आज़ाद ने कहा, यह घटना एक गहरी साजिश लगती है. मैं उस वक्त मौके पर मौजूद नहीं था, इसलिए ये बताना कठिन है कि असल में वहां क्या हुआ. इस मामले पर चंद्रशेखर आज़ाद ने CBI जांच की भी मांग की है.

जब आजाद को कौशाम्बी जाने से रोक दिया गया तो इसके विरोध में उनके समर्थकों ने करछना में सड़कों पर प्रदर्शन किया. प्रदर्शन ने हिंसक रूप भी लिया. पुलिसकर्मियों पर भी पत्थर फेंके गए. इस मामले पर अब चंद्रशेखर आजाद ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि मुझे यह घटना एक गहरी साजिश का हिस्सा लगती है, जिसका उद्देश्य कौशाम्बी में हुई घटना से जनता का ध्यान भटकाना है. हमारे कार्यकर्ता संविधान और कानून में आस्था रखते हैं और हिंसा की राह पर नहीं चलते. आज के समय में कई लोग नीला पटका पहनते हैं, इसलिए केवल पहनावे से किसी की पहचान तय नहीं की जा सकती. मैं खुद उस समय मौके पर मौजूद नहीं था, इसलिए ये बताना कठिन है कि असल में वहां क्या हुआ. लेकिन, मैं इस पूरे मामले की निष्पक्षता के लिए सीबीआई जांच की मांग करता हूं, ताकि सच्चाई सामने आ सके. अगर सरकार, पुलिस या प्रशासन जानबूझकर हमारे कार्यकर्ताओं को निशाना बना रहे हैं, तो हम इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे और लखनऊ में बड़ा विरोध प्रदर्शन करेंगे.”

पुलिस ने मुझे गुमराह किया-चंद्रशेखर आजाद

चंद्रशेखर आजाद ने आगे कहा, ‘मैं कल प्रयागराज गया था, वहां मैं अपनी बेटी और पाल समुदाय के एक पीड़ित परिवार के लिए न्याय की मांग करने गया था. इसके साथ ही, मैं एक और गंभीर घटना पर आवाज उठाने के लिए गया था, जिसमें अनुसूचित जाति के एक व्यक्ति की बेरहमी से हत्या कर दी गई और उसे गेहूं के खेत में जलाया गया. लेकिन, वहां पहुंचने के बाद पुलिस ने मुझे गुमराह किया और मुझे इलाहाबाद सर्किट हाउस में रोक लिया.’

उन्होंने कहा कि थोड़ी देर में मुझे वहां ले जाया जाएगा, मुझे नहीं पता कि पुलिस ने मुझे क्यों नहीं जाने दिया. मैंने उनसे आग्रह किया कि अगर वो मुझे घटनास्थल पर नहीं ले जा सकते, तो कम से कम पीड़ित परिवारों को मेरे पास बुला लें. लेकिन, वह भी नहीं किया गया. शायद पुलिस और प्रशासन ने कुछ अपराध किए हैं, वही छिपाने की कोशिश की जा रही है. मुझे वहां जाने से रोका गया. इस घटना में कुछ उपद्रवियों को हिरासत में लिया गया है.

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