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दिल्ली/NCR

आपके पास भी है दिल्ली में पुरानी गाड़ी तो नो टेंशन, इस 3 जुगाड़ से आपकी कार नहीं होगी कबाड़

दिल्ली में 1 जुलाई से 10 साल पुरानी डीजल और 15 साल पुरानी पेट्रोल गाड़ियों को ईंधन नहीं मिल रहा है. जिसके बाद से इसने वाहन मालिकों के बीच भारी चिंता पैदा कर दी है. इस नीति ने हजारों गाड़ियों को सीधे तौर पर प्रभावित किया है, जिससे लोग मजबूरी में अपनी कारें बेचने या बेहद कम कीमतों पर नष्ट करने को मजबूर हो रहे हैं. खासकर लक्जरी कारों के मालिकों को बड़ा घाटा उठाना पड़ रहा है.

इतना भरना होगा जुर्माना

दिल्ली में उन वाहनों के खिलाफ कार्रवाई तेज कर दी गई है जो नए नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं. अगर कोई चार पहिया वाहन चालक इन निर्देशों की अवहेलना करता पाया जाता है, तो उस पर ₹10,000 का जुर्माना लगाया जाएगा. इसी तरह, दोपहिया वाहन चालकों के लिए यह जुर्माना ₹5,000 निर्धारित किया गया है.

प्रशासन ने साफ कर दिया है कि नियमों का उल्लंघन करने वालों पर सख्त कदम उठाए जाएंगे. पेट्रोल पंपों पर ऑटोमेटिक नंबर प्लेट रिकग्निशन कैमरे लगाए गए हैं, जो पुरानी गाड़ियों की पहचान कर उन्हें जब्त करेंगे और चालान काटेंगे.

इस नए नियम के लागू होने के बाद अब वाहन मालिकों के सामने बड़ा सवाल यह है कि वो अपने पुराने वाहनों का क्या करें? ऐसे में तीन मुख्य ऑप्शन मौजूद हैं, जिन पर विचार किया जा सकता है. गाड़ी को स्क्रैप करना, NCR के बाहर बेचना या CNG में कन्वर्ट कराना. चलिए आपको इन तीनों के बारे में विस्तार से बताते हैं.

स्क्रैप पॉलिसी

पहला विकल्प है वाहन को सरकार की स्क्रैप पॉलिसी के तहत रजिस्टर्ड व्हीकल स्क्रैपिंग फैसिलिटी (RVSF) में जमा करना. यहां गाड़ी को पर्यावरण अनुकूल तरीके से तोड़कर रीसायकल किया जाता है. वाहन मालिकों को स्क्रैप के बदले Certificate of Deposit (CoD) दिया जाता है, जिससे नई गाड़ी खरीदने पर रोड टैक्स में छूट मिलती है.

निजी वाहनों पर 25% तक और कमर्शियल वाहनों पर 15% तक की छूट मिल सकती है. इसके अलावा, गाड़ी की हालत और वजन के आधार पर 50,000 रुपए से लेकर 3 लाख रुपए तक का स्क्रैप प्राइस भी मिल सकता है. हालांकि यह एक आसान तरीका है, लेकिन इसमें रीसेल वैल्यू अपेक्षाकृत कम होती है.

दिल्ली-एनसीआर से बाहर कार बेचना

दूसरा विकल्प है अपनी पुरानी गाड़ी को दिल्ली-एनसीआर के बाहर के किसी राज्य में बेचना, जहां ऐसे उम्र आधारित प्रतिबंध कड़े नहीं हैं. इस ऑप्शन के जरिए वाहन मालिक अपनी गाड़ी की बेहतर कीमत हासिल कर सकते हैं. हालांकि, इसके लिए आपको कुछ प्रक्रियाएं पूरी करनी पड़ती हैं जैसे कि गाड़ी को नए राज्य में ट्रांसपोर्ट करना, वहां की RTO से दोबारा रजिस्ट्रेशन करवाना और उस राज्य का रोड टैक्स भरना. ये तरीका थोड़ा समय और मेहनत मांगता है, लेकिन आर्थिक रूप से लाभकारी हो सकता है.

गाड़ी को CNG में कन्वर्ट कराना

तीसरा और पर्यावरण के लिहाज से बेहतर विकल्प है गाड़ी को CNG में कन्वर्ट कराना. दिल्ली सरकार भी अब हरित ईंधन को बढ़ावा देने पर जोर दे रही है. अगर आपकी पेट्रोल कार फिटनेस और उत्सर्जन टेस्ट में पास हो जाती है, तो आप उसमें ARAI प्रमाणित CNG किट लगवा सकते हैं. इससे गाड़ी की उम्र बढ़ जाती है और वो नियमों के अंतर्गत फिर से सड़कों पर चल सकती है. CNG किट लगाने की लागत आमतौर पर 50,000 से 1 लाख रुपए के बीच होती है, लेकिन लंबी अवधि में इससे ईंधन पर खर्च काफी कम हो जाता है क्योंकि CNG पेट्रोल और डीजल की तुलना में सस्ती होती है.

हालांकि सभी गाड़ियां, खासकर डीजल मॉडल, CNG में कन्वर्ट नहीं हो सकतीं. इसके अलावा, CNG स्टेशनों की सीमित उपलब्धता भी एक समस्या हो सकती है.इस तरह दिल्ली में लागू हुई नई नीति ने वाहन मालिकों को बड़ा झटका जरूर दिया है, लेकिन हालात को समझदारी से संभालने के लिए रास्ते भी मौजूद हैं.

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