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सरकार का एक फैसला और धड़ाम हुए LIC के शेयर, निवेशकों में बढ़ी बेचैनी

देश की सबसे बड़ी जीवन बीमा कंपनी एलआईसी के शेयरों में गुरूवार को गिरावट देखने को मिल रही है. इस गिरावट के पीछे सरकार का एक फैसला बताया जा रहा है. दरअसल, LIC के शेयरों में सरकार अपनी हिस्सेदारी और हल्की करने वाली है. ऑफर फॉर सेल (OFS) के जरिए शेयरों को बेचने की मंजूरी मिल गई है. करीब तीन साल पहले इसके शेयरों की घरेलू मार्केट में एंट्री हुई थी और इसका आईपीओ पूरी तरह से ऑफर फॉर सेल का था. अब फिर सरकार इसमें अपनी हिस्सेदारी और हल्की करने वाली है. सरकार के इस फैसले के बाद LIC के शेयर्स में गिरावट देखने को मिली, जिससे निवेशकों में चिंता बढ़ गई है.

क्यों गिरे शेयर?

सरकार की इस घोषणा के बाद बाजार में अस्थिरता आ गई. निवेशकों ने सोचा कि LIC पर सरकारी हिस्सेदारी बेचने की प्रक्रिया तेज होगी, जिससे कंपनी के शेयरों की कीमतों में तेजी से गिरावट आने की संभावना है. महीनेभर में 3% की गिरावट दर्ज हुई है. इस साल अब तक लगभग 10% टॉप-डाउन में गिरा है. पिछले छह महीने में गिरावट 28% और पिछले एक साल में 25% तक पहुंच गई है.

LIC में अभी कितनी है सरकार की हिस्सेदारी?

मार्च 2025 के शेयरहोल्डिंग पैटर्न के मुताबिक एलआईसी में सरकार की हिस्सेदारी 96.5% है. इसके आईपीओ के तहत सरकार ने सिर्फ 3.5% हिस्सेदारी ही हल्की की थी और अब भी एक बड़ी हिस्सेदारी सरकार के ही पास है. इसके चलते एलआईसी के शेयरों का फ्री फ्लोट काफी कम बना हुआ है. सरकार ने आईपीओ के जरिए 3.5% हिस्सेदारी हल्की की थी और इसमें से 1.13% हिस्सेदारी म्युचुअल फंड्स के पास है तो 23 लाख से अधिक रिटेल शेयरहोल्डर्स यानी ₹2 लाख तक के निवेश वाले शेयरहोल्डर्स की हिस्सेदारी 1.76% है.

क्या है SEBI का नियम?

सरकार को अपनी हिस्सेदारी हल्की इसलिए भी करनी जरूरी है क्योंकि बाजार नियामक सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) के नियमों के मुताबिक लिस्टेड कंपनी में कम से कम 25% पब्लिक शेयरहोल्डिंग होनी चाहिए. सरकार के पास अधिकतम 75% शेयरहोल्डिंग से 21.5% होल्डिंग अधिक है जिसकी मौजूदा वैल्यू करीब ₹1.28 लाख करोड़ है. इसका मतलब है कि मौजूदा भाव के हिसाब से हर 1% हिस्सेदारी की बिक्री पर सरकार को ₹6 हजार करोड़ मिलेंगे. पिछले साल सेबी ने एलआईसी को को 2027 तक 10% पब्लिक शेयरहोल्डिंग हासिल करने की मंजूरी दी थी.

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