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आधार कार्ड नागरिकता का प्रमाण नहीं तो फिर इसका क्या इस्तेमाल है?

बिहार विधानसभा चुनाव से पहले चुनाव आयोग ने मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) शुरू किया है. विशेष गहन पुनरीक्षण के दौरान कई इलाकों में आधार कार्ड को प्रमाणपत्र के रूप में स्वीकार किया जा रहा है, तो किसी इलाके में अधिकारी आधार कार्ड को प्रमाण के रूप में स्वीकार नहीं कर रहे हैं. विशेष गहन पुनरीक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी. सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि प्रमाणपत्र के रूप में वोटर कार्ड, राशन कार्ड और आधार कार्ड भी शामिल करें. हालांकि आधार कार्ड में साफ रूप से लिखा हुआ है कि आधार कार्ड पहचान का प्रमाणपत्र है, नागरिकता का नहीं.

भारत में रहने वाले लगभग हर व्यक्ति के पास आज आधार कार्ड है. यह 12 अंकों की एक विशिष्ट पहचान संख्या है जिसे भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) द्वारा जारी किया जाता है, लेकिन हाल के वर्षों में जब नागरिकता से जुड़े मामलों जैसे एनआरसी (राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर) और सीएए (नागरिकता संशोधन अधिनियम) पर बहस तेज हुई, तब बार-बार यह सवाल उठाया गया: क्या आधार कार्ड नागरिकता का प्रमाण है?

इसने आम जनता के मन में भ्रम और कई सवाल जरूर खड़े किए हैं कि अगर यह नागरिकता का सबूत नहीं है, तो फिर इसका उपयोग आखिर क्या है? आइए जानें

क्या है आधार कार्ड?

आधार कार्ड भारत सरकार द्वारा चलाया जा रहा एक बायोमेट्रिक आधारित पहचान पत्र है जिसमें व्यक्ति के फिंगरप्रिंट, आंखों की पुतलियों की स्कैनिंग और फोटो के साथ उसका नाम, जन्मतिथि और पता शामिल होता है. UIDAI के अनुसार, आधार का मुख्य उद्देश्य हर व्यक्ति को एक विशिष्ट पहचान संख्या देना है, ताकि सरकारी योजनाओं और सेवाओं का लाभ सही व्यक्ति तक पहुंचे.

नागरिकता से क्यों नहीं जुड़ा है आधार?

UIDAI ने बार-बार स्पष्ट किया है कि आधार कार्ड भारतीय नागरिकता का प्रमाण नहीं है, बल्कि यह केवल पहचान (Identity) और पते (Address) का प्रमाण है. आधार बनवाने के लिए भारत में न्यूनतम 182 दिन रहने का प्रमाण होना चाहिए, लेकिन नागरिकता साबित करने के लिए इससे कहीं अधिक कानूनी मानदंडों को पूरा करना होता है.

Addhar Card

इसका मतलब यह है कि कोई विदेशी नागरिक जो भारत में छह महीने से अधिक समय से रह रहा है, वह भी आधार के लिए आवेदन कर सकता है. ऐसे में यह नागरिकता का वैध प्रमाण नहीं माना जा सकता.

आधार का उपयोग कहां-कहां होता है?

भले ही आधार नागरिकता का प्रमाण नहीं है, लेकिन यह भारत में सबसे अधिक उपयोग होने वाला सरकारी पहचान दस्तावेज बन चुका है. इसके उपयोग के प्रमुख क्षेत्र इस प्रकार हैं:

सरकारी सब्सिडी योजनाएं: एलपीजी सब्सिडी, राशन वितरण, पेंशन, जनधन योजना, मनरेगा भुगतान आदि योजनाओं में आधार नंबर से लाभार्थियों की पहचान सुनिश्चित की जाती है.

बैंकिंग सेवाएं: बैंक खाता खोलने, मोबाइल नंबर लिंक करने, ई-केवाईसी प्रक्रिया में आधार का व्यापक रूप से उपयोग होता है.

टैक्स और पैन कार्ड: अब पैन कार्ड को आधार से लिंक करना अनिवार्य है. आयकर रिटर्न दाखिल करने में भी इसका इस्तेमाल जरूरी है. इसके लिए पैन कार्ड और आधार कार्ड का लिंक होना जरूरी है.

शैक्षणिक संस्थानों और परीक्षाओं में: विश्वविद्यालयों और विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में उम्मीदवारों की पहचान के लिए आधार मांगा जाता है.

डिजिटल इंडिया और ई-गवर्नेंस: आधार की मदद से सरकार डिजिटल सेवाओं को सरल बना रही है. डिजिलॉकर, ई-हॉस्पिटल, ई-वॉलेट आदि में इसकी अहम भूमिका है.

आधार केवल एक पहचान प्रमाणपत्र

आम जनता के मन में सबसे बड़ा सवाल यही है कि जब आधार इतना व्यापक रूप से मान्य और आवश्यक दस्तावेज बन चुका है, तो इसका नागरिकता से संबंध क्यों नहीं जोड़ा गया?

विशेषज्ञों के अनुसार, ऐसा करना संवैधानिक और कानूनी तौर पर संभव नहीं है. नागरिकता एक संवैधानिक दर्जा है, जबकि आधार केवल डिजिटल पहचान है.

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