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राजस्थान

कन्हैया लाल हत्याकांड: बेटे का दर्द कहा- फिल्म उदयपुर फाइल्स पर रोक लगाने की जल्दबाजी, लेकिन अपराधियों को अब तक नहीं मिली सजा

राजस्थान के उदयपुर में 2022 में टेलर कन्हैया लाल की दो लोगों ने बेरहमी से हत्या कर दी थी. इस मर्डर केस में अब तक किसी भी दोषी को सजा नहीं दी गई है. जिसको लेकर कन्हैया लाल के बेटे यशू साहू ने कहा कि सबूत होने के बावजूद भी पिछले तीन वर्षों से अपराधियों को सजा नहीं दी गई है.

इसी मर्डर केस पर आधारित एक फिल्म ‘उदयपुर फाइल्स: कन्हैया लाल टेलर मर्डर केस’ बनाई गई है. यह फिल्म 11 जुलाई को रिलीज होने वाली थी, लेकिन इस फिल्म के रिलीज होने से पहले ही दिल्ली हाईकोर्ट ने इस पर रोक लगा दी. जिसको लेकर यशू और फिल्म निर्माता अमित जानी से आपत्ति जताई. यशू ने कहा कोर्ट ने सिर्फ तीन के अंदर फिल्म पर रोक लगा दी है, लेकिन जब किसी मामले में अपराधियों को सजा देनी होती है तो ऐसा बिल्कुल नहीं होता. सालों लग जाते हैं सजा दिलाने में.

सबूत होने के बावजूद भी दोषियों को सजा नहीं

कन्हैया लाल के बेटे यशू ने कहा कि मेरे पिता के मर्डर के तीन साल हो गए हैं. लेकिन उनके दोषियों को अभी तक कोई सजा नहीं दी गई है. उन्होंने कहा कि जब कोई फिल्म के माध्यम से इसकी सच्चाई दिखाना चाहता है, तो हाईकोर्ट के द्वारा इस पर रोक लगा दी जाती है. उन्होंने कहा कि सिर्फ तीन दिन के भीतर इस फिल्म पर रोक लगा दी गई. उन्होंने कहा कि इतनी ही फुर्ति किसी अपराधी को सजा दिलाने में भी दिखानी चाहिए.

हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने जाएंगे सुप्रीम कोर्ट

उदयपुर फाइल्स के निर्माता अमित जानी ने कहा कि वह हाईकोर्ट के इस फैसले को चुनौती देने सुप्रीम कोर्ट जाएंगे. उन्होंने कहा कि हमने यह फिल्म कपिल सिब्बल को दिखाई थी. इसके बाद भी उन्हें इस फिल्म का विरोध करना पड़ा. उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट के इस फैसले को चुनौती देने के लिए सुप्रीम कोर्ट जाएंगे. हालांकि उनसे केंद्र सरकार के पास जाने के लिए कहा गया है. सरकार सात दिनों के भीतर अपना फैसला सुना देगी. कोर्ट ने कहा कि यह रोक तब तक लागू रहेगी जब तक सरकार सीबीएफसी की तरफ से दिए गए प्रमाणन के खिलाफ जमीयत उलेमा-ए-हिंद द्वारा दायर पुनरीक्षण आवेदन पर निर्णय नहीं ले लेती.

जमीयत उलेमा-ए-हिंद और पत्रकार द्वारा दायर की गई थी याचिका

मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति अनीश दयाल की खंडपीठ ने कहा कि उन्होंने यह फैसला दो याचिकाओं पर सुनवाई करने के बाद लिया है. उन्होंने कहा कि यह याचिका जमीयत उलेमा-ए-हिंद और दूसरी याचिका पत्रकार प्रशांत किशोर टंडन की थी. जिसमें याचिकाकर्ताओं ने कहा था कि फिल्म इतनी संवेदनशील है कि इससे सांप्रदायिक हिंसा भड़क सकती है. जो हमारे समाज के लिए एक गंभीर स्थिति पैदा कर सकता है.

दरअसल, 2022 में राजस्थान के उदयपुर में कन्हैया लाल नाम के एक टेलर की दो लोगों ने दिनदहाड़े उसी की दुकान में घुसकर बेरहमी से हत्या कर दी थी. बताया जा रहा था कि पूर्व बीजेपी प्रवक्ता नूपुर शर्मा ने पैगम्बर मुहम्मद के बारे सोशल मीडिया पर एक पोस्ट साझा की थी, जिस पोस्ट पर टेलर ने अपना समर्थन दिया था. इसी से नाराज होकर मोहम्मद रियाज और मोहम्मद गौस ने कन्हैया लाल की बेरहमी से हत्या कर दी थी. इस घटना के बाद सांप्रदायिक हिंसा को लेकर काफी तनाव फैल गया था.

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