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तालिबान से सीधी टक्कर: इन मोर्चों पर पाकिस्तान को मुंह की खानी पड़ेगी, टकराव के होंगे भयानक नतीजे

पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच हाल ही में बढ़ते तनाव ने एक बार फिर से क्षेत्रीय सुरक्षा की चिंता बढ़ा दी है. गुरुवार रात पाकिस्तान ने अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) के कई ठिकानों पर एयरस्ट्राइक की. पाक मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, एयरस्ट्राइक का मकसद TTP चीफ मुफ्ती नूर वली मेहसूद को निशाना बनाना था.

वहीं, टोलो न्यूज ने महसूद का ऑडियो भी जारी किया है, जिसमें वह दावा कर रहे हैं कि उन पर कोई हमला नहीं हुआ. ये एयरस्ट्राइक ऐसे समय में हुई जब तालिबान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्तकी भारत दौरे पर हैं. यह दौरा करीब सात दिन का है और इस दौरान भारत-अफगानिस्तान संबंधों पर चर्चा की जा रही है. आइए जानते हैं किन मोर्चे पर तालिबान पाकिस्तान को मात दे सकता है

छापेमार युद्ध में माहिर तालिबान

TTP और तालिबान दोनों ही छापेमार युद्ध में माहिर माने जाते हैं. ये पारंपरिक हथियारों की बजाय अचानक हमले और गुप्त ठिकानों का उपयोग करके पाकिस्तान में आतंक फैलाने की कोशिश करते हैं. इससे पाकिस्तान की सुरक्षा एजेंसियों के लिए यह चुनौती और भी बढ़ जाती है.

अंतरराष्ट्रीय समर्थन का फायदा

तालिबान को कुछ देशों का समर्थन भी प्राप्त है. भारत, रूस और ईरान जैसे देशों से उन्हें राजनीतिक और कभी-कभी आर्थिक मदद मिलती रही है. इस तरह का समर्थन उन्हें रणनीतिक रूप से मजबूत बनाता है और पाकिस्तान के लिए मुश्किलें बढ़ाता है. इरान सीधे तौर पर तालिबान को समर्थन नहीं करते, लेकिन अपने हितों के लिए उनसे संपर्क और सीमित सहयोग ज़रूर रखते हैं.

पाकिस्तान में सक्रिय प्रॉक्सी नेटवर्क

तालिबान के प्रॉक्सी पाकिस्तान में सक्रिय हैं. ये संगठन सीमा पार से पाकिस्तान में छापेमार गतिविधियां चलाते हैं और स्थानीय स्तर पर नेटवर्क को मजबूत करते हैं. जैसे जमात-उल-अहरार (JuA), हिज्ब-उल-अहरार (HuA), लश्कर-ए-झंगवी (LeJ). इससे पाकिस्तान के लिए अंदरूनी सुरक्षा की चुनौती और बढ़ जाती है.

मिनरल्स और हथियार खरीदने की क्षमता

अफगानिस्तान में मिनरल्स का बड़ा भंडार मौजूद है. तालिबान और TTP अपने खजाने और संसाधनों का उपयोग करके जल्दी हथियार और उपकरण खरीद सकते हैं. अफगानिस्तान दुनिया का सबसे बड़ा अफीम निर्यातक देश है. अनुमानों के मुताबिक अफगानिस्तान से लगभग 11 से 22 हज़ार करोड़ रुपये की अफीम निर्यात की जाती है. और इसी अफीम की खेती पर अफगानिस्तान की सरकार के मुकाबले तालिबान का कंट्रोल ज़्यादा रहा है. इस वजह से उनके पास आधुनिक हथियारों तक पहुंच संभव है, जो पाकिस्तान के लिए खतरे को और गंभीर बनाता है.

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