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मध्यप्रदेश

परीक्षा से बचने का नायाब तरीका: छात्रों ने फैलाई ‘प्रिंसिपल की मौत’ की अफवाह, सच्चाई जानने से पहले शोक मनाने पहुंच गए लोग

मध्य प्रदेश के इंदौर से एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है. यहां एक प्रतिष्ठित स्कूल में पढ़ने वाले छात्रों ने स्कूल में चल रही परीक्षा को रुकवाने के लिए षड्यंत्र रचा. दरअसल, छात्रों ने प्रिंसिपल की मौत का फर्जी लेटर वायरल कर दिया गया. जिसे देखकर लोग हैरान रह गए. इतना ही नहीं कई लोग प्रिंसिपल के घर शोक मनाने पहुंच गये. हालांकि मामले की जानकारी पुलिस को हुई तो दोनों आरोपी छात्रों के खिसाल केस दर्ज किया गया है.

भंवरकुआं पुलिस थाने के प्रभारी राजकुमार यादव ने बताया कि शासकीय होलकर साइंस कॉलेज की प्रिंसिपल डॉ. अनामिका जैन की शिकायत पर बैचलर ऑफ कंप्यूटर एप्लीकेशन (बीसीए) पाठ्यक्रम के तृतीय सेमेस्टर के दो छात्रों के खिलाफ केस दर्ज किया गया. सोशल मीडिया पर गलत सूचना प्रसारित करने के आरोप में दो छात्रों के खिलाफ केस दर्ज किया है. थाना प्रभारी ने बताया कि यह मामला भारतीय न्याय संहिता की धारा 336 (4) (किसी व्यक्ति की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाने के इरादे से जान-बूझकर नकली दस्तावेज बनाना) के तहत दर्ज किया गया.

परीक्षा कैंसिल कराने के लिए रची साजिश

उन्होंने बताया कि दोनों आरोपी छात्रों ने ऑनलाइन परीक्षा रुकवाने और कक्षाएं स्थगित कराने की साजिश के तहत गलत सूचना प्रसारित की. छात्रों ने संस्थान की प्रिंसिपल की मौत का झूठा पत्र तैयार कर इसे सोशल मीडिया पर प्रसारित किया था. महाविद्यालय के एक अधिकारी ने बताया कि ‘आवश्यक सूचना’ के शीर्षक वाले पत्र को संस्थान के लेटरहेड की तरह तैयार किया गया था. लेटर में कहा गया था कि प्राचार्य जैन के ‘आकस्मिक देहांत’ के कारण 15 अक्टूबर और 16 अक्टूबर को होने वाली ऑनलाइन परीक्षा स्थगित कर दी गई है और सभी विषयों की कक्षाओं को भी स्थगित किया गया है.

प्रिंसिपल ने की कार्रवाई की मांग

महाविद्यालय की प्रिंसिपल जैन ने कहा कि इस फर्जी पत्र के सोशल मीडिया पर शेयर किए जाने के बाद से मैं और मेरे परिजन बेहद परेशान हैं. पत्र को सही मानकर कई लोग शोक जताने के लिए मेरे घर भी पहुंच गए. उन्होंने कहा कि पुलिस को दोनों आरोपियों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई करनी चाहिए. जिससे आगे ऐसी घटनाओं को रोका जा सके.

उन्होंने किसी भी व्यक्ति का नाम लिए बगैर कहा कि लंबे समय से कुछ विघ्नसंतोषी तत्व अलग-अलग हरकतों से उन्हें परेशान कर रहे हैं. जिससे वह प्रिंसिपल के तौर पर अपने शासकीय कर्तव्य को ठीक से न निभा सकें. वहीं आरोपियों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 336(4) के तहत दोषी को तीन साल तक के कारावास की सजा हो सकती है और उस पर जुर्माना भी लगाया जा सकता है.

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