जैसलमेर हादसा: ‘मानक ताक पर रखकर बनी थी बस’, जांच कमेटी ने माना- इमरजेंसी गेट के सामने लगाई गई थी सीट

राजस्थान के जैसलमेर में 21 अक्टूबर को बस हादसे में 22 लोगों की जिंदा जलकर मौत हो गई थी. वहीं 6 लोग अब भी जिंदगी की जंग अस्पताल में लड़ रहे हैं. जिस स्लिपर बस में ये हादसा हुआ, उसमें कई खामियां थीं. जब आग लगी तो बस से धुआं बाहर निकलने का कोई वेंटिलेशन नहीं था. बाहर निकलने का गेट भी लॉक हो गया था. इस हादसे के बाद परिवहन विभाग नींद से जागा है. जैसलमेर ही नहीं, पूरे प्रदेश में ऐसी बसों को चिह्नित किया जा रहा है, जोकि मानकों के अनुरूप सड़क पर नहीं चल रही हैं. पूरे प्रदेश में ऐसी 162 बसें जब्त की जा चुकी हैं. वहीं, हादसे की जांच के लिए एक कमेटी भी गठित की गई है.
विभाग के अतिरिक्त परिवहन आयुक्त (प्रशासन) एवं संयुक्त शासन सचिव ओपी बुनकर ने बताया कि वैसी बसों को चिह्नित किया जा रहा है, जोकि तय मानक का पालन नहीं कर रहे हैं. ऐसे 66 बसें, जोकि जोधपुर में बनी हैं, उन्हें जब्त कर लिया गया है. कई बसों की बॉडी बनाने में मानकों का उल्लंघन पाया गया है.
पांच अफसरों की कमेटी गठित
राज्य सरकार ने जैसलमेर हादसे की जांच के लिए उच्चस्तरीय पांच सदस्यीय समिति का गठन किया है. इस समिति की अध्यक्षता अपर परिवहन आयुक्त एवं संयुक्त शासन सचिव ओपी बुनकर कर रहे हैं. समिति में प्रादेशिक परिवहन अधिकारी धर्मेंद्र कुमार, राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम के दो इंजीनियर रवि सोनी और हनुमान सिंह सहित मोटर वाहन निरीक्षक नवनीत बाटड़ शामिल हैं.
जांच समिति ने गुरुवार को ही जैसलमेर पहुंचकर हादसे वाली जगह और बस का निरीक्षण किया. जांच में पता चला कि बस की सुरक्षा मानकों की अनदेखी की गई थी. बस की बॉडी बढ़ी हुई थी और हादसे के वक्त गेट काम नहीं कर रहे थे. इसके अलावा, बस में सीटें आपातकालीन द्वार के सामने रखी गई थीं.
राज्य सरकार ने इस घटना की तकनीकी जांच के लिए सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ रोड ट्रांसपोर्ट (CIRT), पुणे को भी आमंत्रित किया है. CIRT की टीम शुक्रवार शाम तक जैसलमेर का दौरा करेगी और अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को प्रस्तुत करेगी.
अब तक 162 बसें जब्त
प्रदेश में चल रहे विशेष निरीक्षण अभियान के तहत अब तक 162 बसें जब्त की जा चुकी हैं. परिवहन विभाग ने सभी बस परिवहन संघों से अनुरोध किया है कि वे इस अभियान में सहयोग करें और बसों में सुरक्षा मानकों के अनुसार आवश्यक सुधार किए जाने के बाद ही उनका संचालन सुनिश्चित करें. ओपी बुनकर ने कहा कि विभाग इस मामले को गंभीरता से देख रहा है और भविष्य में ऐसे हादसों को रोकने के लिए कड़े कदम उठाए जाएंगे.
जिस बस में आग लगी, वह केके ट्रैवल्स की थी और इसे 14 दिन पहले ही खरीदा गया था. बस का रजिस्ट्रेशन 1 अक्टूबर को हुआ, 9 अक्टूबर को इसका परमीट जारी किया गया, और 14 अक्टूबर को ही यह हादसा हो गया. बस हादसे पर मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा ने दुख जताते हुए मृतकों के परिजन को 10 लाख रुपये मुआवजा राशि देने का ऐलान किया है.