लाड़ली लक्ष्मी बहना की बदली राह, स्कूल से गायब हुईं तो HC ने मोहन यादव सरकार से मांगा जवाब

इंदौर: हाई कोर्ट की इंदौर बैंच ने एक रिपोर्ट पर स्वत: संज्ञान लिया है. खास बात यह है कि यह रिपोर्ट मध्य प्रदेश की महत्वपूर्ण लाड़ली लक्ष्मी योजना को लेकर थी. जिसमें कहा गया है कि इस योजना के तहत आने वाली हजारों की संख्या में लड़कियां कॉलजे पहुंचने से पहले ही स्कूल से बाहर हो गई हैं. इंदौर हाई कोर्ट ने इस योजना से संबंधित विभागों को नोटिस भेजकर जवाब मांगा है. जिसकी अगली सुनवाई 12 जनवरी तय की गई है.
लाड़ली लक्ष्मी योजना को लेकर HC ने मांगा जवाब
मामला यह है कि एक रिपोर्ट के मुताबिक मध्य प्रदेश की लाड़ली लक्ष्मी के तहत आने वालीं हजारों लड़कियां कॉलेज पहुंचने से पहले ही बाहर हो गईं. इस मुद्दे को कोर्ट ने गंभीर मानते हुए चिंता जताई है. जस्टिस विजय कुमार शुक्ला और जस्टिस विनोद कुमार द्विवेदी की बैंच ने मामले की सुनवाई की. जहां दोनों ही जस्टिस ने कहा कि यह सरकार की जिम्मेदारी है कि शिक्षा के संवेधानिक अधिकार अनुच्छेद 21 (A) का पालन करना सुनिश्चित करे. जबकि बीते वर्ष सरकार द्वारा एक बड़ी राशि खर्च करने के बाद भी लाड़ली लक्ष्मियों का जो टारगेट है, उसे हासिल ही नहीं किया.
12वीं तक पहुंची सिर्फ 30 प्रतिशत लड़कियां
इंदौर हाई कोर्ट ने इस मामले को जनहित याचिका के तौर पर दर्ज करने के आदेश भी दिए हैं. कोर्ट ने मुख्य सचिव, स्कूल शिक्षा विभाग, स्वास्थ्य, गृह विधि और वित्त विभाग को नोटिस भेजकर जवाब मांगा है, कि आखिर बच्चियों की शिक्षा क्यों रूकी है? बताया जा रहा है कि मामले की अगली सुनवाई 12 जनवरी को होगी. बताया जा रहा है कि उस रिपोर्ट में दावा किया गया था कि साल 2007 में शुरू हुई योजना में शुरुआती तौर पर 40854 बच्चियों के रजिस्ट्रेशन किए गए थे, लेकिन इसमें महज 30 प्रतिशत लड़कियां ही 12वीं कक्षा तक पहुंच सकी हैं.
कई लड़कियों ने बीच में ही पढ़ाई छोड़ दी है. इस मुद्दे पर कोर्ट ने गंभीरता जताई है. मध्य प्रदेश सरकार ने लाड़ली लक्ष्मी योजना के तहत स्कूल में पढ़ाई कर रहीं छात्रों को कॉलेज तक स्कॉलरशिप देने को लेकर इस योजना के जरिए उनका रजिस्ट्रेशन कराया था. जिसके बाद साल 2026-27 में एक बड़ा बजट इस योजना के लिए पास भी हुआ था, इसके बाद भी लड़कियां बीच में पढ़ाई छोड़ रही हैं.

कमलनाथ का ट्वीट (Kamalnath X Post)
कमलनाथ का सवाल
आपको बताते चलें कि इस मुद्दे को प्रदेश के पूर्व सीएम व कांग्रेस विधायक कमलनाथ भी उठा चुके हैं. उन्होंने सोशल मीडिया एक्स पर एक बड़ा सा पोस्ट करते हुए सरकार पर सवाल उठाए थे. कमलनाथ ने लिखा था कि ” लाड़ली लक्ष्मी योजना पर सरकार हजारों करोड़ रुपये खर्च कर रही है, लेकिन इसके बावजूद मध्य प्रदेश में सिर्फ 30% बेटियां ही कक्षा 12वीं तक पहुंच पा रही हैं. यह स्थिति बेहद चिंताजनक है और बताती है कि योजना का असली लाभ बेटियों तक नहीं पहुंच रहा है. सरकार पिछले 17 वर्षों से इस योजना को बड़ी सफलता के रूप में प्रचारित करती रही है, लेकिन वास्तविक आंकड़े बिल्कुल उलटी तस्वीर दिखाते हैं.
‘योजनाओं का राजनीतिक लाभ ले रही सरकार’
करोड़ों का रजिस्ट्रेशन, बड़ी-बड़ी घोषणाएं और हर साल बढ़ता बजट, इन सबके बाद भी बेटियों की शिक्षा वहीं अटकी हुई है, जहां सालों पहले थी. यह साफ इशारा है कि योजना का फोकस बेटियों को शिक्षित और सशक्त बनाना नहीं, बल्कि उनका उपयोग राजनीतिक लाभ और वोट बैंक तैयार करने के लिए किया गया है. अगर सरकार वास्तव में बेटियों की शिक्षा को लेकर संवेदनशील होती तो सबसे पहले स्कूलों की गुणवत्ता सुधारती, शिक्षकों की कमी दूर करती, सुरक्षा और सामाजिक वातावरण बेहतर बनाती और जागरूकता अभियान चलाती, लेकिन सरकार ने इन सभी महत्वपूर्ण पहलुओं को नजरअंदाज किया.
चुनावी मोड से बाहर नहीं आई मोहन सरकार
जोश और प्रचार में बेटियों की तस्वीरें तो खूब इस्तेमाल की गईं, लेकिन उनकी शिक्षा के लिए जमीन पर कोई गंभीर कदम नहीं उठाए गए. सरकार का काम चुनाव जीतना नहीं बल्कि जनता की सेवा करना है. मध्य प्रदेश की सरकार चुनावी मोड से कभी बाहर आई ही नहीं. बेटियों को उन्होंने सिर्फ एक वोट बैंक के रूप में देखा, न कि भविष्य बनाने योग्य नागरिक के रूप में. सच्चाई यही है कि यदि वास्तव में विचार और नीयत शिक्षा सुधार की होती तो आज 30% नहीं, बल्कि अधिकांश बेटियां 12वीं तक पहुंच रही होतीं.”






