सरकारी बैंक होगा प्राइवेट! विनिवेश से 64 हजार करोड़ कमाने की तैयारी, सरकार ने शुरू की प्रक्रिया

भारत सरकार जिस बैंक को कई सालों से बेचने का प्रयास कर रही थी, अब उसमें काफी अच्छी प्रगति देखने को मिल रही है. सरकार जल्द ही आईडीबीआई बैंक लिमिटेड से अपने मैज्योरिटी स्टेक बेचकर करीब 64 हजार करोड़ रुपए की प्लानिंग कर चुकी है. इसके लिए जल्द ही बोली भी मंगा सकती है. बोली की सभी तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी हैं. इस मामले से परिचित लोगों के अनुसार, संभावित दावेदारों के साथ बातचीत एडवांस फेज में है. एक सरकारी एजेंसी द्वारा इस महीने ही औपचारिक रूप से बोली का प्रोसेस शुरू किया जा सकता है. अगर ये ट्रांजेक्शन पूरा होता है तो दशकों के बाद कोई सरकारी बैंक प्राइवेटाइजेशन की ओर मूव करेगा.
प्रॉफिट में आया बैंक
भारत सरकार मुंबई स्थित इस बैंक में 60.72 फीसदी हिस्सेदारी बेचने का लक्ष्य लेकर चल रहा है, जो आईडीबीआई बैंक के मौजूदा मार्केट वैल्यू पर लगभग 7.1 अरब डॉलर यानी करीब 64 हजार करोड़ रुपए के बराबर है. कभी भारी कर्ज डूबा यह बैंक, हाल के वर्षों में बड़े पैमाने पर सफाई के बाद उभरा है और पूंजीगत सहायता और आक्रामक वसूली से एनपीए में भारी कटौती के बाद प्रॉफिट में लौटा है. रेगुलेटर अनुमोदन प्राप्त करने में देरी जैसी बाधाओं के कारण सरकार बिक्री को पूरा करने की पूर्व निर्धारित समय-सीमा से चूक गई. सरकारी अधिकारियों ने बार-बार संकेत दिया है कि विनिवेश प्रक्रिया मार्च 2026 को समाप्त होने वाले वित्तीय वर्ष में पूरी हो जाएगी. वित्त राज्य मंत्री ने इस सप्ताह संसद में प्रश्नों के लिखित उत्तर में कहा कि चयनित बोलीदाता वर्तमान में उचित परिश्रम कर रहे हैं.
सरकार और एलआईसी के पास कितनी हिस्सेदारी?
सूत्रों ने ब्लूबबर्ग की रिपोर्ट में बताया कि कोटक महिंद्रा बैंक लिमिटेड, एमिरेट्स एनबीडी पीजेएससी और फेयरफैक्स फाइनेंशियल होल्डिंग्स लिमिटेड ने आईडीबीआई बैंक में तथाकथित रुचि-अभिव्यक्ति दिखाई थी और देश के सेंट्रल बैंक द्वारा उन्हें उपयुक्त मानदंडों पर खरा उतरना पड़ा था. रुचि-अभिव्यक्ति बोली प्रक्रिया का पहला चरण है. हालांकि इसके बेच पर फाइनेंशियल बिड नहीं लग सकती है. केंद्र सरकार और पब्लिक सेक्टर की भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) के पास इस बैंक में कुल मिलाकर लगभग 95 फीसदी हिस्सेदारी है. सरकार बैंक में अपनी 30.48 फीसदी हिस्सेदारी बेचेगी, जबकि एलआईसी प्रबंधन कंट्रोल ट्रांसफर के साथ 30.24 फीसदी हिस्सेदारी बेचेगी. भारत के वित्त मंत्रालय, एलआईसी, आईडीबीआई बैंक, कोटक और फेयरफैक्स की ओर से कोई बयान नहीं आया है.
उदय कोटक सबसे आगे
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट में सूत्रों के अनुसार कहा गया है कि एशिया के सबसे अमीर बैंकर उदय कोटक द्वारा समर्थित कोटक को आईडीबीआई बैंक के लिए बोली लगाने में सबसे आगे माना जा रहा है. फिर भी, उन्होंने कहा कि लेंडर ने बातचीत में संकेत दिया है कि वह इस डील के लिए बढ़ी हुई कीमत पर प्रयास नहीं करेगा. जेफरीज ने पिछले महीने के अंत में एक नोट में कहा था कि मर्जर और अधिग्रहण कोटक के साइज को काफी बड़ा कर सकता है. फिर भी, अगर सरकार इस डील के लिए कैश मांगती है, तो इससे कोटक के कैपिटल और मर्जर किए गए बैंक के मुनाफे पर असर पड़ सकता है.
कनाडाई और मिडिल ईस्ट से भी
सूत्रों के अनुसार, कनाडाई अरबपति प्रेम वत्स की फेयरफैक्स, जो भारत में सीएसबी बैंक लिमिटेड जैसी कंपनियों सहित कई अन्य कंपनियों में सक्रिय निवेशक है, इस दौड़ में बनी हुई है. सूत्रों के अनुसार, मिडिल ईस्ट के सबसे बड़े लेंडर्स में से एक, एमिरेट्स एनबीडी, जिसने हाल ही में आरबीएल बैंक लिमिटेड में बहुलांश हिस्सेदारी खरीदने के लिए एक बड़े डील की घोषणा की है, ने भी इसमें भाग लेने पर विचार किया है. आईडीबीआई बैंक के शेयरों में इस साल अब तक लगभग 30 फीसदी की वृद्धि हुई है, जिसके परिणामस्वरूप इसका बाजार मूल्य 1 ट्रिलियन रुपये (11.6 बिलियन डॉलर) से अधिक हो गया है.
ब्लूमबर्ग न्यूज ने 2022 में बताया था कि सरकार बैंक के लिए लगभग 640 बिलियन रुपए वैल्यूएशन पर जोर दे रही थी, यह एक ऐसा आंकड़ा है जो अधिग्रहण की प्रत्याशा में इसके शेयरों में वृद्धि के कारण लंबे समय से पार हो रहा है. हालांकि उम्मीद है कि विजेता बोलीदाता की घोषणा अगले साल मार्च के अंत तक हो जाएगी, लेकिन सूत्रों के अनुसार, अनुमोदन और अन्य मंजूरियां मिलने तक डील में अभी भी देरी होने की उम्मीद है.






