डाक टिकट में रामायण से लेकर स्वच्छ भारत तक की कहानी, छिंदवाड़ा में अनोखी प्रदर्शनी

छिन्दवाड़ा : घर के सामने आकर जैसे ही डाकिया साइकिल की घंटी बजाता था घर का हर एक व्यक्ति समझ जाता था कि कोई चिट्ठी आई है, संदेश तो आज भी आते हैं लेकिन डिजिटल युग ने परंपराओं को बदल दिया है. इसी परंपरा और इतिहास को संजोय रखने के लिए डाक विभाग ने जिले में पहली बार दो दिनों की जिला स्तरीय डाक टिकट प्रदर्शनी आयोजित की है. ” छिंदपेक्स 2025” नाम से इस प्रदर्शनी को उत्कृष्ट विद्यालय में लगाया गया है, जहां डाक टिकट में रामायण से लेकर स्वच्छ भारत तक को प्रदर्शित किया गया है.
डाक टिकट में दिख रही रामायण से लेकर स्वच्छ भारत की कहानी
प्रदर्शनी में 22 डाक टिकट संग्रहकर्ताओं द्वारा कुल 48 फ्रेम प्रदर्शित किए गए, जिनमें रामायण, विकसित भारत, बाघ बचाओ, स्वस्थ जीवन, विज्ञान, स्वतंत्रता पूर्व भारत, संस्कृति एवं कला, भारतीय परिधान, भारतीय सेना, महात्मा गांधी, स्वच्छ भारत, बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ, बालिका दिवस, भारतीय रेल, भारत रत्न, आत्मनिर्भर भारत, डाक सेवाएं, जीवन दर्शन व भारत एक यात्रा सहित अनेक विषयों पर आधारित दुर्लभ स्मारक डाक टिकट, विशेष कवर, रंगीन पोस्टकार्ड व मिनिएचर शीट्स शामिल किए गए हैं.प्रदर्शनी में ”पातालकोट” विषय पर विशेष आवरण का विमोचन व विरूपण मोहर का निर्गमन किया गया है. साथ ही स्टैम्प डिजाइन प्रतियोगिता व विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी किया गया.
डाक टिकट में सहेजा गया भारत का इतिहास
डाकघर छिंदवाड़ा अधीक्षक जेके कावड़े ने बताया, ” प्रदर्शनी की थीम ‘विरासत के रंग डाक के संग’ है. यह प्रदर्शनी इतिहास, संस्कृति, विज्ञान, कला तथा देश की विविध विरासत को दर्शाने वाले डाक टिकटों का व्यापक संग्रह प्रस्तुत कर रही है, जो विद्यार्थियों, शोधार्थियों व आमजन के लिए अत्यंत ज्ञानवर्धक है. डाक टिकट केवल संचार का माध्यम नहीं, बल्कि विभिन्न कालखंडों, राष्ट्रीय उपलब्धियों और महत्वपूर्ण घटनाओं का जीवंत दस्तावेज होते हैं.
इस प्रदर्शनी का उद्देश्य नागरिकों, विशेषकर युवाओं को फिलैटेली (डाक टिकटों और डाक इतिहास का अध्ययन ) की समृद्ध परंपरा से जोड़ना और संग्रहण की प्रवृत्ति को प्रोत्साहित करना, डाक टिकटों के संबंध में जानकारी सुलभ कराना औप डाक टिकट संग्रह के प्रति लोगों में रूचि उत्पन्न कराना है.”
पातालकोट और भारिया जनजाति पर बुकलेट प्रकाशित
राजा शंकर शाह विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रोफेसर इंद्र प्रसाद त्रिपाठी ने बताया, ” डाक टिकट प्रदर्शनी के दौरान डाक विभाग ने भारिया जनजाति और पातालकोट पर एक बुकलेट भी प्रकाशित की है, जिसका विमोचन किया गया. इस बुकलेट में छिंदवाड़ा के पातालकोट में रहने वाली भारिया जनजाति के इतिहास और विरासत के साथ-साथ उनके विकास की यात्रा के बारे में बताया गया है. 2 दिनों तक चलने वाली इस प्रदर्शनी में सेमिनार और डाक विभाग से संबंधित प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता का अभी आयोजन किया गया है.”






