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जानिये देश के तीसरे सबसे बड़े टाइगर रिजर्व में कैसे हुआ बाघ का शिकार

सरगुजा: जो इलाका टाइगर रिजर्व एरिया घोषित हो उस इलाके में एक वयस्क बाघ की मौत ने वनविभाग की कार्यप्रणाली पर कई सवाल खड़े कर दिए है. सवाल इसलिए भी कि बाघ का शव 3 दिनों तक जंगल में पड़ा रहा और वनविभाग को इसकी भनक तक नहीं लगी. सवाल इसलिए भी कि जंगल में करीब 1 किलोमीटर तार खींचकर करंट लगाया गया और वनविभाग को जानकारी नही थी, और सवाल इसलिए भी कि शेड्यूल 1 प्रजाति के संरक्षित प्रजाति के बाघ का नाखून और दांत गायब हो गया. अब बाघ की मौत से मचे हडकंप से वनविभाग शिकारियों तक पहुंच तो गया है लेकिन इस लापरवाही की जिम्मेदारी अब तक किसी पर तय नहीं हो सकी है.

सूरजपुर के घुई रेंज में बाघ का शिकार

बीते वर्ष ही सरगुजा संभाग को एक बड़ी सौगात गुरु घासीदास तमोर पिंगला टाइगर रिजर्व के रूप में मिली है. इस बड़ी घोषणा के बाद उम्मीद जगी कि इस इलाके में न सिर्फ बाघ बल्कि अन्य वन्य प्राणियों की सुरक्षा के लिए भी कड़े कदम उठाए जाएंगे. मगर सूरजपुर के घुई रेंज में बाघ के शिकार ने संरक्षित बाघों की सुरक्षा पर सवालिया निशान लगा दिया है.

करंट लगाकर बाघ का शिकार

घुई रेंज के कक्ष क्रमांक 705 में सोमवार को एक बाघ के मृत होने की सूचना मिलने से वनविभाग में हड़कंप मच गया. बाघ की उम्र करीब 6 से 7 साल थी जिसकी मौत करीब 3 दिन पहले ही हो चुकी थी उसके शरीर से नाखून और दांत गायब थे और उसे करंट देकर मारा गया था. हैरत की बात तो ये है कि वनविभाग के तमाम दावों के बाद भी वनविभाग को बाघ के मौत की खबर 3 दिन बाद मिली जबकि बीट गार्ड, डिप्टी रेंजर, रेंजर, एसडीओ और डीएफओ सहित तमाम अमला अपनी ड्यूटी कर ही रहा है.

ऐसे हुआ बाघ का शिकार

वनविभाग भी मान रहा है कि बीट गार्ड और उसके ऊपर के अधिकारी इसके लिये जिम्मेदार है, जिन पर जिम्मेदारी तय की जाएगी. सीसीएफ दिलराज प्रभाकर ने बाघ के शिकार मामले में जानकारी दी. उन्होंने बताया बाघ की मौत करंट लगने से हुई थी और ग्राउंड पर करीब 1 किलोमीटर तक करंट वाला तार खींचा गया था, जिस एरिया में करंट लगाया गया वो वाइल्ड लाइफ कॉरिडोर है यानी इस इलाके से बाघ के साथ हाथी, भालू एवं अन्य जीव आना जाना करते है.

सीसीएफ वाइल्ड लाइफ के साथ सीसीएफ फॉरेस्ट भी इलाके में पहुचे, स्निफर डॉग की मदद ली गई और इलाके के सर्चिंग के दौरान बहुत से क्लू भी मिले, इनमें से एक क्लू गुटके का था, यानी इलाके में एक खास किस्म के गुटके का बहुत सा खाली रैपर पाया गया और जहां स्निफर डॉग गए वहां भी उसी कंपनी के गुटके के रैपर मिले. इसके अलावा एक घर से बाघ के दांत और नाखून भी बरामद किए गए. इस मामले में 8 आरोपियो को गिरफ्तार किया गया है. जिन्होंने करंट वाला तार बिछाया था और फिर बाघ के नाखून और दांत गायब कर दिए थे, हालाकि अब सीसीएफ इलाके में सर्चिंग बढ़ाने के साथ मुखबिर सिस्टम व सूचना तंत्र को बेहतर करने की बात भी कह रहे हैं.

गुरु घासीदास तमोर पिंगला टाइगर रिजर्व

गुरु घासीदास तमोर पिंगला टाइगर रिजर्व प्रदेश का चौथा टाइगर रिजर्व है. इसकी सीमा संजय टाइगर रिजर्व मध्यप्रदेश, बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व मध्यप्रदेश और पलामू टाइगर रिजर्व झारखण्ड से लगती है. गुरुघांसीदास नेशनल पार्क के करीब 35 गांव और तमोर पिंगला अभ्यारण्य के 7 गांव कुल 42 गांव कोर एरिया में शामिल हैं. इतना ही नहीं इस टाइगर रिजर्व में 1254.586 वर्ग किलोमीटर का वन क्षेत्र आरक्षित व 1438.451 वर्ग किलोमीटर का वन क्षेत्र संरक्षित घोषित किया गया है. वहीं टाइगर रिजर्व के लिए 136.35 वर्ग किलोमीटर भूमि राजस्व की जमीन भी शामिल की गई है. देश का 56 वां और छत्तीसगढ़ का चौथा टाइगर रिजर्व अब अपने पूरे अस्तित्व में आ चुका है. क्षेत्रफल की दृष्टि से यह देश का तीसरा सबसे बड़ा टाइगर रिजर्व है.

गुरुघासीदास-तमोर पिंगला टाइगर रिजर्व 2829.387 स्क्वायर किलोमीटर तक रिजर्व का क्षेत्र फैला है. 2049.232 स्क्वायर किलोमीटर का कोर एरिया और 780.155 स्क्वायर किलोमीटर का बफर जोन है. गुरुघासीदास-तमोर पिंगला टाइगर रिजर्व के कोर एरिया में जनकपुर, कमार्जी, रामगढ़, रेहंड, और सोनहत वन परिक्षेत्र शामिल किये गये हैं. बफर एरिया में मनेन्द्रगढ़ से बहरासी और जनकपुर, कोरिया से देवगढ़, कोटाडोल, और सोनहत, सूरजपुर से बिहारपुर, घुई एवं कूदरगढ़ वहीं बलरामपुर जिले से रघुनाथ नगर एवं वाड्रफनगर वन परिक्षेत्र को शामिल किया गया है.

बहरहाल टाइगर रिजर्व इलाके और उसके आसपास के इलाके में टाइगर की आमद रहेगी ही, ऐसे में वनविभाग की इतनी बड़ी लापरवाही का खामियाजा विशेष संरक्षित प्रजाति के जानवरों को उठाना पड़ रहा है. हालांकि इस मामले में वनविभाग ने त्वरित कार्रवाई करते हुए आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है. मगर सवाल अब भी यही है कि जब टाइगर रिजर्व इलाके में ही टाइगर सुरक्षित नहीं तो भला टाइगर रिजर्व कैसे विकसित होगा.

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