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किसान करते रहे राहत के पैसे का इंतजार, साहबों ने सूची ही नहीं भेजी, लैप्स हो गए 9 करोड़

चतरा। अधिकारियों की लापरवाही गरीब किसानों पर भारी पड़ रही है। जयदरथ सिंह क्षेत्र के बड़े किसान हैं। लेकिन वर्तमान परिस्थिति में वे आॢथक संकट से गुजर रहे हैं। कारण है लगातार हो रहा सुखाड़। 2018-19 में हुए सुखाड़ के बाद सरकार से मिलने वाले राहत अनुदान को लेकर काफी उम्मीद थी। लेकिन, अधिकारियों की लापरवाही के कारण उनके जैसे अन्य प्रभावित किसानों के बीच वितरण के लिए आई सुखाड़ राहत की राशि वापस हो गई।

हंटरगंज प्रखंड के लरसर गांव निवासी जयदरथ सिंह ने करीब दस एकड़ में धान की रोपाई की थी। अनावृष्टि के कारण खेती मारी गई। सदर प्रखंड के ब्रह्मणा गांव निवासी देवकी महतो कहते हैं कि कर्ज लेकर खेती की थी। समय पर बारिश नहीं होने से सात एकड़ खेती नष्ट हो गई। ग्रामीणों से जानकारी मिली कि सुखाड़ राहत से क्षतिपूर्ति की राशि मिलेगी। उम्मीद जगी, साहूकार का पैसा वापस कर देंगे। लेकिन क्षतिपूॢत का पैसा आज तक नहीं मिला। ऊपर से लॉकडाउन हो गया।

साहूकार 30 हजार की कर्ज वापसी के लिए लगातार दबाव बना रहा है। यह सिर्फ बानगी है। ऐसे किसानों की संख्या जिले में सैकड़ों है। सुखाड़ प्रभावित किसानों को मिलने वाली अनुदान राशि पर अधिकारियों की लापरवाही भारी पड़ गई। समय पर प्रभावित किसानों की सूची उपलब्ध नहीं कराने के कारण राज्य सरकार द्वारा सुखाड़ राहत के लिए आवंटित 8 करोड़ 94 लाख 52 हजार 682 रुपये की राशि लैप्स हो गई। राशि व्ययगत होने के बाद किसान माथा पीट रहे हैं।

वर्तमान परिस्थिति में किसान एक साथ तिहरे मार का दंश झेल रहे हैं। बेमौसम हो रही बारिश से फसलें नष्ट हो रही हैं, तो वहीं दूसरी ओर कोरोना वायरस के कारण वे आॢथक रूप से कंगाल हो गए हैं। उनकी उम्मीदें सुखाड़ राहत को लेकर थी। लेकिन अधिकारियों की मनमानी ने उसे भी चकनाचूर कर दिया। बताते चलें कि वर्ष 2018-19 में अनावृष्टि के कारण सरकार ने जिले के नौ प्रखंडों को सुखाड़ घोषित किया था। इसमें चतरा, हंटरगंज, प्रतापपुर, कुंदा, लावालौंग, कान्हाचट्टी, इटखोरी, पत्थलगडा और मयूरहंड प्रखंड शामिल है। गिद्धौर, सिमरिया एवं टंडवा प्रखंड को सुखाड़ प्रभावित प्रखंडों में शामिल नहीं किया था।

प्रभावित उपर्युक्त प्रखंडों में धान का उत्पादन लक्ष्य के अनुरूप नहीं हुआ था। सुखाड़ का आकलन के लिए प्रदेश स्तरीय टीम ने प्रभावित प्रखंडों का निरीक्षण किया था। इसके बाद वित्तीय वर्ष 2019-20 में राज्य आपदा विधि से संबंधित प्रखंडों के किसानों के लिए 8 करोड़ 94 लाख 52 हजार 682 रुपये की राशि का आवंटन जिला आपदा प्रबंधन को भेजा।

आवंटन के आलोक में नौ अक्टूबर 2019 को अपर समाहर्ता संतोष कुमार सिन्हा ने जिला कृषि पदाधिकारी एवं संबंधित सभी अंचलों के अधिकारियों को निर्देश जारी करते हुए अनुदान राशि की स्वीकृति के लिए प्रस्ताव मांगा। लेकिन, किसी भी अंचल से न तो प्रस्ताव आया और न ही प्रभावित किसानों की सूची भेजी। इसी बीच विधानसभा चुनाव की घोषणा हो गई। चुनाव संपन्न होने के बाद भी अधिकारियों ने इस दिशा में ध्यान नहीं दिया। परिणामस्वरूप 31 मार्च को सुखाड़ राहत की राशि लैप्स कर गई।

‘संबंधित अंचलों से आवंटन के विरुद्ध अनुदान राशि स्वीकृति के लिए प्रस्ताव मांगी गई थी। लेकिन, किसी ने भी समय पर प्रस्ताव एवं किसानों की सूची उपलब्ध नहीं कराई, जिसके कारण राशि व्ययगत हो गई।’ – संतोष कुमार सिन्हा, अपर समाहर्ता, चतरा।

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