ब्रेकिंग
हमास से हुआ सीजफायर, फिर क्यों गाजा में अभी भी हमले कर रहा इजराइल? क्रिएटर्स को बड़ी राहत! Reels के दीवानों के लिए आया नया फीचर, अब ये दिक्कत नहीं आएगी सामने वास्तु शास्त्र: भूलकर भी घर की छत पर न रखें ये 5 चीजें, हो सकते हैं कंगाल, तुरंत हटा दें। प्रदूषण से खुद को बचाएं! हवा का जहर न बिगाड़े आपका हाल, डेली रूटीन में शामिल करें ये 5 जरूरी आदतें गाजियाबाद में विकास की रफ्तार तेज! तीन सड़कों का होगा चौड़ीकरण, 40 मार्गों की मरम्मत से सुधरेगी ट्रै... छठ 2025: इन जिलों में बारिश बिगाड़ सकती है पूजा का रंग, मौसम विभाग ने जारी किया अलर्ट ऑस्ट्रेलिया की महिला क्रिकेटरों से छेड़छाड़ का मामला: इंदौर का लिस्टेड बदमाश है अकील, हैरान कर देगा ... जादू-टोना के शक में हैवानियत की हद पार! दो युवकों को रस्सियों से बांधकर पेड़ पर लटकाया और बेरहमी से ... झारखंड में दिल दहलाने वाली वारदात! रात को मेला देख लौट रही 11 साल की बच्ची से गैंगरेप, 4 दरिंदे गिरफ... यमुना में फिसले BJP विधायक रवि नेगी! AAP नेता सौरभ भारद्वाज का तंज- 'मां यमुना बहुत नाराज हैं
देश

लिंगराज मंदिर के पास खुदाई में मिले 11वीं सदी के विशालकाय स्लैब, संरक्षित रखने की उठी मांग

भुवनेश्वर। राजधानी भुवनेश्वर में लिंगराज मंदिर के पास खुदाई के समय 11वीं सदी के दो विशालकाय स्लैब (पत्‍थर के चौकौर बड़े टुकड़े) मिले हैं। इन दोनों स्लैब की लम्बाई 40-40 फुट है जबकि मोटाई 3-3 फुट है। यह स्लैब लिंगराज मंदिर के निर्माण अवधि के समकालीन समय का होने की बात इनटाक प्रोजेक्ट के संयोजक अनिल धीर ने कही है। उन्होंने कहा है कि यह स्लैब सम्भवत: मंदिर के चबूतरा, स्तम्भ एवं बीम के लिए लाए गए थे। शायद इनके प्रयोग नहीं हो पाया थे और ये वहीं रह गए थे।

इनटाक के प्रोजेक्ट निदेशक अनिल धीर ने कहा है कि इसी तरह का एक पत्थर पुरी जगन्नाथ मंदिर के अश्व द्वार के पास है। उसका आकार भी इसी पत्थर की तरह है। इस पत्थर में एक तरफ मुद्री की घसाई करने पर शब्द दूसरी तरफ सुनाई देता है। ऐसे में उन्होंने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण संस्थान (एएसआई) भुवनेश्वर कार्यालय के सात संपर्क कर पत्थर के इस स्लैब को सुरक्षित तरीके से बाहर निकालकर संरक्षित रखने के लिए चर्चा की है। लिंगराज मंदिर के चारों तरफ एएसआई संरक्षित कई स्मारिकी हैं जो कि उपेक्षित पड़ी हैं।

धीर ने कहा है कि पुरी एवं भुवनेश्वर शहर को विकसित करने से पहले यहां के ऐतिहासिक प्रभाव के बारे में विश्लेषण किया जाना चाहिए, मगर ऐसा नहीं किया जा रहा है। कई ऐतिहासिक स्थलों में तोड़फोड़ की जा रही है। असम सरकार ने ऐतिहासिक संरक्षण के लिए कानून लाने का निर्णय लिया है ऐसे में ओडिशा सरकार को भी ऐतिहासिक सुरक्षा विधेयक लाने की जरूरत है। इनटाक के राज्य आवाहक अमीय भूषण त्रिपाठी ने कहा है कि हाल ही में सरकार ने राज्य पुरातत्व एवं संग्रहालय के लिए नया निदेशालय बनाने का निर्णय लिया है जो स्वागत योग्य है। हालांकि ऐतिहासिक सुरक्षा के लिए विधेयक लाना भी उतना ही जरूरी है। यह पत्थर का स्लैब इतिहास से जुड़े रहने के कारण इसे संरक्षित रखकर इस पर अनुसंधान करने की जरूरत है।

Related Articles

Back to top button