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आज मतपेटी में कैद होगा ट्रंप-बिडेन का भविष्य, अर्ली वोटिंग में पौन दस करोड़ मतदान, जानें कैसे चुने जातें हैं अमेरिका में राष्‍ट्रपति

वाशिंगटन। वाशिंगटन, एजेंसियां। कोरोना के खौफ के बीच अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के लिए मंगलवार को मतदान होगा। रिपब्लिकन पार्टी के डोनाल्ड ट्रंप (मौजूदा राष्ट्रपति) और डेमोक्रेटिक पार्टी के जो बिडेन के बीच कड़ी टक्कर है। प्रचार के दौरान दोनों उम्मीदवारों ने ना केवल एक-दूसरे पर जमकर कीचड़ उछाले बल्कि अपने प्रतिद्वंद्वियों को निकम्मा, भ्रष्ट और घटिया कहने से भी गुरेज नहीं किया। ट्रंप और बिडेन ने चीन, कोरोनावायरस और रोजगार को लेकर एक-दूसरे को घेरने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी।

भारत और भारतवंशी मतदाता बड़ा मुद्दा 

इस बार के चुनाव में जहां भारत और भारतवंशी मतदाता बड़ा मुद्दा बनकर उभरे हैं वहीं डेमोक्रेटिक पार्टी ने भारतवंशी कमला हैरिस को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया है। कई सर्वे में बिडेन ट्रंप पर बढ़त बनाए हुए हैं। अर्ली वोटिंग और डाक मतपत्र के माध्यम से अब तक पौन दस करोड़ लोग वोट डाल चुके हैं। यह संख्या वर्ष 2016 में डाले गए वोटों का लगभग 68 फीसद है।

270 इलेक्टोरल कॉलेज जीतने वाला बनेगा राष्ट्रपति 

खास बात यह है कि यहां जीत सिर्फ पॉपुलर वोट से नहीं होती है। राष्ट्रपति बनने के लिए दोनों प्रत्याशियों में से किसी एक को 538 इलेक्टोरल कॉलेज में से 270 में जीत हासिल करनी होगी। इलेक्टर कॉलेज भी एक तरह के प्रतिनिधि होते हैं, जिनका चुनाव होता है। प्रत्येक राज्य से उतने ही प्रतिनिधि होते हैं जितने कि उस प्रांत से संसद की दोनों सदनों में सांसद। सबसे कम आबादी वाले वायोमिंग में तीन इलेक्टरोल कॉलेज हैं जबकि सबसे ज्यादा आबादी वाले कैलिफोíनया में 55 इलेक्टोरल कॉलेज हैं। एक रोचक तथ्य यह है कि इस सदी में दो बार ऐसा हो चुका है जब पॉपुलर वोट में पिछड़ने के बावजूद रिपब्लिकन उम्मीदवार जॉर्ज डब्ल्यू बुश ने वर्ष 2000 में और डोनाल्ड ट्रंप ने वर्ष 2016 में राष्ट्रपति चुनाव जीता। डोनाल्ड ट्रंप को हिलेरी क्लिंटन की तुलना में करीब 30 लाख कम वोट मिले थे।

चुनाव को प्रभावित करने वाले मुद्दे

1- कोरोना: कोरोना महामारी पूरे अमेरिका में सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा है। राष्ट्रपति ट्रंप जहां समय-समय पर इस बीमारी को लेकर चीन को जिम्मेदार ठहराते हैं वहीं बीजिंग को लेकर नरम रुख रखने पर बिडेन पर भी निशाना साधते हैं। वहीं बिडेन का कहना है कि ट्रंप ने महामारी से निपटने में तत्परता नहीं दिखाई जिसके चलते लाखों लोगों को जान गंवानी पड़ी।

2- अश्वेत हिंसा: पुलिस हिरासत में अश्वेत जॉर्ज फ्लायड की मौत के बाद अमेरिका में एक बार फिर असमानता को लेकर बहस छिड़ गई है। घटना के विरोध में बड़े पैमाने पर हुए विरोध प्रदर्शनों को जहां ट्रंप ने वामपंथियों की साजिश बताया है वहीं बिडेन ने अश्वेतों को भरोसा दिलाया है कि राष्ट्रपति बनने पर उनके हितों को सुरक्षित रखने के लिए कदम उठाए जाएंगे।

3- चीन: अमेरिकी चुनाव में चीन भी एक बड़ा मुद्दा है। राष्ट्रपति ट्रंप समय-समय पर पूर्व राष्ट्रपति ओबामा और पूर्व उपराष्ट्रपति जो बिडेन पर नौकरियों को चीन भेजने का आरोप लगाते रहे हैं। उन्होंने यह भी दावा किया है कि अगर वह राष्ट्रपति बनते हैं तो चीन से लाखों नौकरियों को वापस लाएंगे। वहीं बिडेन का कहना है कि गलत आर्थिक नीतियों के चलते अमेरिका में बेरोजगारी दर बढ़ी है।

4- एच1बी वीजा: अमेरिकियों को रोजगार दिलाने के लिए हाल ही में ट्रंप ने एक कार्यकारी आदेश जारी करके एच1 बी वीजा देने पर रोक लगा दी थी। उनके इस निर्णय तकनीकी कंपनियों सहित डेमोक्रेटिक पार्टी ने भी आलोचना की थी। उनका कहना था कि अमेरिका के निर्माण में विदेशियों की भी बराबर हिस्सेदारी रही है, इसलिए उन्हें यहां आने से नहीं रोका जाना चाहिए। एच1बी वीजा पर ही अधिकांश भारतीय आइटी पेशेवर अमेरिका में काम करने जाते हैं।

5- भारत: भारतीय-अमेरिकी मतदाताओं को रिझाने में दोनों ही प्रत्याशी कोई कमी नहीं छोड़ रहे हैं। वैसे तो भारतवंशी मतदाता परंपरागत तौर पर डेमोक्रेटिक पार्टी का समर्थन करते हैं, लेकिन इस समुदाय का वोट पाने के लिए राष्ट्रपति ट्रंप ने अबकी बार कड़ी मेहनत की है। इसके लिए ना केवल उन्होंने ह्यूस्टन में ‘हाउडी मोदी’ कार्यक्रम का आयोजन किया बल्कि ‘नमस्ते ट्रंप’ कार्यक्रम में भाग लेने भारत भी आए। वह समय-समय पर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपना सच्चा दोस्त बता चुके हैं।

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