ब्रेकिंग
हाँ, बिहार के इस अनोखे और अजीबोगरीब मामले पर केंद्रित कुछ मिलते-जुलते शीर्षक सुझाव यहाँ दिए गए हैं: ... बिहार चुनाव: अमित शाह बोले- 'जंगलराज की वापसी असंभव', राहुल-तेजस्वी की जोड़ी पर साधा निशाना, घुसपैठि... काले धन का 'खजाना'! इंदौर के पूर्व आबकारी अधिकारी के घर छापे में मिले सोने की ईंटें और करोड़ों की बे... बिहार चुनाव: 'नायक' बनाम 'विकास पुरुष'! RJD के नए पोस्टर से तेजस्वी और नीतीश आमने-सामने, छिड़ी जुबान... CM योगी ने परखी जेवर एयरपोर्ट की रफ्तार! निर्माण स्थल का निरीक्षण कर अधिकारियों को दिए आवश्यक निर्दे... IRCTC क्रैश: महापर्व छठ से ठीक पहले ठप हुई वेबसाइट, टिकट बुकिंग के लिए यात्रियों में मची अफरा-तफरी पीएम मोदी और एकनाथ शिंदे की मैराथन बैठक: डेढ़ घंटे तक चली मुलाकात में क्या तय हुआ महाराष्ट्र का भविष... राहुल गांधी का रेलवे पर तीखा वार: 'टिकट मिलना असंभव, सफर अमानवीय', पूछा- कहाँ हैं आपकी 12 हजार स्पेश... परंपरा पर सवाल! इंदौर सराफा चौपाटी में सैंडविच की दुकान पर आपत्ति, राजस्व प्रभारी बोले- इसकी अनुमति ... शर्मनाक! MP के मंडला में स्कूल यूनिफॉर्म में छात्राओं ने खरीदी शराब, वीडियो वायरल होते ही मचा हड़कंप
देश

बिहार में सूर्योपासना का महापर्व छठ कल से शुरू, तैयारियां में जुटे श्रद्धालु

पटनाः बिहार में लोक आस्था का चार दिवसीय महापर्व कार्तिक छठ कल से नहाय-खाय के साथ शुरू हो जाएगा। सूर्योपासना के इस पवित्र चार दिवसीय महापर्व के पहले दिन छठव्रती श्रद्धालु नर-नारी अंत:करण की शुद्धि के लिए नहाय-खाय के संकल्प के साथ नदियों-तालाबों के निर्मल एवं स्वच्छ जल में स्नान करने के बाद शुद्ध घी में बना अरवा भोजन ग्रहण कर इस व्रत को शुरू करेंगे। श्रद्धालुओं ने आज से ही पर्व के लिए तैयारियां शुरू कर दी है।

महापर्व छठ को लेकर घर से घाट तक तैयारियां जोरों पर है। व्रती घर की साफ-सफाई के साथ व्रत के लिए पूजन सामग्री खरीदने में जुट गए हैं। कोई व्रती अपने घर में नहाय-खाय के लिए चावल चुनने में लगी हैं तो कोई छत पर गेहूं सुखाने में लगी हैं। छठ व्रतियों के लिए गंगा घाटों को साफ-सुथरा और सजाने के काम में विभिन्न इलाकों की छठ पूजा समिति और स्वयं सेवक भी लगे हुए है। इसके साथ ही गंगा नदी की ओर जाने वाले प्रमुख मार्गों पर तोरण द्वारा बनाए जा रहे हैं और पूरे मार्ग को रंगीन बल्बों से सजाया जा रहा है।

महापर्व के दूसरे दिन श्रद्धालु दिन भर बिना जलग्रहण किए उपवास रखने के बाद सूर्यास्त होने पर पूजा करते हैं और उसके बाद एक बार ही दूध और गुड़ से बनी खीर खाते हैं तथा जब तक चांद नजर आए तब तक पानी पीते हैं। इसके बाद से उनका करीब 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू होता है। लोक आस्था के इस महापर्व के तीसरे दिन व्रतधारी अस्ताचलगामी सूर्य को नदी और तालाब में खड़े होकर प्रथम अर्घ्य अर्पित करते हैं। व्रतधारी डूबते हुए सूर्य को फल और कंदमूल से अर्घ्य अर्पित करते हैं। महापर्व के चौथे और अंतिम दिन फिर से नदियों और तालाबों में व्रतधारी उदीयमान सूर्य को दूसरा अर्घ्य देते हैं। भगवान भाष्कर को दूसरा अर्घ्य अर्पित करने के बाद ही श्रद्धालुओं का 36 घंटे का निर्जला व्रत समाप्त होता है और वे अन्न ग्रहण करते हैं।

Related Articles

Back to top button