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जी-23 ने कांग्रेस में बढ़ाई उथल-पुथल, दूसरे राज्यों में भी असंतुष्ट नेताओं की बढ़ी खेमेबंदी

नई दिल्ली। कांग्रेस में व्यापक सुधार के हिमायती समूह-23 (जी-23) के नेताओं की सक्रियता ने पार्टी में उथल-पुथल मचा दी है। पार्टी नेतृत्व से असंतुष्ट नेता सुधार के लिए आवाज बुलंद करने लगे हैं। कई राज्यों में हालात हाथ से बाहर जाते दिख रहे हैं। दिल्ली कांग्रेस में धमाके के लिए सिर्फ एक चिंगारी का इंतजार है और कभी भी फूट बाहर आ सकती है। हालांकि पार्टी हाईकमान के वफादार भी सक्रिय हो गए हैं और उनमें एक-दूसरे से आगे निकलने की होड़ लगी है।

खुली जंग के संकेत

दिल्ली कांग्रेस में खुली जंग के संकेत मिल रहे हैं। असंतुष्ट 23 नेताओं में पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरविंदर सिंह लवली, पूर्व सांसद संदीप दीक्षित और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष योगानंद शास्त्री दिल्ली से ही हैं। यह फेहरिस्त तेजी से लंबी हो रही है। इनमें कई पूर्व मंत्री, पूर्व सांसद एवं पूर्व विधायक भी शामिल हो गए हैं।

पार्टी में सुधार के लिए आवाज उठाना जरूरी

असंतुष्ट खेमे का मानना है कि पार्टी में सुधार की मांग को देशव्यापी बनाने के लिए दिल्ली से आवाज उठना जरूरी है। इसीलिए बहुत जल्द दिल्ली में एक अहम बैठक रखने की तैयारी चल रही है, जिसमें सभी की भूमिका तय की जाएगी।

जी-23 पर सवाल उठाना ठीक नहीं

बिहार कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सदस्य डा. अखिलेश प्रसाद सिंह भी जी-23 की बैठक में जाने वाले थे, परंतु स्वास्थ्य कारणों से वह बैठक में शामिल नहीं हो सके। उन्होंने कहा कि जी-23 की बैठक को लेकर सवाल उठाने की जरूरत नहीं है। वहीं, बिहार कांग्रेस विधानमंडल दल के नेता अजीत शर्मा का कहना था कि हाल के दिनों में जो भी चल रहा है वह पार्टी की सेहत के लिए ठीक नहीं है।

राहुल को अंधेरे में रखते हैं कुछ सलाहकार : फुरकान

झारखंड कांग्रेस के नेता और पूर्व सांसद फुरकान अंसारी का कहना है कि राहुल गांधी को उनके सलाहकार अंधेरे में रखते हैं। राहुल गांधी हमारे लीडर है। जिन नेताओं ने अभी विरोध किया है, उसका समय ठीक नहीं है। उन्हें पार्टी फोरम पर बात रखनी चाहिए।

हम गांधी परिवार के साथ : सहाय

पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय ने टिप्पणी करने से इन्कार कर दिया तो प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डा. रामेश्वर उरांव ने राहुल गांधी की पुरजोर वकालत की। उन्‍होंने कहा कि हमलोग पूरी तरह से सोनिया गांधी और राहुल गांधी के साथ हैं। उत्तराखंड में भी कुछ ऐसी ही स्थिति है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने कहा कि जी-23 में भी सोनिया गांधी और राहुल गांधी के नेतृत्व को लेकर कोई विवाद नहीं है। उनके नेतृत्व में पार्टी एकजुट है।

वरिष्‍ठ नेताओं की बात अवश्‍य सुनें

दिल्‍ली से पूर्व सांसद महाबल मिश्रा ने कहा कि पार्टी को वरिष्ठ नेताओं की बात अवश्य सुननी चाहिए। उनके साथ बैठक करनी चाहिए। अगर सुझाव सामने आ रहे हैं तो उन पर विचार मंथन करना गलत बात नहीं है। जो नेता सुझाव दे रहे हैं, उन्होंने भी पार्टी को अपना पूरा जीवन दिया है। आज उन्हें इस तरह से बेगाना नहीं किया जा सकता।

सवाल उठाना उचित नहीं

राज्यसभा सदस्य डा. अखिलेश प्रसाद सिंह ने कहा कि जी-23 की बैठक में वे लोग शामिल रहे, जिन्होंने पार्टी की मजबूती के लिए जिंदगी गुजार दी। गुलाम नबी आजाद वैसे ही नेताओं में शुमार हैं। उनको लेकर सवाल उठाना उचित नहीं।

जमीनी संघर्ष को भूल चुके हैं ये नेता

पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने कहा कि जी-23 के नेताओं को सड़क की राजनीति से भी अवगत होना चाहिए। जमीन पर उतर कर संघर्ष करने की जरूरत है, जिसके बाद कांग्रेस के वर्कर खुद ही अपना नेता चुन लेंगे। जी-23 के नेताओं ने वर्षों तक राज्यसभा में बैठकर नीतियां बनाई हैं, ये जमीनी संघर्ष को भूल चुके हैं। इन नेताओं को मंगलवार को महंगाई के खिलाफ राजभवन के घेराव में शामिल होना चाहिए। उनके अनुभवों को लाभ हमें मिलेगा और उनका भी रिफ्रेशमेंट कोर्स हो जाएगा।

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