2024 की तैयारी में BJP: देश की करीब 150 सीटों के लिए प्लेटफार्म तैयार

नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव नतीजे आए अभी डेढ़ माह ही हुए हैं कि भारतीय जनता पार्टी 2024 के लोकसभा चुनाव की तैयारी में लग गई है। खासकर उन सीटों पर अभी से काम शुरू किया जा रहा है, जहां पार्टी को हार का सामना करना पड़ा है। ऐसी सीटों पर पार्टी को मजबूत करने तथा मतदाताओं को साधने का जिम्मा राज्यसभा सांसदों को सौंपा गया है। इसमें छत्तीसगढ़ की दो, मध्य प्रदेश की एक, उत्तर प्रदेश की 20 सीटों के लिए वहां से चुनकर आए राज्यसभा सांसदों को सीटों का चयन करने का निर्देश दिया गया है। भाजपा लोकसभा चुनाव के तुरंत बाद देश की करीब 150 (डेढ़ सौ सीटों) पर अभी से काम शुरू कर देना चाह रही है।
मध्य प्रदेश में छिदवाड़ा सीट पर भाजपा ने खास फोकस कर दिया है। पार्टी नेतृत्व के लिए परेशानी का मसला ये है कि गुना जैसी सीट पर जीत के बाद भी छिदवाड़ा सीट आखिर किस कारण से हारनी पड़ी। छिदवाड़ा लोकसभा सीट मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ की परम्परागत सीट है। मप्र में एकमात्र उसी सीट पर भाजपा को हार सामना करना पड़ा है। यद्यपि 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद भाजपा केन्द्रीय नेतृत्व की तरफ से छिदवाड़ा सीट के लिए उत्तर प्रदेश के परिवहन मंत्री स्वतंत्रदेव सिंह को प्रभारी बनाया गया था। स्वतंत्रदेव सिंह द्वारा छिदवाड़ा में कई बैठकें करके पार्टी को ऊर्जावान बनाने का प्रयास किया गया, लेकिन इसके बाद भी 2019 के चुनाव में जीत से साफ हो गया कि कमलनाथ की पैठ को वह कमजोर नहीं कर पाए। लिहाजा, इस बार अभी से भाजपा छिदवाड़ा में कांग्रेस और कमलनाथ को घेरने में जुटने वाली है। छत्तीसगढ़ में इस बार भाजपा को कोरबा और बस्तर सीट में हार का सामना करना पड़ा है।
लिहाजा, पार्टी वहां अभी से संगठनात्मक मजबूती और केन्द्र सरकार की योजनाओं का लाभ पहुंचाने का काम शुरू करना चाहती है। इसके लिए भाजपा महासचिव डा. सरोज पाण्डेय और रामविचार नेताम को लगाया जाएगा। सूूत्रों के अनुसार, उत्तर प्रदेश में आजमगढ़, मऊ, गाजीपुर, मैनपुरी, रायबरेली जैसी महत्वपूर्ण सीटों पर अभी से फोकस करके चलना चाहती है। इन प्रमुख सीटों पर राज्यसभा सांसदों को लगाया जा रहा है। भाजपा को लग रहा है कि 2019 के चुनाव में जिस तरह अमेठी और कन्नौज सीटों पर फतह हासिल कर ली गई है, यदि थोड़ी मेहनत कर ली जाएगी तो इन सीटों पर भी कब्जा जमाया जा सकता है। इसके अलावा भाजपा की एक सोच ये भी है कि यदि किन्हीं कारणों से सीटों का गणित बिगड़ा और जीती हुई सीटें हारी तो इन सीटों से उसकी भरपाई हो जाएगी। ऐसे में भाजपा लोकसभा चुनाव के तुरंत बाद देश की ऐसी डेढ़ सौ सीटों पर अभी से काम शुरू कर देना चाह रही है।