सावन का सोमवार बड़ा ही पावन दिन माना जाता है। यह दिन भगवान शिव को प्रिय है। इस दिन शिवभक्त सावन सोमवार का व्रत रखते हैं। सावन सोमवार के दिन भगवान शिव से जुड़े कुछ विशेष उपायों को करने से शुभ परिणामों की प्राप्ति होती है।
विभिन्न द्रव्यों की धारा को शिवलिंग पर समर्पित करने से अलग-अलग प्रकार के कष्टों का नाश होता है। अब बात करते हैं शिवलिंग पर क्या समर्पित करने से क्या फल मिलता है।
बिल्वपत्र :
भगवान के तीन नेत्रों का प्रतीक है बिल्वपत्र। अत: तीन पत्तियों वाला बिल्वपत्र शिव जी को अत्यंत प्रिय है। प्रभु आशुतोष के पूजन में अभिषेक व बिल्वपत्र का प्रथम स्थान है।
धतूरा:
भगवान शिव को धतूरा भी अत्यंत प्रिय है। शिवलिंग पर केवल धतूरा ही न चढ़ाएं बल्कि अपने मन और विचारों की कड़वाहट भी अर्पित करें।
चावल:
चावल को अक्षत भी कहा जाता है और अक्षत का अर्थ होता है जो टूटा न हो। इसका रंग सफेद होता है। पूजन में अक्षत का उपयोग अनिवार्य है। अक्षत न हो तो शिव पूजा पूर्ण नहीं मानी जाती। यहां तक कि पूजा में आवश्यक कोई सामग्री अनुप्लब्ध हो तो उसके एवज में भी चावल चढ़ाए जाते हैं।
चंदन:
चंदन का संबंध शीतलता से है। भगवान शिव मस्तक पर चंदन का त्रिपुंड लगाते हैं। चंदन का प्रयोग अक्सर हवन में किया जाता है और इसकी खुशबू से वातावरण और खिल जाता है। यदि शिव जी को चंदन चढ़ाया जाए तो इससे समाज में मान सम्मान यश बढ़ता है।
भस्म:
इसका अर्थ पवित्रता में छिपा है, वह पवित्रता जिसे भगवान शिव ने एक मृत व्यक्ति की जली हुई चिता में खोजा है। जिसे अपने तन पर लगाकर वे उस पवित्रता को सम्मान देते हैं। कहते हैं शरीर पर भस्म लगाकर भगवान शिव खुद को मृत आत्मा से जोड़ते हैं।