झारखंड | सरकार ने धनबाद और बोकारो में स्थानीय लोगों एवं राजनीतिक कार्यकर्ताओं के विरोध को देखते हुए क्षेत्रीय भाषा की सूची से मगही और भोजपुरी को बाहर कर दिया है। अन्य जिलों में क्षेत्रीय भाषाओं को पूर्व के क्रम में ही रखा गया है। इसको लेकर कार्मिक विभाग ने नए सिरे से अधिसूचना जारी कर दी है। निर्णय लेने के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर और विधायक दल के नेता आलमगीर आलम को विश्वास में लिया एवं उनसे चर्चा के बाद सरकार ने यह कदम उठाया। ज्ञात हो कि सरकार के इस निर्णय का विरोध मंत्रिमंडल में शामिल जगरनाथ महतो भी कर रहे थे।
शुक्रवार की देर शाम मुख्यमंत्री के निर्देश पर झारखंड सरकार ने बोकारो एवं धनबाद में क्षेत्रीय भाषाओं की सूची से मगही एवं भोजपुरी को बाहर कर दिया है। किन दो जिलों में स्थानीय स्तर पर बहुत तीव्र विरोध चल रहा था और कुछ दिनों पूर्व भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रविंद्र राय के वाहन पर उपद्रवियों ने हमला भी किया था। क्षेत्रीय भाषा में भोजपुरी को शामिल किए जाने का विरोध धीरे-धीरे व्यापक स्तर पर चल रहा था।