जानिए कौन है तेज तर्रार अफसर शालिनी सिंह, जिन्हें खुद गृहमंत्री अमित शाह ने दी कंझावला केस की जिम्मेदारी
नये साल के पहते ही दिन तड़के एक कार ने स्कूटी को टक्कर मारी और उस पर सवार 20 साल की युवती दिल्ली की सड़कों पर उस कार के साथ-साथ करीब 12 किलोमीटर तक घसीटती रही जिससे उसकी मौत हो गई। पुलिस ने बताया कि उसने मामले में गिरफ्तार आरोपियों के खिलाफ सोमवार को गैर-इरादतन हत्या सहित अन्य कड़े प्रावधानों में मामला दर्ज किया है। वहीं, इससे ठीक पहले मामले की जांच में ढिलाई का आरोप लगाते हुए कई जगह प्रदर्शन हुए। पुलिस ने बताया कि युवती का निर्वस्त्र शव बाहरी दिल्ली के कंझावला इलाके में सड़क किनारे पड़ा मिला। आरोपियों ने युवती का यौन उत्पीड़न किया था या नहीं इसकी पुष्टि करने के लिए सोमवार को एक मेडिकल बोर्ड ने शव का पोस्टमार्टम किया। घटना को लेकर लोगों में बहुत गुस्सा है और अधिकारियों ने बताया कि केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह के निर्देश पर गृह मंत्रालय ने दिल्ली पुलिस से घटना की विस्तृत रिपोर्ट तलब की है।
कौन हैं अफसर शालिनी सिंह
उन्होंने बताया कि दिल्ली पुलिस ने जांच समिति का गठन किया है जिसकी अगुवाई विशेष आयुक्त शालिनी सिंह कर रही हैं और उनसे जितनी जल्दी संभव हो रिपोर्ट देने को कहा गया है। शालिनी सिंह किसान आंदोलन, कोरोना के दौरान ड्यूटी, हरनाम सिंह की हत्या मामले में अपने काम करने के तरीके को लेकर चर्चा में आई थी। 1996 आईपीएस बैच की शालिनी सिंह कई अहम पदों की जिम्मेदारी संभाल चुकी है। पुलिस में आर्थिक अपराध शाखा की स्पेशल कमिश्नर रहीं शालिनी सिंह ज्वॉइंट सीपी वेस्टर्न रेंज के पद पर तैनात भी रह चुकी हैं। शालिनी सिंह डीसीपी साउथ वेस्ट और साउथ ईस्ट के पद पर भी कमान संभाल चुकी है साथ ही आईबी में भी वो पोस्टेड रही हैं। देश में जब केंद्र सरकार द्वारा जारी किए गए नियमों के खिलाफ किसान सड़क पर आंदोलन कर रहे थे उस वक्त शालिनी सिंह ने अहम भूमिका निभाई थी। दिल्ली पुलिस की तरह से शालिनी सिंह ने ही आंदोलन को लेकर रणनीति बनाई थी।
आपको बतां दे कि इस मामले में गिरफ्तार सभी पांच आरोपियों को अदालत ने सोमवार को तीन दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया। पहली नजर में ऐसा संदेह है कि दुर्घटना के वक्त आरोपी नशे में थे। सूत्रों ने बताया कि आरोपी घटना के वक्त नशे में थे या नहीं यह पता लगाने के लिए उनके खून के नमूनों को परीक्षण के लिए भेजा गया है और रिपोर्ट का इंतजार है। वहीं, राष्ट्रीय राजधानी की सड़कों पर लगे नये उच्च गुणवत्ता वाले कैमरों में रिकॉर्ड फुटेज से इसकी पुष्टि हो रही है कि युवती कार के साथ-साथ एक घंटे से भी ज्यादा समय तक सड़कों पर घसीटी जाती रही। पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि दुर्घटना के बाद युवती करीब 12 किलोमीटर तक कार के साथ-साथ घसीटी जाती रही। परिवार में कमाने वाली इकलौती युवती की मृत्यु के बाद उस पर आश्रित बीमार मां और छह भाई-बहन बचे हैं।
युवती की मां ने आरोप लगाया है कि पुलिस इसे ‘‘दुर्घटना की तरह दिखाना चाहती है” और उन्होंने जांच पर असंतोष जताया है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इसे ‘‘दुर्लभ से दुर्लभतम अपराध’ करार दिया है और घटना के दोषियों के लिए कठोरतम सजा की मांग की है, वहीं उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने कहा कि इस ‘अमानवीय’ अपराध के बाद उनका सिर शर्म से झुक गया है। पीड़ित परिवार ने दोषियों के लिए मृत्युदंड की मांग की है। यहां, संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए विशेष पुलिस आयुक्त (कानून-व्यवस्था) सागरप्रीत हुड्डा ने बताया कि घटना के सिलसिले में गिरफ्तार पांचों अरोपियों के खिलाफ पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर अन्य धाराएं जोड़ी जा सकती हैं। पुलिस के अनुसार, आरोपियों के खिलाफ गैर-इरादतन हत्या (304), लापरवाही से मृत्यु और आपराधिक साजिश का मामला दर्ज किया गया है।
भारतीय दंड संहिता की धारा 304 के तहत गैर-इरादतन हत्या के दोषी को उम्रकैद या 10 साल तक कैद की सजा हो सकती है। हुड्डा ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘आरोपियों को मौके पर ले जाया जाएगा और उनकी कहानी का सत्यापन किया जाएगा। सीसीटीवी फुटेज और डिजिटल साक्ष्यों के आधार पर घटनाक्रम तय किया जाएगा।” उन्होंने बताया कि मामले की जांच से पीड़ित परिवार को अवगत कराया जा रहा है और आश्वासन दिया कि दोषियों को कठोरतम सजा मिल सके यह सुनिश्चित करने के लिए पुलिस सभी साक्ष्य एकत्र करेगी। वहीं, घटना को लेकर राजनीतिक बवाल भी शुरू हो गया है। आम आदमी पार्टी (आप) ने भाजपा पर हमला करते हुए आरोप लगाया कि मनोज मित्तल नाम का आरोपी उससे जुड़ा है। भाजपा की दिल्ली इकाई के नेताओं ने कहा कि दोषी पाए जाने पर आरोपियों को कठोरतम सजा दी जानी चाहिए और दावा किया कि उसके प्रतिद्वंद्वी संवेदनशील मुद्दे पर राजनीति कर रहे हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि पांच आरोपियों में से एक मनोज मित्तल भाजपा की मंगोलपुरी वार्ड इकाई के डाटा एंट्री सेल का सह-संयोजक था। “जांच ठीक से नहीं किए जाने” के आरोपों के बीच, उपराज्यपाल सक्सेना ने पुलिस आयुक्त संजय अरोड़ा को निर्देश दिया कि इस बात की सही से जांच की जाए कि क्या पुलिस की ओर से कोई “चूक” हुई है। वहीं, मृतका की मां ने संवाददाताओं को बताया कि वह पुलिस से गुहार लगाती रही कि उसे अपनी बेटी से मिलने दिया जाए, लेकिन बाद में उसे उसकी मौत के बारे में बताया गया। उन्होंने कहा, “वह एक इवेंट मैनेजमेंट कंपनी में काम करती थी और उसने मुझसे कहा कि वह एक कार्यक्रम में जा रही है और देर से लौटेगी। मैं उसका इंतज़ार कर रही थी। मैंने उसी दिन रात करीब नौ बजे उससे बात की थी और उसने कहा था कि वह जल्द ही घर आएगी।”
मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज (एमएएमसी) परिसर में एक मेडिकल बोर्ड की देखरेख में युवती के शव का पोस्टमॉर्टम किया गया। घटना के चश्मदीद होने का दावा करने वाले दीपक दहिया ने कहा कि डेढ़ घंटे तक युवती के शव को सुल्तानपुरी इलाके में शहर की सड़कों पर घसीटा गया। दीपक ने कहा, “शरीर स्पष्ट रूप से कार के नीचे फंसा दिखाई दे रहा था। कार ने कंझावला रोड पर हर कुछ किलोमीटर के बाद यू-टर्न लेते हुए तीन चक्कर लगाए। पुलिस बस मुझे फोन करती रही और पूछती रही कि मैंने यह सब कहां देखा है।
मैंने तड़के 3.18 बजे पीसीआर कॉल की, हालांकि, घटना के बारे में पहली पीसीआर कॉल एक घंटे पहले बेगमपुर से की गई थी।” युवती की मौत के जिम्मेदार लोगों को कड़ी सजा देने की मांग को लेकर सोमवार को बड़ी संख्या में लोग सुल्तानपुरी थाने के बाहर एकत्र हो गए और यातायात जाम कर दिया। सुल्तानपुरी में प्रदर्शन कर रहे लोगों में से एक ने कहा, “ऐसे समय में जब लोग सर्दियों में भारी-भरकम कपड़े पहने रहते हैं, तो वह (युवती) निर्वस्त्र कैसे मिल सकती है।” वहीं, मृत युवती की रिश्तेदार मालती ने कहा, ‘‘पुलिस ने हमें फोन करके बताया कि हमारी लड़की दुर्घटना का शिकार हो गयी है। हम उसकी मौत के लिए जिम्मेदार लोगों के लिए मौत की सजा चाहते हैं। उन्होंने हमारे परिवार को बहुत नुकसान पहुंचाया है और उन्हें सजा जरूर मिलनी चाहिए।”