Breaking
पानी की किल्लत को लेकर लोगों ने किया चक्काजाम गोटेगांव में कैनरा बैंक शाखा में तीन करोड़ रुपये का घोटाला, EOW ने दर्ज किया मामला कृषि में स्टार्टअप शुरू करने वाले युवाओं को विज्ञान और बाजार के गुर सिखाएंगे कृषि विज्ञानी, 30 जून त... प्रदेश के वकीलों की सर्वोच्च संस्था स्टेट बार में हंगामे की स्थिति दोपहिया वाहन सवार को बचाने में पलटा ट्रक, बाजू से गुजर रहा मोटरसाइकिल सवार चपेट में आया, मौत 10 साल में चुराया 3.37 करोड़ रुपये से अधिक का पानी, राठौर और उसके रिश्तेदार पर केस दर्ज बद्रीनाथ दर्शन कर लौट रहे खरगोन के श्रद्धालु हादसे का शिकार, वाहन पलटने से एक की मौत, आठ घायल इंदौर के संग्रहालय ने सहेजा भारत का इतिहास, सिंधु घाटी सभ्‍यता के अवशेष से लेकर होलकर वंश तक के सिक्... 50 लाख की चोरी सहित दो और स्थानों की चोरी का तरीका एक जैसा उज्जैन में डेढ़ लाख लोग High BP से ग्रस्‍त, भूलकर भी ना करें इन दो चीजों का सेवन

तीरंदाजी के लिए कंधे कमजोर थे, पर सोच मजबूत थी

जबलपुर ।   पापा के साथ पहली बार तीरंदाजी देखने के लिए एनआइटी (नेशनल इंस्टीट्यूट आफ स्पोर्ट्स) गई थीं। वहां खिलाड़ियों को तीरंदाजी करते हुए देखा, तब मेरी इस खेल के प्रति मेरी उत्सुकता बढ़ी। वहां के कोच और खिलाड़ियों से मिली। सभी ने कहा कि तीरंदाजी के लिए खिलाड़ी के कंधे मजबूत होने चाहिए, लेकिन उस वक्त मैं कमजोर थी। पापा ने मेरी उत्सुकता को बढ़ाया और कहा कि सोच मजबूत होनी चाहिए, कंधे तो अभ्यास से मजबूत हो जाएंगे। यह कहना है तीरंदाजी में यूथ वल्र्ड चैम्पियनशिप और एशिया कप में गोल्ड जीतने वाली परणीत कौर का। रानीताल स्टेडियम में चल रहे खेलो इंडिया यूथ गेम्स में पंजाब की ओर से हिस्सा लेने आईं तीरंदाज परणीत कौर । उन्होंने बताया कि जिस समय मैंने तीरंदाजी का अभ्यास शुरू किया, उस समय पांचवी क्लास में पढ़ती थीं। मेरे कंधे बहुत कमजोर थे, जिस वजह से तीरंदाजी का अभ्यास करने में मुश्किल आती थी। हमेशा पापा और कोच की मदद लेकर तीर चलाने का अभ्यास करना पड़ता था। कई बार लगा कि खेल छोड़ दूं, लेकिन पापा ने मेरे मनोबल काे टूटने की बजाए हर वक्त मजबूत किया और डटे रहने कहा, जिसका परिणाम आज सामने हैं।

अभिभावक को छोड़कर जाना थोड़ा मुश्किल होता है

परणीत कौर बताती हैं कि वे अपने-माता-पिता की एक लौती संतान हैं। पिता पेशे से शिक्षक हैं, जो पटियाला में काम करते हैंं। अभिभावकों ने मेरी हर पसंद और नापसंद का खास ख्याल रखा। मैं अपनी मर्जी से तीरंदाजी खेल से जुड़ी, बावजूद इसके उन्होंने हमेशा मुझे पूरा सहयोग दिया। प्रतियोगिताओं में भाग लेने के लिए अक्सर मुझे शहर, राज्य और देश से बाहर जाना पड़ता है, ऐसे में मुझे अपने अभिभावक को छोड़कर कई दिनों के लिए बाहर रहना पड़ता है, जो थोड़ी मुश्किल भी होता है। ऐसे में अभिभावक अक्सर मुझसे फोन और इंटरनेट के जरिए जुड़े रहते हैं और मनोबल बढ़ाते हैं।

यूथ वल्र्ड चैम्पियनशिप में जीता पहला स्वर्णपदक

2021 में पोलैंड में हुए यूथ वल्र्ड चैम्पियनशिप में तीरंदाजी में शानदार प्रदर्शन रहा। यहां मैंने एक स्वर्ण पदक और एक कास्य जीता, जो मेरे जीवन का पहला स्वर्ण पदक था। इसके बाद मुझे थाईलैंड और यूएई में एशिया कप में खेलने का अवसर मिला। यहां भी मैंने दो स्वर्ण पदक और दो कास्य पदक जीते। जबलपुर  में भी स्वर्ण पदक जीतने का सपना है, जिसके लिए मैंने दिनरात तैयारी की है। खेलो इंडिया यूथ गेम्स में आकर मुझे लगा कि वाकई भारत में खेलों में प्रतिभा की कोई कमी नहीं हैं।

पानी की किल्लत को लेकर लोगों ने किया चक्काजाम     |     गोटेगांव में कैनरा बैंक शाखा में तीन करोड़ रुपये का घोटाला, EOW ने दर्ज किया मामला     |     कृषि में स्टार्टअप शुरू करने वाले युवाओं को विज्ञान और बाजार के गुर सिखाएंगे कृषि विज्ञानी, 30 जून तक दे सकते हैं आवेदन     |     प्रदेश के वकीलों की सर्वोच्च संस्था स्टेट बार में हंगामे की स्थिति     |     दोपहिया वाहन सवार को बचाने में पलटा ट्रक, बाजू से गुजर रहा मोटरसाइकिल सवार चपेट में आया, मौत     |     10 साल में चुराया 3.37 करोड़ रुपये से अधिक का पानी, राठौर और उसके रिश्तेदार पर केस दर्ज     |     बद्रीनाथ दर्शन कर लौट रहे खरगोन के श्रद्धालु हादसे का शिकार, वाहन पलटने से एक की मौत, आठ घायल     |     इंदौर के संग्रहालय ने सहेजा भारत का इतिहास, सिंधु घाटी सभ्‍यता के अवशेष से लेकर होलकर वंश तक के सिक्के हैं मौजूद     |     50 लाख की चोरी सहित दो और स्थानों की चोरी का तरीका एक जैसा     |     उज्जैन में डेढ़ लाख लोग High BP से ग्रस्‍त, भूलकर भी ना करें इन दो चीजों का सेवन     |    

पत्रकार बंधु भारत के किसी भी क्षेत्र से जुड़ने के लिए सम्पर्क करें