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मध्‍य प्रदेश में कर्मचारियों की पुरानी पेंशन बहाल करने को लेकर सियासत गरमाई, भाजपा विधायक नारायण त्रिपाठी ने सीएम को लिखा पत्र

भोपाल)।   राजस्थान सरकार द्वारा एक जून 2005 के पहले की पेंशन व्यवस्था को लागू करने के निर्णय का असर मध्य प्रदेश की सियासत में नजर आने लगा है। लाखों कर्मचारियों से जुड़ा मामला होने की वजह से कांग्रेस के बाद अब भाजपा विधायक भी खुलकर कर्मचारियों के पक्ष में खड़े होने लगे हैं। मैहर से भाजपा विधायक नारायण त्रिपाठी ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखकर पुरानी पेंशन बहाल करने के लिए कदम उठाने की मांग की है।

बता दें कि प्रदेश के दो लाख 86 हजार शिक्षक, डेढ़ लाख संविदाकर्मी और 48 हजार स्थाईकर्मी अंशदायी पेंशन की जगह पुरानी पेंशन बहाल करने की मांग काफी समय से कर रहे हैं। अंशदायी पेंशन में दस प्रतिशत अंशदान कर्मचारी के मूल वेतन से कटता है तो 14 प्रतिशत सरकार अपनी ओर से मिलती है। कर्मचारी के सेवानिवृत्त होने पर 50 प्रतिशत का भुगतान एकमुश्त कर दिया जाता है और शेष राशि से पेंशन दी जाती है। यह राशि तीन-चार हजार रुपये से अधिक नहीं होती है, इसलिए पुरानी पेंशन व्यवस्था को लागू करने के लिए शिक्षक आंदोलन कर रहे हैं। अप्रैल में भोपाल में बड़ा प्रदर्शन करने की तैयारी है।

उधर, कांग्रेस ने भी इसे मुद्दा बनाने की तैयारी कर ली है। पूर्व मंत्री जयवर्धन सिंह ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखकर कर्मचारी हित में विचार करने का आग्रह किया है। इसके पहले वे पिछले बजट सत्र में पुरानी पेंशन बहाल करने को लेकर प्रश्न भी पूछ चुके हैं। तब वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने लिखित उत्तर में बताया था कि ऐसा कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है। वहीं, मैहर से भाजपा विधायक नारायण त्रिपाठी ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर अनुरोध किया है कि पुरानी पेंशन योजना को लागू किया जाए। इससे कर्मचारियों के आर्थिक हित सुरक्षित हो सकेंगे। राजस्थान सरकार द्वारा पुरानी पेंशन की बहाली करने से प्रदेश के कर्मचारियों की मांग जोर पकड़ रही है। हमारी सरकार ने कर्मचारियों के हित में कई कदम उठाए हैं, इसलिए पेंशन के मामले में भी विचार किया जाना चाहिए।

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