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मालगाड़ी के ड्राइवर की अचानक बिगड़ी तबीयत, 108 एंबुलेंस ने पहुंचाया अस्पताल, बीच में रोकी ट्रेन

गोटेगांव। गोटेगांव में मालगाड़ी के ड्राइवर के पेट में अचानक से तकलीफ होने लगी, असहनीय दर्द जब उससे सहा नहीं गया, तब उसने रेलवे के वरिष्ठ अधिकारियों को इसकी जानकारी देते हुए मालगाडी को वहीं रोक दिया। जिसके बाद मौके पर पहुंची एंबुलेंस से उसे प्राथमिक उपचार केन्द्र गोटेगांव लाया गया, जहां उसका इलाज किया गया है।

108 एम्बुलेंस लेकर पहुंची अस्पताल

जबलपुर से इटारसी जा रही मालगाड़ी के लोको पायलट की अचानक तबियत बिगड़ने के चलते इमरजेंसी में श्रीधाम रेलवे स्टेशन पर रोका गया और 108 एम्बुलेंस को फोन पर सूचना दी गई, जहां ईएमटी शोभाराम जाटव एवं पायलट राजकुमार रेपुरिया मौके पर पहुंचे और मालगाड़ी के पायलट को 108 एंबुलेंस की सहायता से श्रीधाम रेलवे स्टेशन से गोटेगांव सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती करवाया गया। बताया जा रहा है कि पायलट के पेट में असहनीय दर्द होने के चलते मालगाड़ी को रोकना पड़ा और अपने वरिष्ठ रेलवे अधिकारियों को सूचना देने के बाद 108 एंबुलेंस से उसे उपचार के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र ले जाया गया जहां इलाज के बाद ट्रेन पायलट को वापस श्रीधाम स्टेशन छोड़ गया।

रेलवे विभाग की मनमानी, लोको पायलट की सेहत पर भारी

रेलवे प्रशासन की मनमानी रेलवे सुरक्षा के लिए खतरा बन सकती है। रेलवे प्रशासन के तुगलकी फरमान के चलते रेल लोको पायलट व सहायक लोको पायलट आराम को तरस गए हैं। हालात यह है किए इन कर्मचारियों से नियम विरुद्ध 14 से 16 घंटे तक रेल संचालन करवाया जा रहा है। ऐसे में यदि कोई रेल हादसा हो जाए तो कोई आश्चर्य की बात नहीं।

उच्चाधिकार प्राप्त समिति एचपीसी की सिफारिशों के आधार पर रेलवे बोर्ड ने 28 नवम्बर 2016 को निर्णय लिया था, कि रनिंग स्टाफ की निरन्तर ड्यूटी 9 घंटे से अधिक नहीं होनी चाहिए। रनिंग स्टाफ की ड्यूटी में वृद्धि के लिए रेल प्रशासन को 9 घंटे समाप्त होने के कम से कम 2 घंटे पहले अधिक ड्यूटी की सूचना देने का प्रावधान है। इसमें भी यह ड्यूटी 11 घंटे से अधिक नहीं होनी चाहिए। जबकि सामान्य स्थितियों में ही इसके उलट हो रहा है। स्टाफ की कमी के चलते लोको पायलट को मेमो देकर ज्यादा समय तक ड्यूटी कराई जा रही है।

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