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आत्मविश्वास या गठबंधन की मजबूरी? 2019 के रोडमैप पर ही आगे बढ़ रही मोदी सरकार

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी टीम गठित कर ली है. रक्षा मंत्रालय राजनाथ सिंह, गृह मंत्रालय अमित शाह, विदेश मंत्रालय एस जयशंकर और केंद्रीय वित्त मंत्रालय का जिम्मा निर्मला सीतारमण को सौंपा है. मोदी सरकार 3.O में राष्ट्रीय हित व सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर अहम फैसले लेने वाली सुरक्षा मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीएस) से जुड़े मंत्रालयों को बीजेपी ने अपने पास रखा है. इस तरह नरेंद्र मोदी ने अपनी विश्वसनीय कोर टीम को पुराने मंत्रालय सौंपकर साफ कर दिया कि गठबंधन के बावजूद एनडीए सरकार 2019 के रोडमैप पर ही आगे बढ़ेगी.

पीएम मोदी लगातार कहते रहे हैं कि उनका तीसरा कार्यकाल बड़े फैसलों वाला होगा. पिछले 10 साल का काम तो सिर्फ ट्रेलर है. पीएम मोदी तीसरी बार सत्ता की कमान संभालने के साथ ही अपनी कैबिनेट गठित की और विभागों का बंटवारा किया. उन्होंने रक्षा, विदेश, गृह और वित्त जैसे सभी हाई प्रोफाइल मंत्रालय अपने पास रखे हैं. इसमें स्वस्थ्य, परिवहन, शिक्षा, कपड़ा, ऊर्जा,शहरी विकास, कृषि, वाणिज्य, ऊर्जा, जहाजरानी एवं जलमार्ग, उपोभोक्ता और अक्षय ऊर्जा, दूरसंचार, पर्यावरण, पर्यटन, महिला एवं बाल विकास, श्रम-रोजगार, खेल, कोयला और खनन और जलशक्ति मंत्रालय शामिल हैं.

ज्यादातर मंत्रियों के पुराने विभाग

मोदी सरकार के ज्यादातर मंत्रियों के पुराने विभागों को ही बरकरार रखा गया है. खासकर सीसीएस से जुड़े रक्षा, गृह, विदेश और वित्त जैसे मंत्रालय में पीएम मोदी ने किसी तरह का कोई फेरबदल नहीं किया है. 2004 से 2014 तक कांग्रेस के नेतृत्व में यूपीए की सरकार इन चारों अहम मंत्रालयों को कांग्रेस अपने पास रखी थी. कांग्रेस की मनमोहन सरकार पूरी तरह से यूपीए के सहयोगी दलों के सहारे सत्ता में थी. इसके बावजूद कांग्रेस ने इन चारो महत्वपूर्ण मंत्रालय को अपने पास रखा था.

वहीं, अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में बनी जब पहली बार एनडीए की पहली सरकार बनी थी, तो इन मंत्रालयों को गठबंधन के सहयोगी दलों के साथ बांटा गया था. 1999 में वाजपेयी सरकार में भी सीसीएस से जुड़े कई मंत्रालय सहयोगी दलों के हिस्से में चले गए थे, लेकिन 2014 से 2019 में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए सरकार के दोनों कार्यकाल में चारों मंत्रालय बीजेपी के पास रहे, क्योंकि पार्टी के पास पूर्ण बहुमत था. हालांकि, इस बार नतीजों के बाद से कयास लगाए जा रहे थे कि इन मंत्रालयों में से एक-आध मंत्रालय गठबंधन के सबसे बड़े साथी टीडीपी और जनता जेडीयू के खाते में जा सकते हैं.

पीएम मोदी ने चारों मंत्रालयों में बिना कोई बदलाव किए अपने पास रखा है और पुराने नेताओं को इनकी कमान सौंपी है. इसके जरिए यह साफ संदेश दिया है कि गठबंधन सरकार के बावजूद उनके तीसरे कार्यकाल में भी पहले दो कार्यकाल की तरह तेजी से फैसले लिए जाएंगे. मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में जम्मू कश्मीर से धारा 370 का हटाना, नागरिकता अधिनियम कानून का लागू होना बड़े फैसलों के रूप में गिना जाता है. पीएम ने अपनी विश्वसनीय कोर टीम को पुराने मंत्रालय सौंपकर साफ कर दिया कि पिछली नीतियों को आगे बढ़ाया जाएगा. गठबंधन सरकार होने के बावजूद बीजेपी अपनी नीतियों के साथ किसी तरह का कोई समझौता करेगी.

सीसीएस के चारों मंत्रालय बीजेपी के पास

राष्ट्रीय हित और सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर अहम फैसले लेने वाली सीसीएस के चारों मंत्रालय को बीजेपी ने अपने पास रखा है. इसका सीधा सा मकसद है कि गठबंधन के दम पर भले ही सरकार हो, लेकिन मोदी सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े फैसले बिना दबाव के ले पाएगी. इसके अलावा सार्वजनिक छवि और चुनावी संभावनाओं को मजबूत बनाने की स्ट्रेटेजी भी है. राष्ट्रीय सुरक्षा, रक्षा और मजबूत शासन ऐसे विषय हैं, जिन्हें लेकर बीजेपी चुनावी एजेंडा भी सेट करती रही है. मोदी सरकार ने पिछले दो कार्यकाल में अपने कामों से अपनी छवि को मजबूत बनाया है, जिसे वह हर हाल में बनाए रखना चाहती है.

बीजेपी भले ही इस बार अपने दम पर बहुमत न हासिल कर सकी है, लेकिन एनडीए के सहयोगी दलों के दम पर तीसरी बार सरकार बनाने में कामयाब रही. ऐसे में गठबंधन की राजनीति अप्रत्याशित होती है, यहां साझेदारों की प्राथमिकताएं अलग-अलग होती हैं. इस वजह से अक्सर सरकार नीतिगत निष्क्रियता की शिकार हो जाती है. देशभर में सबके लिए एक समान कानून करना बीजेपी के एजेंडे में रहा है. बीजेपी ने 2024 के घोषणापत्र में इस विषय को रखा था. बीजेपी ने उत्तराखंड में इसे लागू कर लिटमस टेस्ट किया है और अब उसे एनडीए के तीसरे कार्यकाल में यूसीसी को आगे बढ़ाने पर जोर दिया जा सकता है. यूसीसी के मुद्दे पर सहयोगी दलों को एकमत करना होगा. इसी बीजेपी ने एक देश एक चुनाव का वादा किया है. तीसरे कार्यकाल में मोदी सरकार इसे लागू करने पर जोर दे सकती है. ऐसे में मोदी सरकार ने अहम मंत्रालय अपने पास रखकर बड़ा सियासी दांव चला है.

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