ब्रेकिंग
कार्तिक पूर्णिमा के दिन दुर्लभ संयोग में करें पूजा और दान, मनचाहे फल की होगी प्राप्ति! क्या तालिबान का डर नहीं बचा? शारिया कानून के बाद भी अफगानिस्तान में बढ़ी नशे की खेती सर्दी के लिए बनाकर रख लें अलसी के लड्डू, बच्चों से लेकर बड़े तक रहेंगे हेल्दी जम्मू-कश्मीर में आतंकियों पर बड़ा प्रहार, 12 दिन में 9 एनकाउंटर, 12 आतंकी ढेर ‘370 का जिक्र ही नहीं’, जम्मू-कश्मीर विधानसभा में पास प्रस्ताव पर क्यों मच गया हंगामा? झाड़फूंक कराने आई महिला के पति को भेजा बाथरूम, लगा दी कुंडी… फिर बाबा कर गया ये कांड कन्नौज: झूले में फंसे लड़की के बाल, हो गए खोपड़ी से अलग, ऐसे बची जान गद्दारों को बर्फ की सिल्ली पर लिटाऊंगा… शिंदे गुट पर आदित्य ठाकरे का बड़ा हमला ट्रेन डिरेल की एक और साजिश! बिहार-यूपी बॉर्डर पर काटा ट्रैक, ऐसे टला हादसा भाभी संग बेडरूम में रोमांस कर रहे थे दारोगा जी, तभी आ पहुंची इंस्पेक्टर पत्नी, देखते ही किया ये काम…

बिहार सरकार को सुप्रीम कोर्ट से झटका, जातिगत आरक्षण पर हाई कोर्ट के फैसले पर रोक नहीं, सुनवाई को मंजूरी

बिहार में 65% आरक्षण मामले में नीतीश सरकार को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली है. SC ने पटना हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है. इससे पहले पटना हाईकोर्ट ने 20 जून को बिहार सरकार के 65% जाति आधारित आरक्षण देने के फैसले को असंवैधानिक मानते हुए रद्द कर दिया था.

पटना हाईकोर्ट के फैसले को नीतीश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी लेकिन फिलहाल उसे कोई राहत नहीं मिली है. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार की अपील को सुनवाई के लिए मंजूर कर लिया है. कोर्ट ने वकील मनीष कुमार को नोडल वकील नियुक्त किया है. कोर्ट इस मामले में अब सितंबर में सुनवाई करेगा.

दरअसल बिहार सरकार ने शिक्षण संस्थानों और सरकारी नौकरियों में आरक्षण को 50 फीसदी से बढ़ाकर 65 फीसदी आरक्षण करने का कानून 9 नवंबर 2023 को पारित किया था. बिहार सरकार ने पिछले साल जातीय जनगणना कराई थी और उसके बाद इसी आधार पर ओबीसी, अत्यंत पिछड़ा वर्ग, दलित और आदिवासियों का आरक्षण बढ़ाकर 65 फ़ीसदी करने का फैसला किया था, जिसे पटना हाई कोर्ट ने रद्द कर दिया था.

हाईकोर्ट के फैसले को SC में दी थी चुनौती

बिहार सरकार ने अपनी याचिका में हाईकोर्ट के फैसले पर अंतरिम रोक लगाने की मांग की थी और कहा था कि अगर अंतरिम राहत नहीं मिलती है तो राज्य में बड़ी संख्या में भर्ती प्रक्रियाएं चल रही हैं, जिनमें से कुछ अग्रिम चरणों में हैं. इससे चयन प्रक्रिया पर असर पड़ेगा. याचिका में कहा गया है कि हाईकोर्ट का यह निष्कर्ष कि जाति सर्वेक्षण के आंकड़ों के आधार पर पिछड़े वर्गों का पर्याप्त प्रतिनिधित्व है. ये राज्य के विवेक का हनन है.

कार्तिक पूर्णिमा के दिन दुर्लभ संयोग में करें पूजा और दान, मनचाहे फल की होगी प्राप्ति!     |     क्या तालिबान का डर नहीं बचा? शारिया कानून के बाद भी अफगानिस्तान में बढ़ी नशे की खेती     |     सर्दी के लिए बनाकर रख लें अलसी के लड्डू, बच्चों से लेकर बड़े तक रहेंगे हेल्दी     |     जम्मू-कश्मीर में आतंकियों पर बड़ा प्रहार, 12 दिन में 9 एनकाउंटर, 12 आतंकी ढेर     |     ‘370 का जिक्र ही नहीं’, जम्मू-कश्मीर विधानसभा में पास प्रस्ताव पर क्यों मच गया हंगामा?     |     झाड़फूंक कराने आई महिला के पति को भेजा बाथरूम, लगा दी कुंडी… फिर बाबा कर गया ये कांड     |     कन्नौज: झूले में फंसे लड़की के बाल, हो गए खोपड़ी से अलग, ऐसे बची जान     |     गद्दारों को बर्फ की सिल्ली पर लिटाऊंगा… शिंदे गुट पर आदित्य ठाकरे का बड़ा हमला     |     ट्रेन डिरेल की एक और साजिश! बिहार-यूपी बॉर्डर पर काटा ट्रैक, ऐसे टला हादसा     |     भाभी संग बेडरूम में रोमांस कर रहे थे दारोगा जी, तभी आ पहुंची इंस्पेक्टर पत्नी, देखते ही किया ये काम…     |