भोपाल: प्रयागराज में महाकुंभ के मेले में शामिल होकर भोपाल की हर्षा रिछारिया सोशल मीडिया की नई सनसनी बन गई हैं। दो दिन पहले उनका एक वीडिया सामने आया है, जिसमें वह रथ पर साधु-संतों के साथ बैठी दिखाई दे रही हैं।
कई लोगों ने उन्हें साध्वी की संज्ञा दे दी। फोटो-वीडियो को सोशल मीडिया के कई प्लेटफार्मों पर पोस्ट करना शुरू कर दिया। हर्षा ने बाद में स्पष्ट किया कि वह साध्वी नहीं हैं, लेकिन आध्यात्म से जुड़ी हैं। हर्षा भोपाल की रहने वाली हैं। हर्षा ने अपने करियर की शुरुआत मॉडलिंग और एंकरिंग से की थी। करीब पांच वर्षों तक उन्होंने अपना प्रोफेशन जारी रखा।
करीब दो वर्ष पहले उनका रूझान आध्यात्म की ओर बढ़ा। जिसके बाद वे अक्सर उत्तराखंड की धार्मिक यात्राओं पर जाती थीं। इसी दौरान उन्हें निरंजनी अखाड़ा के साधुओं की संगत मिली, जिसके बाद वह आचार्य महामंडलेश्वर की शिष्या बन गईं।
2015 में शुरू की नौकरी
हर्षा रिछारिया कहती हैं कि दो साल पहले सुकून की तलाश में उनका झुकाव आध्यात्म की ओर बढ़ा। उन्होंने काम छोड़कर आध्यात्म का रास्ता चुना था। हर्षा ने यह भी बताया कि पारिवारिक स्थिति के कारण उन्होंने 2015 में नौकरी शुरू की थी।
दो वर्ष पहले छोड़ दी मॉडलिंग
लोगों ने उन्हें मॉडलिंग में करियर बनाने का सुझाव दिया, जिसके बाद हर्षा एक एंकर बनीं। कई कार्यक्रमों को होस्ट किया। उन्हें भोपाल में मॉडलिंग के भी कई कॉन्ट्रैक्ट भी मिले। बीते दो वर्षों से उन्होंने मॉडलिंग और एंकरिंग का कार्य छोड़ दिया था। वह उत्तराखंड में ही रहने लगी हैं।
सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा वीडियो
हर्षा ने इंस्टाग्राम प्रोफाइल पर खुद को सोशल एक्टिविस्ट और इन्फ्लूएंसर बताया है। उनके एक्स पर बायो में लिखा है कि वह आचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी श्री कैलाशानंदगिरि जी महाराज, निरंजनी अखाड़ा की शिष्या हैं।
एक इंटरव्यू में हर्षा ने कहा कि जीवन में काफी कुछ मिलने के बाद एक खालीपन होता है। यह आपको बताता है कि यह सब सच नहीं है, जिसको पाने के लिए इतनी मेहनत की थी। तब आप शांति की तलाश में आध्यात्म की तरफ आते हैं।
हर्षा की मां चलाती हैं बुटीक
हर्षा रिछारिया की मां किरण रिछारिया परिवार के साथ भोपाल में रहती हैं। उन्होंने बताया कि हर्षा के पिता दिनेश रिछारिया प्राइवेट बस में कंडक्टर हैं। मेरा हर्षा से छोटा एक बेटा कपिल है, जो प्राइवेट कंपनी में काम करता है।
हर्षा नहीं बनेगी साध्वी- मां
मां किरण रिछारिया ने हर्षा के साध्वी बनने की बात पर कहा कि वह कभी साध्वी नहीं बनेगी। उसका सनातन की ओर रुझान है। वह उसके लिए काम करती रहेगी। वह अभी भोपाल से ज्यादा हरिद्वार में समय बिताती है। उसने कैलाश नंद गिरी महाराज से गुरुदीक्षा ली है। वह महादेव की कृपा से फेमस हुई है।
शादी का फैसला बेटी पर छोड़ा- पिता
हर्षा के पिता दिनेश रिछारिया ने कहा कि हमने बेटी का हमेशा साथ दिया है। उसके फैसलों ने हमें कभी परेशान नहीं किया है। हम उससे खुश हैं। शादी के सवाल पर कहा कि उसकी शादी की कोई प्लानिंग है। वह उसको ही तय करना है।