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होली के 5 दिन बाद ही क्यों मनाई जाती है रंग पंचमी, कैसे शुरू हुई परंपरा?

हिंदू धर्म में रंग पंचमी का त्योहार बहुत विशेष माना जाता है. चैत्र महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रंग पंचमी का त्योहार मनाया जाता है. दरअसल, होली का त्योहार पांच दिनों तक चलता है. रंग पंचमी इस पांच दिन के त्योहार का अंतिम दिन होता है. इसे देव पंचमी या श्री पंचमी के नाम से भी जाना जाता है. रंग पंचमी को देवी-देवताओं की होली कहा जाता है.

धार्मिक मान्यता है कि इस दिन देवी-देवता धरती पर होली खेलने आते हैं. इस दिन देवी-देवताओं की पूजा की जाती है. उनको अबीर- गुलाल उड़ाकर आमंत्रित किया जाता है. रंग पचंमी होली के पांच दिनों बाद मनाई जाती है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये त्योहार होली के पांच दिन बाद ही क्यों मनाया जाता है. इस त्योहार की पंरपरा कैसे शुरू हुई. आइए सबकुछ विस्तार से जानते हैं.

कल मनाई जाएगी रंग पंचमी

हिंदू वैदिक पंचांग के अनुसार, चैत्र महीने के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि की शुरुआत आज रात 10 बजकर 9 मिनट पर हो रही है. वहीं इस पंचमी तिथि का समापन 20 मार्च को रात को 12 बजकर 36 मिनट पर होगा. हिंदू धर्म में उदया तिथि मानी जाती है. ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, रंग पचमी का त्योहार इस कल यानी 19 मार्च मनाया जाएगा.

क्यों मनाई जाती है रंग पंचमी

होली या कहें कि होलिका दहन के पांच दिन बाद रंग पंचमी त्योहार मनाया जाता है, क्योंकि ऐसी मान्यता है कि इस दिन वायु रूप में देवी-देवता आकर भक्तों को आशीर्वाद प्रदान करते हैं. इस त्योहार को तामसिक और राजसिक गुण पर सत्वगुण की जीत का प्रतीक माना जाता है. रंग पंचमी का त्योहार मनाने से आत्मिक शुद्धि होती है. जीवन में सकारात्मकता बढ़ती है. नकारात्मक ऊर्जाओं का प्रभाव कम होता है. मान्यता है कि इस दिन देवी-देवताओं के साथ होली खेलने से सभी दुख और कष्ट दूर हो जाते हैं.

ऐसे शुरू हुई परंपरा

रंग पंचमी के त्योहार को मनाने की पंरपरा द्वापर यानी भगवान श्रीकृष्ण के युग से शुरू हुई और आज भी इस त्योहार बड़े उत्साह और उंमग के साथ मनाया जाता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, रंग पंचमी के दिन ही भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी ने रंगों के साथ होली खेली थी. तब से ही रंग पंचमी का त्योहार मनाया जाने लगा.

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