ब्रेकिंग
आदिवासी समुदाय के जीवनस्तर में आया बदलाव, मोदी सरकार ने 3 गुना बढ़ाया बजट; अब जल, बिजली और शिक्षा मे... ग्लोबल पीस इंडेक्स 2025ः बढ़ती जा रही अशांति, 2025 में दूसरे विश्व युद्ध से भी खराब हालात..रिपोर्ट म... मुंबई में संध्या पाठक की मौत घटना या साजिश? कॉलेज की तीसरी मंजिल से गिरी, हो गई मौत… परिवार बोला- हत... राजस्थान: एक्शन में मंत्री किरोड़ीलाल मीणा, नकली खाद बनाने वाली फैक्ट्री पर मारी रेड, मचा हड़कंप एक्स-हस्बैंड संजय कपूर के अंतिम संस्कार में शामिल हुईं करिश्मा कपूर न चीन, न रूस और न तुर्किए… ईरान को बचाने आगे आए ये 3 सुपरपावर देश नीली बत्ती वाली कार पर केक काटा DSP की पत्नी ने… और पुलिस ने नाप दिया बेचारा ड्राइवर मास्टर साहब की डिग्री फर्जी, 11 साल से स्कूल में पढ़ा रहे थे; जांच में खुल गई पोल ‘एयर इंडिया की फ्लाइट में रुपए चोरी’… यात्री का गंभीर आरोप, पटना से आ रहा था दिल्ली वैशाली: नशे में सीएचसी में मचाया उत्पात… डॉक्टरों और कर्मियों को पीटा
बिहार

मछली पालन में बिहार बना आत्मनिर्भर, 20 साल में कैसे बढ़ा 3 गुना उत्पादन?

बिहार सरकार के कृषि रोड मैप ने बिहार में मछली उत्पादन की सूरत बदल दी है. मछली का उत्पादन 2.68 लाख मीट्रिक टन (2005 से पहले) से बढ़कर 8.73 लाख मीट्रिक टन (2023-24) हो गया. इस तरह से करीब 20 वर्षों में मछली का उत्पादन बिहार में तीन गुना से अधिक बढ़ चुका है. मछली उत्पादन में बढ़ोतरी के लिए सरकार कृषि रोड मैप के तहत कई योजनाएं चला रही है.

इसमें मुख्यमंत्री समेकित चौर विकास योजना, जलाशय मात्स्यिकी विकास योजना, निजी तालाबों के जीर्णोद्धार की योजना, राज्य में बहने वाली गंगा नदी के पारिस्थितिकी तंत्र में नदी पुनर्स्थापन कार्यक्रम आदि एवं केन्द्र प्रायोजित योजनान्तर्गत प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना का कार्य मुख्य रुप से शामिल है. इन योजनाओं से मछली उत्पादन को बढ़ावा मिला है और रोजगार के अवसर बढ़े हैं.

प्रखंडों में बनेंगे मछली बाजार

सरकारी योजनाओं के जरिए जहां एक ओर राज्य में मछली उत्पादन को बढ़ावा दिया जा रहा है वहीं दूसरी ओर सरकार मछली पालकों द्वारा उत्पादित मछली को बाजार भी मुहैया करवाने की लगातार कोशिश कर रही है. इसी कड़ी में मुख्यमंत्री मत्स्य विपणन योजना के अंतर्गत चालू वित्तीय वर्ष में राज्य के चिन्हित प्रखण्डों में 30-30 मत्स्य बाजार का निर्माण किया जा रहा है.

मछली के उत्पादन में बढ़ोतरी के लिए नई तकनीक जैसे बायोफ्लॉक तकनीक एवं आरएएस तकनीक से मत्स्य पालन किया जा रहा है. अब तक राज्य में 439 बायोफ्लॉक इकाई एवं 15 आरएएस इकाई बनाए गए हैं. वहीं चालू वित्तीय वर्ष में गंगा, गंडक, बूढ़ी गंडक आदि नदियों में मछली उत्पादन बढ़ाने के लिए मछली का 61.81 लाख जीरा डाला जा चुका है.

बढ़े रोजगार कैसे आई खुशहाली?

केस-1

समस्तीपुर जिले के शिवाजीनगर प्रखंड के पुरा निवासी ज्योत्सना सिंह मछली बीज के उत्पादन कार्य से जुड़ी हैं. वे खुद आत्मनिर्भर बनने के साथ ही आज 20 लोगों को रोजगार मुहैया करा रही हैं. 2023 में मत्स्य विभाग से इन्होंने और 15.00 लाख रूपये का अनुदान लेकर कमल मत्स्य बीज हैचरी की स्थापना की जिसमें इन्हें अपार सफलता प्राप्त हुई है. आज इनकी सफलता से दूसरे लोग भी प्रभावित होकर मत्स्य पालन से जुड़ रहे हैं.

केस-2

समस्तीपुर जिले के ही शिवाजीनगर प्रखंड के कोची गांव में संजय सहनी मुख्यमंत्री समेकित चौर विकास योजना का लाभ उठाकर प्रति वर्ष 15 टन मछलियों का उत्पान कर रहे हैं. जिससे इन्हें 12 से 15 लाख रूपये की कमाई होती है. इस काम से उनकी आय बढ़ी और परिवार में खुशहाली आई है. इनके इस खुशहाल जीवन को देखकर दो अन्य किसान श्याम बाबु यादव एवं अशर्फी सहनी भी इस व्यवसाय से जुड़ गये है. जिससे इन्हें लगभग 15 से 20 लाख रुपये की आमदनी हो रही है.

केस- 3

सरायगंज प्रखंड के डुबैला चौर, ग्राम रायपुर के रहने वाले लक्ष्मी सहनी, शीला देवी, प्रमोद कुमार सहनी, रानी कुमारी, और सीती देवी द्वारा करीब आठ हेक्टेयर के रकबा में चौर विकास योजना का लाभ उठाकर मछली पालन किया जा रहा है. इन लोगों द्वारा सम्मिलित रूप से प्रतिवर्ष 10-15 टन मछली का उत्पादन किया जा रहा है. इससे इन्हें 13 से 18 लाख रुपए की कमाई हो रही है. यह प्रयास जारी है. मछली पालन से आज सैकड़ों लोगों की जिंदगी में आर्थिक प्रगति आई है.

Related Articles

Back to top button