तांत्रिकों की यूनिवर्सिटी! ऋषि ने भगवान शिव को कैसे धरती पर रोका? हजारों साल पुराने इस मंदिर की कहानी

सावन माह भगवान शिव शंकर को अति प्रिय है, जिसे हिंदू धर्म के लोग एक प्रमुख पर्व की तरह मनाते हैं. भक्त पूरे एक महीने तक भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा-अर्चना करते हैं और व्रत रखते हैं. मध्य प्रदेश की संस्कारधानी जबलपुर, जो ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टि से समृद्ध है, सावन माह की पूजन और आरती के लिए प्रसिद्ध है. जबलपुर का चौसठ योगिनी मंदिर इस पर्व के संदर्भ में विशेष महत्त्व रखता है, क्योंकि यहां भगवान शिव और माता पार्वती की विवाह प्रतिमा स्थापित है.
चौसठ योगिनी मंदिर जबलपुर के भेड़ाघाट क्षेत्र में स्थित है, जो नर्मदा नदी के किनारे संगमरमर की चट्टानों के लिए प्रसिद्ध है. यह मंदिर 9वीं शताब्दी का है और शक्ति उपासना का प्रतीक माना जाता है. इस मंदिर को तांत्रिकों की यूनिवर्सिटी भी कहा जाता है, क्योंकि प्राचीन काल में यहां तंत्र-मंत्र की शिक्षा दी जाती थी. कहा जाता है कि देश-विदेश से साधक इस स्थान पर आकर तंत्र साधना की विद्या अर्जित करते थे. इस मंदिर का निर्माण कलचुरी राजाओं ने करवाया था, जिनकी राजधानी तेवर नामक स्थान पर स्थित थी.