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महाराष्ट्र

… तो झेल नहीं पाओगे, राज ठाकरे को बृजभूषण शरण सिंह की सीधी चुनौती, इतिहास समझाया, पढ़ने-लिखने की भी दी सलाह

महाराष्ट्र में इस समय मराठी और हिंदी भाषा को लेकर विवाद चल रहा है. यह विवाद बढ़ता ही जा रहा है. इस बीच अब बीजेपी के नेता बृजभूषण शरण सिंह ने भाषा विवाद को लेकर राज ठाकरे को सीधी चुनौती दी है. बीजेपी नेता ने कहा,भाषा जोड़ने का काम करती है, तोड़ने का काम नहीं करती है.

बीजेपी नेता ने भाषा विवाद को लेकर छिड़ी बहस के बीच राज ठाकरे को सीधी चुनौती देते हुए कहा, राज ठाकरे को बताना चाहता हूं कि महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश का या उत्तर भारतीयों का जो संबंध है, वो आपकी इस हरकत से टूटने वाला नहीं है. आपको पढ़ना चाहिए , आप शायद पढ़ते-लिखते नहीं है. छत्रपति शिवाजी महाराज को जब औरंगजेब ने बंदी बनाया था. हमारे आगरा के व्यापारियों ने उन्हें कैद से मुक्त कराने का काम किया था.

बीजेपी नेता ने राज ठाकरे को दी चुनौती

बृजभूषण शरण सिंह ने कहा, मैं राज ठाकरे से यह ही कहना चाहता हूं कि थोड़ा पढ़ा करो. आज जिस बात को तुम गर्व करते हो, उस गर्व के इतिहास में उत्तर भारतीयों का पसीना लगा है. आज आप बहुत हल्की राजनीति कर रहे हो.

“राज ठाकरे साहब आप झेल नहीं पाओगे”

बीजेपी नेता ने राज ठाकरे पर निशाना साधते हुए कहा, जब इनका अयोध्या आने का प्रोग्राम बना था, तो मैंने कहा था कि मैं नहीं घुसने दूंगा , लेकिन आप नहीं आए, लेकिन फिर इन्होंने अपना रंग दिखाया. मैं इनको कहता हूं कि इनको सद्बुद्धि आ जाए, उत्तर भारतीयों में बड़ा रोष है.

उन्होंने आगे कहा, अगर कोई बड़ा आदमी आह्वान कर दे तो राज ठाकरे साहब आप झेल नहीं पाओगे. उत्तर भारत के नौजवान इतने आक्रोश में है कि अगर किसी ने आह्वान कर दिया कि चलो राज ठाकरे से भेंट करें, तो आप झेल नहीं पाओगे. इसीलिए मैं कहता हूं कि राजनीति करो लेकिन भाषा, संप्रदाय, जाति और धर्म को आधार बनाकर राजनीति मत करो.

महाराष्ट्र में छिड़ा भाषा विवाद

महाराष्ट्र में इस समय भाषा को लेकर विवाद छिड़ा हुआ है. दरअसल, फडणवीस सरकार ने तीन भाषा नीति को लेकर आदेश जारी किया था. लेकिन विपक्ष ने इसका जमकर विरोध किया. राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे की तरफ से इस नीति का विरोध किया गया. इसी के बाद सरकार ने इस नीति पर यू-टर्न ले लिया. इस नीति को वापस ले लिया गया. इसी को राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे ने अपनी जीत के रूप में पेश किया. साथ ही विक्ट्री रैली में भी शामिल हुए. शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे और मनसे प्रमुख राज ठाकरे इस भाषा विवाद के चलते पूरे 20 साल बाद एक मंच पर साथ आए.

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