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राहुल गांधी के खिलाफ कितने केस, कितनों में आया फैसला, कितनों में मिली है जमानत?

कांग्रेस नेता और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी कल मंगलवार को मानहानि से जुड़े एक मामले में लखनऊ कोर्ट में पेश हुए और एमपी-एमएलए कोर्ट ने उन्हें जमानत भी दे दी. उन पर यह मामला भारतीय सेना के जवानों के खिलाफ कथित अपमानजनक टिप्पणी को लेकर दर्ज कराया गया था. लेकिन एफआईआर के फेर में फंसे राहुल पर अब तक करीब 2 दर्जन मामले दर्ज कराए जा चुके हैं.

राहुल गांधी केंद्र और उसकी नीतियों के खिलाफ लगातार मुखर रहे हैं. उन पर ज्यादातर एफआईआर भी राजनीति से ही जुड़े हुए हैं. उनके समर्थक यह आरोप लगाते हैं कि राहुल के खिलाफ राजनीतिक मंशा से ही एफआईआर दर्ज कराए जाते हैं.

सेना के खिलाफ टिप्पणी, और जमानत

राहुल गांधी के खिलाफ यह शिकायत दर्ज कराई गई थी कि 16 दिसंबर, 2022 को उन्होंने भारत जोड़ो यात्रा के दौरान 9 दिसंबर को अरुणाचल प्रदेश की सीमा पर भारतीय सेना और चीनी सेना के बीच हुई झड़प का जिक्र किया. इस दौरान उन्होंने कहा था, लोग भारत जोड़ो यात्रा के बारे में तो पूछेंगे, लेकिन चीनी सैनिकों द्वारा हमारे सैनिकों की पिटाई के बारे में एक बार भी नहीं पूछेंगे.

यह मामला भारत जोड़ो यात्रा के दौरान जवानों के खिलाफ कथित अपमानजनक टिप्पणी से संबंधित है. स्पेशल कोर्ट ने सुनवाई के दौरान उन्हें हिरासत में लिया और फिर उनकी जमानत याचिका स्वीकार करने के बाद उन्हें रिहा कर दिया. अदालत के फैसले के बाद राहुल को जमानत बांड और जमानत राशि जमा करने के बाद जाने दिया गया.

नेशनल हेराल्ड मामला, अब तक क्या हुआ

लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस के नेता राहुल गांधी के खिलाफ सबसे अहम मामला नेशनल हेराल्ड से जुड़ा केस है. दिल्ली की एक अदालत ने इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ओर से दाखिल चार्जशीट पर संज्ञान लेने को लेकर 14 जुलाई को अपना आदेश सुरक्षित रख लिया. संज्ञान लेने को लेकर कोर्ट अब 29 जुलाई को अपना आदेश सुना सकता है. प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ओर से राहुल गांधी के साथ-साथ उनकी मां सोनिया गांधी और कई अन्य लोगों पर नेशनल हेराल्ड अखबार से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग करने का आरोप लगा है.

बीजेपी के पूर्व नेता सुब्रमण्यम स्वामी की शिकायत पर मामले की जांच शुरू की गई. नेशनल हेराल्ड अखबार प्रकाशित करने वाली कंपनी एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) से संबंधित 2,000 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति को अवैध रूप से हासिल करने के लिए यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड नामक एक फर्जी कंपनी बनाई गई. कांग्रेस इन आरोपों से इनकार करती है. हालांकि सुप्रीम कोर्ट की ओर से राहुल और सोनिया गांधी को दिसंबर 2015 में नियमित जमानत मिल चुकी है, और 2016 में, कोर्ट ने उन्हें व्यक्तिगत रूप से अदालत में पेश होने से भी छूट दे दी.

दोहरी नागरिकता का मामला

राहुल गांधी पर दोहरी नागरिकता (भारत और ब्रिटेन) रखने का आरोप है. बीजेपी कार्यकर्ता एस विग्नेश शिशिर की जनहित याचिका के अनुसार उनकी दोहरी नागरिकता भारतीय न्याय संहिता और पासपोर्ट एक्ट के तहत अपराध है. इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच में यह मामला चल रहा है. पिछले दिनों 12 जुलाई को लखनऊ बेंच विग्नेश की ओर से पुनर्विचार याचिका दाखिल की गई है. याचिका के जरिए लंदन, वियतनाम और उज्बेकिस्तान के वीडियो समेत कई अन्य सबूत भी दाखिल किए गए हैं.

इससे पहले इस साल 5 मई को मूल याचिका को निस्तारित करते हुए लखनऊ बेंच ने याचिकाकर्ता को यह छूट दी थी कि वह अन्य लीगल ऑप्शंस अपना सकता है. कोर्ट ने यह आदेश केंद्र सरकार के उस जवाब के बाद दिया था कि याचिकाकर्ता की शिकायत के निस्तारण के लिए कोई समयसीमा नहीं तय की जा सकती क्योंकि यूनाइटेड किंगडम से जो जानकारियां मांगी गई हैं उसके मिलने के बाद ही स्थिति (नागरिकता को लेकर) स्पष्ट हो पाएगी.

नागरिकता रद्द करने की मांग को लेकर पूर्व केंद्रीय मंत्री सुब्रमण्यम स्वामी ने भी इलाहाबाद हाईकोर्ट में केस कर रखा है. कोर्ट में दायर याचिका के जरिए गृह मंत्रालय से राहुल की नागरिकता रद्द करने का निर्देश देने की मांग की गई है. दिल्ली हाईकोर्ट में भी राहुल की नागरिकता को अवैध घोषित करने वाली याचिका लंबित है.

सावरकर पर टिप्पणी के खिलाफ मानहानि

कांग्रेस नेता पर मानहानि से भी जुड़े कई मामले चल रहे हैं. उनके खिलाफ पिछले एक दशक के अंदर देश के अलग-अलग हिस्सों में बीजेपी और आरएसएस के लोगों की ओर से ये केस दर्ज कराए गए हैं. स्वतंत्रता सेनानी वीडी सावरकर के पोते सत्यकी सावरकर ने 2 साल पहले 12 अप्रैल, 2023 को पुणे की एक मजिस्ट्रेट कोर्ट में आपराधिक मानहानि का मामला दाखिल किया था, जिसमें उन पर आरोप लगाया गया कि इस साल मार्च में अपनी ब्रिटेन यात्रा के दौरान कांग्रेस नेता ने सावरकर के खिलाफ झूठे और दुर्भावनापूर्ण बयान दिए.

सत्यकी का आरोप था कि लंदन के एक कार्यक्रम के दौरान राहुल गांधी ने कहा था कि सावरकर ने एक किताब लिखी है जिसमें उन्होंने बताया कि उन्होंने अपने दोस्तों के साथ मिलकर एक बार एक मुस्लिम व्यक्ति की पिटाई की थी और उस दिन उन्हें बहुत मजा आया था. सत्यकी ने तर्क दिया कि सावरकर ने ऐसी कोई किताब नहीं लिखी थी.

सावरकर को लेकर ठाणे में भी मानहानि का मामला

शिवसेना (एकनाथ शिंदे) की एक पदाधिकारी, वंदना डोंगरे ने नवंबर 2022 में ठाणे नगर पुलिस स्टेशन में कांग्रेस नेता के खिलाफ सावरकर के खिलाफ कथित अपमानजनक टिप्पणी को लेकर मानहानि का मामला दर्ज कराया. शिकायतकर्ता के अनुसार राहुल की उन बयानों का हवाला दिया कि सावरकर ने “डर की वजह से” अंग्रेजों को दया याचिकाएं लिखी थीं, जिससे महात्मा गांधी और सरदार पटेल जैसे भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के नेताओं के साथ “धोखा” हुआ था.

हरिद्वार में भी मानहानि का मामला

मार्च, 2023 को हरिद्वार की मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (CJM) की अदालत में राहुल के खिलाफ कुरुक्षेत्र में भारत जोड़ो यात्रा के दौरान की गई कथित टिप्पणी के लिए केस दर्ज कराया गया, जिसमें उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) को “21वीं सदी के कौरव” करार दिया था. यह शिकायत वकील कमल भदौरिया ने दर्ज कराई थी, जो खुद को आरएसएस का कार्यकर्ता बताते हैं. राहुल ने जनवरी 2023 में कुरुक्षेत्र में यह भाषण दिया था.

रांची में भी 20 करोड़ का मानहानि केस

साल 2019 में राहुल की ओर से मोदी सरनेम वाली टिप्पणी करने के तुरंत बाद, प्रदीप मोदी नाम के एक वकील ने झारखंड की राजधानी रांची की मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अदालत में उनके खिलाफ आपराधिक मानहानि का मुकदमा दायर किया. उन्होंने कांग्रेस नेता के खिलाफ 20 करोड़ रुपये का मानहानि ठोका है. मामला अभी चल रहा है. झारखंड हाईकोर्ट ने 4 जुलाई को राहुल को इस मामले में निचली अदालत में पेश होने से छूट दे दी थी.

सुशील मोदी ने पटना में लगाया मानहानि का केस

13 अप्रैल, 2019 को राहुल की ओर से कर्नाटक के कोलार में एक भाषण के दौरान मोदी सरनेम वाली टिप्पणी के कुछ दिन बाद, बिहार में भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने पटना सदर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अदालत में उनके खिलाफ आपराधिक मानहानि का मुकदमा दायर कर दिया. हालांकि सुशील मोदी की पिछले साल मई में निधन हो गया. उनके लीगल उत्तराधिकारी चाहें तो यह केस आगे बढ़ सकता है.

अहमदाबाद में आपराधिक मानहानि का मामला

मई 2019 में, बीजेपी कार्यकर्ता कृष्णवदन ब्रह्मभट्ट ने तत्कालीन पार्टी अध्यक्ष अमित शाह को कथित तौर पर “हत्या का आरोपी” कहे जाने को लेकर राहुल गांधी के खिलाफ अहमदाबाद की एक मजिस्ट्रेट अदालत में आपराधिक मानहानि का मुकदमा दायर किया था. ब्रह्मभट्ट की शिकायत के अनुसार, राहुल ने 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले 23 अप्रैल को जबलपुर में एक रैली में अमित शाह के खिलाफ “अपमानजनक टिप्पणी” की थी. हालांकि, इस मामले की सुनवाई हाई कोर्ट के आदेश से स्थगित कर दी गई है.

अहमदाबाद में ही मानहानि से जुड़ा एक और केस

अप्रैल 2019 में ही अहमदाबाद जिला सहकारी (एडीसी) बैंक और उसके अध्यक्ष अजय पटेल ने साल 2016 की नोटबंदी के दौरान मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप लगाकर अमित शाह की कथित रूप से मानहानि करने के लिए अहमदाबाद की एक कोर्ट में राहुल के खिलाफ आपराधिक मानहानि का केस दायर किया था. तब अमित शाह एडीसी बैंक में निदेशक हुआ करते थे.

राफेल को लेकर मुंबई में मानहानि केस

बीजेपी नेता महेश श्रीश्रीमल ने 2018 में मुंबई के गिरगांव मजिस्ट्रेट कोर्ट में राहुल के खिलाफ राफेल सौदे में कथित भ्रष्टाचार को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर आरोप लगाने के लिए मानहानि का केस दर्ज किया था.

भिवंडी में भी आपराधिक मानहानि से जुड़ा केस

राहुल गांधी के खिलाफ दर्ज यह पहला मामला है, जब आरएसएस कार्यकर्ता भिवंडी निवासी राजेश कुंटे ने 2014 में ठाणे के भिवंडी सिविल और आपराधिक कोर्ट में राहुल के खिलाफ मानहानि का केस दायर कर दिया था. उन्होंने 6 मार्च 2014 की एक चुनावी रैली में कांग्रेस नेता के उस भाषण पर आपत्ति जताई थी, जिसमें उन्होंने कथित तौर पर कहा था कि महात्मा गांधी की हत्या कथित तौर पर संघ के लोगों ने की थी. कुंटे का आरोप है कि उनके यह बयान आरएसएस की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाने के लिए दिया गया था.

राहुल ने इस शिकायत को रद्द करने के लिए बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका लगाई जहां उन्हें राहत नहीं मिली. इसके बाद वह आईपीसी की धारा 499 और 500 (आपराधिक मानहानि) की संवैधानिक वैधता को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट आ गए. लेकन सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप करने से मना कर दिया, जिसके बाद राहुल ने अपनी याचिका वापस ले ली. मामला अब भिवंडी अदालत में साक्ष्य दर्ज करने के चरण में है.

मुंबई में येचुरी के साथ मानहानि का केस

आरएसएस कार्यकर्ता ध्रुतिमान जोशी ने 2018 में मुंबई में शिवड़ी स्थित एक कोर्ट में राहुल और वामपंथी नेता सीताराम येचुरी के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मुकदमा दायर किया. पत्रकार गौरी लंकेश मर्डर केस को आरएसएस से जोड़ने की कथित कोशिश के लिए मुंबई की एक कोर्ट में उनके खिलाफ मुकदमा चलाया गया था. जोशी ने 5 सितंबर, 2017 को लंकेश की हत्या के तुरंत बाद दिए गए राहुल के कथित बयान का हवाला दिया कि “जो कोई भी बीजेपी और संघ की विचारधारा के खिलाफ बोलता है, उस पर दबाव डाला जाता है, उसे पीटा जाता है, हमला किया जाता है और यहां तक कि उसकी हत्या भी कर दी जाती है.”

रांची में मानहानि से जुड़ा एक और मामला, 6 को पेशी

बीजेपी कार्यकर्ता नवीन झा ने साल 2018 में रांची की मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में राहुल के खिलाफ अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) की एक आंतरिक बैठक में बीजेपी के खिलाफ कथित तौर पर अपमानजनक बयान देने के लिए आपराधिक मानहानि का मुकदमा दायर किया था. राहुल ने झारखंड हाईकोर्ट में याचिका दायर कर इस मामले में आपराधिक कार्यवाही रद्द करने की गुहार लगाई थी.

अब इस मामले में झारखंड हाई कोर्ट ने राहुल को चाइबासा एमपी-एमएलए कोर्ट में अगले महीने 6 अगस्त को पेश होने का निर्देश दिया है. झारखंड हाईकोर्ट के आदेश पर 20 फरवरी 2020 को मामले को रांची में एमपी-एमएलए की विशेष कोर्ट में भेज दिया गया. बाद में इस मामले को चाईबासा की स्पेशल कोर्ट में शिफ्ट कर दिया गया. कोर्ट से समन मिलने के बावजूद राहुल जब उपस्थित नहीं हुए, तो उन्हें फिर से कोर्ट के स्तर से जमानतीय वारंट भेजा गया. इस बार भी वह उपस्थित नहीं हुए. अब 6 अगस्त को पेश होने को कहा गया है.

गुवाहाटी में आपराधिक मानहानि का मामला

आरएसएस कार्यकर्ता अंजन कुमार बोरा ने साल 2016 में गुवाहाटी के कामरूप में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में राहुल के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मुकदमा दायर किया. 12 दिसंबर 2015 में उस इलाके के दौरे के दौरान, कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया था कि आरएसएस कार्यकर्ताओं ने उन्हें बारपेटा के एक मठ में प्रवेश नहीं करने दिया, जिसका मठ के अधिकारियों ने भी खंडन कर दिया था. अपनी शिकायत में, बोरा ने राहुल पर आरएसएस को बदनाम करने के लिए कथित तौर पर झूठा बयान देने का आरोप लगाया था.

29 सितंबर 2016 को सुनवाई के दौरान राहुल मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट कामरूप की अदालत में आरोपी के रूप में पेश हुए और उन्हें व्यक्तिगत पहचान पत्र (पीआर) बांड दिया गया, क्योंकि वह व्यक्तिगत रूप से उपस्थित हुए.

कॉपीराइट उल्लंघन से जुड़ा मामला

साल 2022 में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी पर बेंगलुरु में मामला दर्ज कराया गया. यह केस कॉपीराइट उल्लंघन से जुड़ा था. उन पर आरोप है कि उन्होंने बिना परमिशन भारत जोड़ो यात्रा का थीम सॉन्ग तैयार करने के लिए कॉपीराइट का उल्लंघन किया.

वीर सावरकर पर विवादित टिप्पणी को लेकर साल 2022 में ही राहुल के खिलाफ लखनऊ में एक और केस दर्ज कराया गया.

एक मामला उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर में चल रहा है. 2018 में दर्ज केस की सुल्तानपुर की एमपी-एमएलए कोर्ट में सुनवाई चल रही है. यह केस कोतवाली देहात के हनुमानगंज निवासी और बीजेपी नेता विजय मिश्रा ने कर्नाटक चुनाव के दौरान राहुल गांधी की ओर अभद्र टिप्पणी के खिलाफ की गई थी.

संसद परिसर में हंगामे पर केस

पिछले साल 2024 में भी संसद में कार्यवाही के दौरान बाबा साहेब आंबेडकर पर अमित शाह की टिप्पणी को लेकर संसद परिसर में हंगामे के खिलाफ राहुल गांधी पर केस दर्ज किया गया. राहुल पर यह आरोप है कि उन्होंने बीजेपी सांसद प्रताप सारंगी और मुकेश राजपूत के साथ धक्का-मुक्की की है.

मोदी सरनेम से जुड़ा केस, जिसमें मिली सजा

मोदी सरनेम से जुड़े मामले में ही राहुल गांधी को सजा हुई थी. 13 अप्रैल, 2019 को कर्नाटक के कोलार में अपने भाषण के दौरान राहुल गांधी मोदी सरनेम को लेकर टिप्पणी की थी, जिसके खिलाफ पूर्णेश मोदी ने 16 अप्रैल, 2019 को मानहानि का केस फाइल कर दिया. बाद में लंबी सुनवाई के बाद सूरत की एक अदालत ने 23 मार्च 2023 को अपने फैसले में राहुल गांधी को 2 साल की सजा सुना दी, जिसकी वजह से उनकी लोकसभा की सदस्यता रद्द कर दी गई. हाईकोर्ट से होते हुए मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा.

हाईकोर्ट ने 7 जुलाई 2023 को निचली अदालत के फैसले पर रोक लगाने से मना कर दिया. इसके बाद राहुल गांधी सुप्रीम कोर्ट आ गए और 16 जुलाई 2023 को केस दर्ज किया. अगस्त 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने सजा पर रोक लगा दी. राहुल को सांसद के रूप में बहाल कर दिया गया.

राहुल गांधी पर मानहानि से जुड़े एक दर्जन मामले चल रहे हैं और वह सभी में जमानत पर हैं. ये सभी मामले या तो लंबित हैं या किसी समाधान तक नहीं पहुंच पाए हैं. मानहानि से जुड़े एक मामले में उन्हें अगले महीने चाइबासा स्पेशल कोर्ट में पेश होना है.

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