कांवड़ यात्रा में कम क्यों आ रहे श्रद्धालु? पिछले साल के मुकाबले घट गई संख्या, ये है एक बड़ी वजह

सावन में कांवड़ यात्रा और शिव भक्ति का माहौल है, लेकिन सड़कों पर पहले जैसी भीड़ नहीं दिख रही. पैदल यात्रियों की संख्या में गिरावट है. इसके पीछे कारण क्या है? कोई प्रसाशन की सख्ती तो कोई इसे यात्रा का बदलता स्वरूप बता रहा है. हरिद्वार कांवड़ यात्रा की शुरुआत 11 जुलाई को हुई थी और 18 जुलाई तक एक करोड़ 56 लाख 90 हजार श्रद्धालुओं की प्रगतिशील संख्या प्रशासन के द्वारा जारी आंकड़ों में बताई जा रही है, लेकिन ये संख्या पिछले साल के मुकाबले 26 लाख 50 हजार कम है.
डॉ. राकेश जो कांवड़ियों के लिए शिविर चला रहे हैं, वह मानते हैं कि इस साल ट्रेंड में बदलाव दिख रहा है. बड़ी कांवड़ में लोग ज्यादा शामिल हो रहे हैं. डाक कांवड़ की संख्या बढ़ी है. पैदल में कमी दिख रही है. प्रशासन की बंदिशों पर उन्होंने कहा कि कांवड़ 10 फीट के नीचे और डीजे का साउंड भी कम कराया गया है. इन्हीं सबका असर देखने को मिल रहा है. वहीं हरियाणा के झज्जर से कांवड़ लेकर आए शशि कुमार ने कहा कि डीजे नहीं बज रहे और कांवड़ छोटे करवा दिए. डीजे से कांवड़ियों के पैर उठते हैं.
वहीं मेरठ-हरिद्वार हाईवे पर एक साइड कांवड़ियों के लिए रिजर्व कर दिया गया है, जिस पर आम वाहन नहीं जा सकते. ये एक सुविधा है. हालांकि कांवड़िये अपनी सुविधा के मुताबिक हाईवे के दोनों तरफ जाते दिखते हैं. आम वाहनों का परिचालन इस बार रोका नहीं गया है, क्योंकि भीड़ ज्यादा नहीं है. सत्यनारायण और धीरज युवा डाक कांवड़ में जाते हैं. उन्होंने कहा कि बुजुर्ग और 40-50 साल उम्र वर्ग की संख्या घटी है.
व्यवस्था को लेकर भी जताई नाराजगी
सत्यनारायण और धीरज संख्या में कमी तो नहीं है. उन्होंने कहा कि कांवड़ में पैदल यात्रा ही सर्वोत्तम है और डाक कांवड़ के हक में इनकी टीम ‘भारतीय सेवा संघ’ नहीं है. वहीं कांवड़िया इंतजामों में कमी का हवाला भी दे रहे हैं. जैसे कि पूरे यात्रा रूट में हाईवे पर मोबाइल चार्जिंग और टॉयलेट की कोई व्यवस्था नहीं है यूपी से उत्तराखंड तक. शिवराम मित्तल, भारतीय सेवा संघ इसे बड़ी समस्या मानते हैं. इनका कहना है कि कम से कम 10 किलोमीटर पर सरकार को टॉयलेट्स की व्यवस्था करनी चाहिए.
गंगा सभा के तीर्थ पुरोहित ने माना- संख्या में इस बार कमी
अमित झा, तीर्थ पुरोहित गंगा सभा हरिद्वार ने माना कि इस बार पैदल यात्रियों की संख्या में कमी आई है. अब कांवड़ यात्रा का स्वरूप बदल रहा है. अब डाक कांवड़ की संख्या बढ़ रही है. बता दें कि 23 जुलाई को जलाभिषेक के साथ कांवड़ यात्रा का समापन होना है. ऐसे में शिव भक्तों का मानना है कि डाक कांवड़ की संख्या अप्रत्याशित रूप से बढ़ेगी और संख्या पिछले साल के आंकड़े को पार कर जाएगी. वहीं व्यवस्था की बात करें तो शौचालय और पीने का पानी दो मूलभूत सुविधा के बारे में ज्यादातर शिव भक्त शिकायत करते देखे गए. प्रशासन की ओर से ट्रैफिक मैनेजमेंट, रूट आदि में बदलाव तो हुए, लेकिन इंतजाम में कमी रह गई.