खैर लकड़ी तस्करी का ‘टेरर कनेक्शन’! अवैध कमाई से देश विरोधी गतिविधियों की फंडिंग का शक, केंद्रीय एजेंसियां अलर्ट

आलीराजपुर। जिले में करोड़ों रुपये की खैर लकड़ी तस्करी का मामला लगातार गंभीर रूप लेता जा रहा है। केंद्रीय जांच एजेंसियों की पड़ताल के बाद स्थानीय वन विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो गए हैं। अब यह भी सामने आया है कि गुजरात वन विभाग द्वारा ग्राम मालवई से प्रतिदिन वाहनों में खैर की लकड़ी भरकर मांडवी भेजी जा रही है। इस गतिविधि ने पूरे मामले को और संवेदनशील बना दिया है।
सवाल उठ रहे
सूत्रों के अनुसार बुधवार को दोपहर करीब दो बजे तक ग्राम मालवई स्थित गोदाम से 10-10 टन क्षमता के 16 वाहन खैर की लकड़ी भरकर मांडवी के लिए रवाना किए गए। बताया जा रहा है कि यह परिवहन गुजरात वन विभाग की निगरानी में किया जा रहा है, लेकिन इतनी बड़ी मात्रा में लकड़ी के रोजाना परिवहन को लेकर स्थानीय स्तर पर कई सवाल उठ रहे हैं। लोग यह जानना चाहते हैं कि आखिर इतनी भारी मात्रा में लकड़ी के आवागमन की जानकारी स्थानीय वन विभाग और प्रशासन को पहले क्यों नहीं थी।
कड़ी तस्करी का आरोप
जैसा कि पहले ही सामने आ चुका है, यह मामला गोधरा निवासी मोहन ताहिर से जुड़ा हुआ है, जिस पर करीब 200 करोड़ रुपये की खैर लकड़ी तस्करी का आरोप है। इस संबंध में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा प्रकरण दर्ज कर बैंक खातों, डिजिटल लेन-देन और हवाला नेटवर्क की जांच की जा रही है। जांच एजेंसियों को संकेत मिले हैं कि इस अवैध तस्करी से जुटाई गई रकम का इस्तेमाल देशविरोधी गतिविधियों की फंडिंग में किया गया है, जिससे प्रशासन और सुरक्षा एजेंसियों की चिंता बढ़ गई है।
बताया गया है कि मोहन ताहिर द्वारा आलीराजपुर के ग्राम मालवई में निजी भूमि पर खैर लकड़ी का बड़ा गोदाम संचालित किया जा रहा था। गोदाम का प्रबंधन आलीराजपुर निवासी आरिफ मकरानी के जिम्मे था, जिससे गुजरात वन विभाग पहले ही पूछताछ कर चुका है। वर्ष 2024 में गुजरात वन विभाग ने उक्त गोदाम को सील कर वहां रखी खैर लकड़ी जब्त की थी।
न्यायलय के आदेश के बाद कार्रवाई
न्यायालय के आदेश के तहत जब लकड़ी ले जाने के लिए विभाग की टीम गोदाम पहुंची, तो सील तोड़कर लकड़ी उठाने की कार्रवाई की गई थी। मामले के उजागर होने के बाद अब खैर लकड़ी डिपो के किरायानामे और संबंधित दस्तावेजों की भी जांच की जाएगी। जांच एजेंसियां यह जानने में जुटी हैं कि गोदाम किस शर्तों पर किराए पर लिया गया था और इसमें किन-किन लोगों की भूमिका रही।
पुलिस का क्या कहना
इस संबंध में पुलिस अधीक्षक रघुवंश सिंह ने बताया कि यह पूरा मामला वन विभाग से जुड़ा है। मीडिया के माध्यम से यह जानकारी मिली है कि अवैध तस्करी से जुटाई गई रकम का इस्तेमाल देश विरोधी गतिविधियों की फंडिंग में किया गया है, लेकिन फिलहाल पुलिस के पास इस संबंध में कोई आधिकारिक सूचना नहीं है। पुलिस अधीक्षक ने कहा कि हमारे पास अभी तक इस मामले में कोई आधिकारिक जानकारी नहीं आई है। जैसे ही संबंधित एजेंसियों से निर्देश या सूचना प्राप्त होगी, उसी के अनुरूप स्थानीय स्तर पर जांच कर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।






