भोपाल । वन अधिकार पट्टे के लिए सैकड़ों लोगों ने वन भूमि पर कब्जा कर लिया है। भोपाल जिले में ऐसे लोगों की संख्या सैकड़ों में है, जबकि पूरे मध्यप्रदेश में हजारों लोग जंगल की जमीन पर कब्जा कर वन अधिकार पट्टा लेने के लिए प्रयास कर रहे हैं। शासन द्वारा वर्ष 2006 में वन संरक्षण अधिनियम बनाया गया था। नियम के अंतर्गत 2006 के 25 साल पहले से जिन लोगों का वन भूमि पर कब्जा है, उनको वन अधिकार पत्र, यानी पट्टा दिया जाना है। इसकी जानकारी मिलने के बाद बड़ी संख्या में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति और आदिवासी समुदाय के लोग जंगल की जमीन पर कब्जा कर टापरे डालकर आशियाना बनाकर रह रहे हैं।
वन विभाग के पास जो गूगल इमेज है, उसके जरिए पट्टा देने के लिए जांच-पड़ताल की जाती है। जांच के बाद अपात्र लोगों को वन भूमि से बेदखल भी किया गया है।
वर्षों पहले यही लोग होते थे वनों के हितैषी…पर अब बन गए हैं दुश्मन
वन विभाग के अफसरों के मुताबिक वर्षो पहले अनुसूचित जाति, जनजाति, आदिवासी और भील-भिलाला वर्ग के लोग जंगलों के हितैषी माने जाते थे और वे सुरक्षा भी करते थे, लेकिन जबसे वन अधिकार पत्र देने के लिए शासन द्वारा नियम लागू किया गया है, तब से ही ये लोग जंगल की जमीन के दुश्मन बन गए हैं।
आदिम जाति कल्याण विभाग भी वन विभाग को अंधेरे में रख जारी कर देता है पट्टे
वन विभाग के सूत्रों के अनुसार विभाग की जमीन पर अनुसूचित जाति और जनजाति को पट्टे देने के लिए आदिम जाति कल्याण विभाग नोडल एजेंसी है। कुछ मामले में वन विभाग को अंधेरे में रखते हुए आदिम जाति कल्याण विभाग ने पट्टा जारी कर दिया है, जिसके कारण चाहकर भी वन विभाग की टीम कुछ नहीं कर पाती है। मामला गरमाने के बाद जब बेदखली के लिए मौके पर पहुंचती है तो कब्जाधारी आदिम जाति कल्याण विभाग का पत्र दिखा देते हैं, जिसके कारण टीम वापस लौट आती है।
छुटभैये नेताओं का पर्दे के पीछे से संरक्षण
बताया जा रहा है कि वन भूमि पर कब्जा करने के लिए जंगल में रहने वाले लोग तो आगे आते हैं, लेकिन पर्दे के पीछे उन्हें छुटभैये नेता संरक्षण देते हैं। वन विभाग की टीम जब हटाने जाती है तो वे मौके पर पहुंचकर बचाव भी करने लगते हैं। अधिकारियों के सामने दुहाई देते हैं कि बेचारे गरीब लोग हैं। वन विभाग की जमीन पर सालों से रह रहे हैं, इसलिए इन्हें पट्टा दिया जाए।
पूरे प्रदेश के जंगलों की जमीन की जांच हो तो हजारों की संख्या में सामने आएंगे कब्जे
वन विभाग द्वारा अगर पूरे मध्यप्रदेश के जंगलों की निष्पक्षता से जांच की जाए तो उसकी जमीन पर हजारों की संख्या में लोग अवैध रूप से कब्जा कर आशियाना बनाकर रहते हुए सामने आएंगे। अगर इन्हें वाकई में हटाना है तो वन विभाग को जिला प्रशासन व पुलिस के साथ मिलकर संयुक्त रूप से कार्रवाई करना पड़ेगी, तभी जंगल की जमीन को बचाया जा सकता है।
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