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धार्मिक

फाल्गुन में भगवान कृष्ण के तीनों स्वरुपों की होती है पूजा  

हिन्दू पंचांग का अंतिम महीना फाल्गुन मास का होता है। इस महीने की पूर्णिमा को फाल्गुनी नक्षत्र के रूप में देखा जाता है। इसलिए इस महीने का नाम फाल्गुन मास रखा गया है।  फाल्गुन मास में भगवान कृष्ण की विशेष पूजा की जाती है। इस महीने उनकों पीले फूल अर्पण करने से निसंतानों को संतान की प्राप्ति होती है। आप इसी महीने में कृष्ण के तीनों स्वरूपों, ‘बाल कृष्ण, युवा कृष्ण और गुरु कृष्ण’ की पूजा की जा सकती है। ज्ञान और वैराग्य की प्राप्ति के लिए गुरु कृष्ण की पूजा अत्यंत लाभकारी है।
करे यें महाउपाय
फाल्गुन मास में सूर्य उदय होने से पहले उठे और अपने स्नान के जल में एक चम्मच गुलाबजल मिलाकर स्नान करें। आप भोजपत्र को अपने पूजन स्थल में रखकर एक दीया जलायें और गायत्री मंत्र का 3 माला जाप करें। ये महाउपाय आपके जीवन में सदैव खुशियां बरकरार रखेंगे।
अपने कुलगुरु देवी देवता की उपासना जरूर करें।
भगवान श्रीकृष्ण को पूरे महीने नियमित रूप से शुद्ध अबीर गुलाल के साथ साथ पीले फल अर्पण करें। इससे गुस्से या चिड़चिड़ाहट की समस्या से राहत मिलेगी।
अपने स्नान के जल में सुगन्धित केवड़ा मिलाकर  स्नान करें और चन्दन की सुगंध का प्रयोग करें। इससे मानसिक अवसाद की शिकायत दूर होगी।
भगवान शिव को पूरे महीने पंचामृत के साथ साथ सफ़ेद चंदन भी अर्पित करें और ॐ नमः शिवाय का मन ही मन जाप करें। ऐसा करने से आप स्वस्थ रहेंगे।
माँ लक्ष्मी को शुद्ध गुलाब का इत्र या लाल गुलाब के 5 या 11 फूल जरूर अर्पण करें। इससे घर में लक्ष्मी की कभी कमी नहीं होगी।
फाल्गुन महीने को आनंद और उल्लास का महीना भी माना जाता है। फाल्गुन मास के आगमन के साथ गर्मी की शुरुआत होती है और सर्दी कम होने लगती है। बसंत का प्रभाव होने के चलते, इस महीने में रिश्तों में मधुरता आती है और पूरा वातावरण मनमोहक रहता है। ऐसे में बदलती ऋतु के साथ अपना खानपान भी बदलना होगा । घी, खिचड़ी का सेवन कर सकते हैं। इस महीने में सुबह जल्दी स्नान करना भी शुभ माना गया है.
चंद्रमा को करें जल अर्पण
ऐसा कहा जाता है कि फाल्गुन महीने में चंद्रमा का जन्म हुआ था। इस समय चंद्रमा की जल अर्पण करके पूजा करने से विशेष कृपा बरसती है। चंद्र को जल अर्पण करने से आपका चंचल मन भी शांत हो जाता है।
ये सावधानी रखें
फाल्गुन महीने की शुरुआत से ही शीतल या सामान्य जल से स्नान करें। रात्रि के समय भोजन में अनाज का प्रयोग कम से कम करें। फल सब्बजियों का सेवन कर सकते हैं। कपडे ज्यादा रंगीन और सुन्दर धारण करें ,सुगंध का प्रयोग भी कर सकते हैं। नियमित रूप से भगवान कृष्ण की पीले फूलों से उपासना करें और शुद्ध घी का दीया जलांए।
अपने बड़ों का आर्शीवाद लेना ना भूलें। इससे रुके हुए कार्य पूरे होंगे और ज्यादा दुविधा का भी सामना नहीं करना पड़ेगा।

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