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नजदीकी स्थलों की अनदेखी खजुराहो के लिए पड़ी रही भारी, पर्याप्त सुविधाओं का अभाव

खजुराहो। अपने पाषाण शिल्पों के लिए प्रसिद्ध खजुराहो से पर्यटकों की बेरूखी धीरे-धीरे बढ़ी है। यहां के अद्भुत मंदिरों और पत्थरों की अनूठी नक्काशी को देखने आने वालों में सात समंदर पार से आने वालों की कमी नहीं रही। केवल एक पर्यटन स्थल के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर का एयरपोर्ट होना इस बात का सुबूत है, लेकिन समय के साथ प्रदेश और केंद्र की सरकारों की उपेक्षा और पर्यटकों को कुछ नया नहीं उपलब्ध करा पाने के कारण पर्यटकों की अरुचि बढ़ती गई।

जानकारों के मुताबिक, खजुराहो से 50 से 125 किमी दायरे में अजयगढ़, कालिंजर का किला, पन्ना हीरा खदान, टाइगर रिजर्व, जल प्रपात, जंगल, भीमकुंड सहित कई पर्यटन स्थल हैं। भीमकुंड के साथ तो महाभारत काल की कई पौराणिक कथाएं भी जुड़ी हुई हैं। यहां होने वाली भूगर्भीय हलचल के कारण यह भूगर्भ विज्ञानियों के लिए भी एक तरह का प्राकृतिक शोध केंद्र है। कला, प्रकृति और इतिहास के इस संगम स्थल को पर्यटन सर्किट के रूप में विकसित गया होता तो विदेशी पर्यटक यहां कई दिनों तक रूकने के लिए आकर्षित होते। खजुराहो से केवल 20-22 किमी की दूरी पर पन्ना है

फाइव स्टार होटल बंद, थ्री स्टार की हालत खराब
पर्यटन उद्योग को आर्थिक ताकत देने में विदेशी सैलानियों की भूमिका अहम होती है। इनकी घटती संख्या के कारण खजुराहो के होटल बुरे दौर से गुजर रहे हैं। यहां का पांच सितारा होटल जस ओबेराय अब दूसरे प्रबंधन के हाथ में है और इसकी सितारा सुविधाएं कम हो गई हैं। मप्र पर्यटन विकास निगम ने भी घाटे के चलते होटल राहिल और टूरिस्ट विलेज बंद कर दिए हैं। हालांकि, पायल और झंकार होटल चल रहे हैं। थ्री स्टार सुविधाएं देने वाले रेडिसन, रमाडा, ललित, क्लार्क, गोल्डन ट्यूलिप भी पर्यटकों की अच्छी आमद के इंतजार में रहते हैं। देशी सैलानियों की संख्या अच्छी होने के बावजूद यहां बजट होटलों में शुमार टेंपल व्यू, बुद्धा, हारमोनी, प्रिंसेस, ईजावैल सहित लगभग एक दर्जन होटल हैं, जहां पर्यटकों की संख्या संतोषजनक नहीं कही जा सकती।

लपके खूबसूरती में दाग
पर्यटन व्यवसाय की गिरती हालत के लिए जहां क्षेत्र में विकास की कमी और अन्य कई मुद्दों को दोषी ठहराया जा सकता है, तो वहीं स्थानीय मुद्दे भी कम नहीं है। यहां लपकों की संख्या 250 से अधिक है, जो हर गली-चौराहे पर विदेशी सैलानियों को अपने अपर्याप्त भाषायी ज्ञान से रिझाते नजर आते हैं। ये खासतौर पर विदेशी पर्यटकों को झांसे में लेते हैं और आर्थिक लाभ के लिए एक तरह से इस पर्यटक स्थल की छवि को खराब करते हैं। लगभग तीन दशक से खजुराहो क्षेत्र में हावी लपकों की वजह से मेहमानों के लिए न सिर्फ आतिथ्य बदनाम हुआ है, बल्कि यहां ठगी के भी कई मामले सामने आ चुके हैं। इतना ही नहीं कई युवक विदेशी युवतियों को मोहफांस में लेकर विदेशी दामाद भी बन चुके हैं।

सिर्फ पांच महीने गुलजार रहता है खजुराहो 
यहां पर्यटकों के हिसाब से पीक सीजन सिर्फ पांच महीने का रहता है। अक्टूबर से फरवरी तक खजुराहो का मौसम पर्यटकों के लिए बेहद सुकून भरा रहता है। दरअसल, यहां का तापमान अन्य शहरों की अपेक्षा ज्यादा रहने के कारण देसी और विदेशी सैलानी सात महीने यहां आना पसंद नहीं करते। बारिश के बाद अक्टूबर से पर्यटन नगरी सैलानियों से गुलजार रहती है। फरवरी तक यहां खासतौर से विदेशी सैलानी माकूल मौसम मानते हैं।

खजुराहो को देश के 12 शहरों के साथ आइकॉनिक सिटी में शुमार किया गया है। वर्तमान में विकास के कई काम चल रहे हैं। भविष्य में भी करोड़ों का बजट आएगा। हड़ताल से असर पड़ा है, जिसको लेकर पर्यटन विभाग खजुराहो के विकास के लिए प्रयासरत है। एयर कनेक्टिविटी के लिए रोजाना फ्लाइट जल्द चलने वाली है।
– एमके समाधिया, रीजनल मैनेजर, पर्यटन
विकास निगम खजुराहो

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