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बजट को संगठनों ने कर्मचारी विरोधी बताया

भोपाल । राजस्थान और छत्तीसगढ़ में पुरानी पेंशन लागू होने के बाद मप्र के कर्मचारियों में भारी निराशा है, क्योंकि बजट भाषण के बाद वित्तमंत्री जगदीश देवड़ा ने पुरानी पेंशन को बहाल करने के मामले को सिरे से खारिज कर दिया। इससे कर्मचारी संगठनों में निराशा है। संगठन अब उग्र आंदोलन की रणनीति बनाने लगे हैं। कर्मचारी संगठनों का कहना है कि राज्य सरकार ने 2022-23 का जो बजट पेश किया है वह कर्मचारी विरोधी है क्योंकि बजट में प्रदेश के 10,00000 कर्मचारियों के लिए कोई नया प्रावधान या राहत नहीं दी गई है। वृत्ति कर को समाप्त नहीं किया गया है किसी प्रकार की टैक्स में छूट नहीं दी गई है। कर्मचारियों को उम्मीद थी कि बजट में पुरानी पेंशन बहाल करने के लिए घोषणा की जाएगी। लेकिन पुरानी पेंशन बहाली को वित्तमंत्री जगदीश देवड़ा ने सिरे से खारिज कर दिया है। इससे कर्मचारियों में निराशा छा गई है। संयुक्त मोर्चा के संयोजक एसबी सिंह, जितेंद्र सिंह,  एमपी द्विवेदी, राज्य कर्मचारी संघ के विश्वजीत सिंह सिसौदिया, हेमंत श्रीवास्तव, कर्मचारी मंच के अशोक पांडेय समेत लगभग सभी कर्मचारी नेताओं का कहना है कि नई पेंशन स्कीम ठीक नहीं है। रिटायरमेंट के बाद कई कर्मचारियों को हर महीने 800 से डेढ़ हजार रुपए ही पेंशन के रूप में मिल रहे हैं। पुरानी पेंशन बहाली को लेकर सरकार से बजट में उम्मीद थी। सरकार के कदम से कर्मचारियों में निराशा छा गई है। पुरानी पेंशन बहाली समेत अन्य मांगों के लिए 13 मार्च को कलियासोत मैदान पर प्रदर्शन किया जाएगा। जब तक सरकार मांगों का निराकरण नहीं करती आंदोलन जारी रहेगा।

पेंशनर्स करेंगे 15 को आंदोलन
वहीं, पेंशनरों को मंहगाई भत्ता नहीं मिलने से पंद्रह मार्च से उग्र आंदोलन की चेतावनी दे दी है। प्रदेश के पेंशनर्स को बजट में मंहगाई भत्ता मिलने की उम्मीद थी। लेकिन उन्हें भी निराशा हाथ लगी है। प्रदेश के करीब पौने चार लाख  पेंशनरों का मंहगाई भत्ता अटका हुआ है। सरकार के शासकीय कर्मचारियों के लिए 11 फीसदी मंहगाई भत्ता बढ़ाने के बाद पेंशनर मंहगाई भत्ते से 14 फीसदी पीछे हो गए है। पेंशनरों के नेता एलएन कैलासिया, खुर्शीद सिद्दीकी, गणेशदत्त जोशी समेत सेवानिवृत्त कर्मचारियों का कहना है कि पेंशनरों के मंहगाई भत्ता बढ़ाने की फाईल छत्तीसगढ़ भेजी जाती है। जब छत्तीसगढ़ सरकार पेंशनरों के मंहगाई भत्ता बढ़ाने का फैसला लेगी, तब मप्र के पेंशनरों का मंहगाई भत्ता बढ़ेगा। पिछले बार तीन फीसदी मंहगाई भत्ते की फाइल छग में लंबित है। अब 11 फीसदी मंहगाई भत्ता बढ़ा दिया है। पेंशनरों का कहना है कि छत्तीसगढ़ फाइल भेजना बेतुका नियम है। इसमें बदलाव किया जाना चाहिए। जिससे प्रदेश के साढ़े चार लाख पेंशनरों को भी मंहगाई भत्ते का लाभ मिल सके। मप्र के पेंशनरों को वर्तमान में 17 फीसदी मंहगाई भत्ता मिल रहा है। कैलासिया का कहना है कि बजट में उम्मीद थी कि पेंशनरों को मंहगाई भत्ता मिल जाएगा, लेकिन सरकार ने इसका कोई प्रावधान नहीं किया। उनका कहना है कि आगामी पंद्रह मार्च को प्रदेश भर में पेंशनर्स जिला मुख्यालयों में कलेक्टर को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपेंगे। इसके बाद भी मांगों का निराकरण नहीं किया जाता, तो उग्र आंदोलन शुरू किया जाएगा।

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