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जब अपना ही वरदान भोलेनाथ पर पड़ा भारी, हिमाचल की इस पहाड़ी में ली थी पनाह…स्वर्ग से कम नहीं ये जगह

भारत का ताज हिमाचल प्रदेश. जिसे देवों भी भूमि कहा जाता है. यहां देवी देवताओं के इतने धार्मिक स्थल हैं कि दूर-दूर से पर्यटक मंदिरों के दर्शन के साथ-साथ खूबरसूरत वादियों का दीदार करने पहुंचते हैं. इन्ही में से एक धार्मिक और पर्यटन स्थल है कुल्लू के निरमंड में स्थित श्रीखंड महादेव. यह धार्मिक स्थिल 18,570 फीट की ऊंचाई पर स्थित है. जितनी सुंदर ये जगह है उतनी ही रोचक इसकी कहानी भी है. क्या है वो कहानी चलिए जानते हैं.

कहते हैं कि भस्मासुर राक्षस ने हिमाचल प्रदेश की इस खूबसूरत पहाड़ी पर कठोर तपस्या की और भगवान शिव से वरदान मांगा. वरदान यह था कि जिसके सिर पर भी वह अपना हाथ रखेगा वह भस्म हो जाएगा. मगर अहंकार में भस्मासुर भगवान शिव के ही पीछे पड़ गया. मजबूरन भोलेनाथ को इन पहाड़ की गुफाओं में छिपना पड़ा.

राक्षस के डर से माता पार्वती भी यहां रो पड़ीं. कहते हैं कि उनके आंसुओं से यहां नयनसरोवर का निर्माण हुआ. इसकी एक-एक धारा यहां से 25 किमी नीचे भगवान शिव की गुफा निरमंड के देव ढांक तक गिरती है.

हालांकि, बाद में भस्मासुर का वध कर दिया गया. लेकिन तभी से यह पहाड़ी श्रीखंड महादेव के नाम से जानी जाती है. यहां शिव की एक शिला भी है. जिसे देख लगता है कि हम जैसे आसमान में ही पहुंच गए हों. यहां से नजारा इतना सुंदर दिखता है मानो स्वर्ग हो.

एक कथा के अनुसार जब पांडवों को 13 साल का वनवास हुआ तो उन्होंने भी कुछ समय यहां बिताया. इसके साक्ष्य वहां भीम द्वारा बड़े-बड़े पत्थरों का काटकर रखना बताया जाता है. उन्होंने यहां एक राक्षस को मारा था, जो यहां आने वाले भक्तों को मार खाता था. यात्रा के दौरान पार्वती बाग भी रास्ते में पड़ता है. कहते हैं यह बाग मां पार्वती से जुड़ा हुआ है. यहां रंग बिरंगे फूल आज भी खिलते हैं. ये दुर्लभ फूल इस स्थान के अलावा और कहीं नहीं मिलते.

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