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‘यमराज से भी लड़ेंगे’, बीमार पत्नी ऑक्सीजन सपोर्ट पर, पति 4 साल से कंधों पर ढो रहा सिलेंडर… विजय की अनोखी प्रेमी कहानी

यमराज से भी लड़ जाएंगे, हमेशा साथ देने का वादा निभाएंगे, पति ने कहा- छोड़ेंगे न हम तेरा साथ ओ साथी मरते दम तक… इसी को पूरा कर रहे हैं. पति-पत्नी के सात जन्मों के रिश्ते और प्रेम की अनूठी बानगी भागलपुर में देखने को मिल रही है, जहां एक पति बुरे वक्त में हफ्ते के हर दिन, दिन के 24 घंटे केवल अपनी बीमार पत्नी की सेवा में लगा रहता है. दिन में तीन बार कंधे पर लादकर ऑक्सीजन सिलेंडर लाता है, ताकि उसकी पत्नी की सांसें चलती रहें. 21वीं सदी में प्रेम का यह उदाहरण मोती की तरह अनमोल हो गया है. वो कहते हैं- ऑक्सीजन वाला पूछता है इतना सिलेंडर का क्या करते हो, हम कहते हैं- एक पंछी मेरा प्यासा है. इसी पानी के लिए इसी हवा के लिए.

हाल में पति-पत्नी के टूटते रिश्ते और प्रताड़ना की वजह से अपनी ज़िंदगी को खत्म करने वाले अतुल सुभाष की खबर सुनने को मिली, जिससे पूरे देश में सनसनी फैल गई. इस बीच बुरे वक्त में बेझिझक एक-दूसरे का साथ निभाने वाले बहुत कम मिलते हैं, लेकिन भागलपुर के कहलगांव अनुमंडल एक छोटे से गांव रसलपुर के एक ऐसे शख्श से आपको मिलवाते हैं, जो पिछले चार सालों से हफ्ते के सातों दिन, दिन के 24 घंटे बीमार पत्नी की सेवा में लगा रहता है. पत्नी की सांसें निरंतर चलती रहें, इसलिए हर रोज तीन पहर अपने कंधे पर ऑक्सीजन सिलेंडर लेकर आता है. उसके पैर दबाता है. पत्नी को कोई दुख न हो इसका ख्याल रखता है. वह अपनी जिंदगी पत्नी की सेवा में समर्पित कर चुका है.

कोरोना काल के दौरान हुआ था पत्नी को इंफेक्शन

दरअसल, उस शख्स का नाम विजय मंडल है और उसकी पत्नी अनिता देवी है. अनिता देवी पिछले चार साल से बीमार हैं. कोरोना काल के दौरान ही उन्हें इंफेक्शन हुआ था. उसके बाद फेफड़े में प्रॉब्लम हुई और सांस लेने में तकलीफ होने लगी. विजय ने अपनी पत्नी को भागलपुर में एक से बढ़कर एक निजी डॉक्टर को दिखाया, जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल से लेकर दिल्ली एम्स तक इलाज करवाया, लेकिन वहां भी वह स्वास्थ्य में कोई सुधार नहीं हुआ. डॉक्टरों ने पत्नी को हमेशा ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखने की सलाह दी. बकायदा एम्स से ऑक्सीजन कंसंट्रेटर भी उपलब्ध कराया गया, लेकिन वह एक साल ही चला. उसके बाद विजय ने दो कंसंट्रेटर खुद के पैसे से खरीदा. वह भी कुछ ही महीने में खराब हो गया.

तीन किलोमीटर पैदल चलकर लाते हैं सिलेंडर

फिर विजय ने अपने घर को ही आईसीयू बनाने की ठान ली और पत्नी अनिता देवी को घर में ही 24 घंटे ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखना शुरू कर दिया. इसके लिए विजय मंडल ने तीन ऑक्सीजन सिलेंडर खरीदा है, जिसको रसलपुर से पैदल तीन किलोमीटर लेकर कहलगांव रेलवे स्टेशन जाते हैं. वहां से भागलपुर आते हैं, फिर रेलवे स्टेशन से बरारी ऑक्सीजन रिफलिंग प्लांट पहुंचते हैं या हुसैनाबाद स्थित प्लांट जाते हैं. वहां से सिलेंडर लेकर फिर उसी प्रक्रिया को पूरा करते घर पंहुचते हैं. 24 घंटे में तीन दफा ये प्रक्रिया वह पिछले तीन सालों से कर रहे हैं.

इसके अलावा भी वह पत्नी का ख्याल रखने में कोई कसर नहीं छोड़ते. कभी सिर को दबाते हैं तो कभी पैर दबाने लगते हैं. उनके बच्चे घर पर ही छोटा सी दुकान चलाकर रोजमर्रा का खर्च उपलब्ध कर पाते हैं. उसी पोसे से पढ़ाई भी करते हैं. विजय मंडल सरकार से भी पत्नी का इलाज करवाने की गुहार लगा रहे हैं.

डॉक्टर ने कहा- ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखना पड़ेगा

विजय मंडल ने कहा कि पहले पत्नी को लंग्स में प्रॉब्लम हुई थी, इंफेक्शन था. हर जगह उपचार के लिए गए, लेकिन इलाज नहीं हो सका. डॉक्टर ने कहा कि हमेशा ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखना पड़ेगा. इसके बाद से घर को ही आईसीयू बना दिया. एक मिनट भी ऑक्सीजन से हटने पर वह तड़पने लगती हैं. ऑक्सीजन सिलेंडर लाते-लाते कंधे पर गांठ पड़ गई है. हमने पत्नी से हमेशा साथ देने का वादा किया था. साथ दे रहे हैं. छोडेंगे न हम तेरा साथ ओ साथी मरते दम तक… इसको पूरा कर रहे हैं. जब सावित्री अपने पति को यमराज से छुड़ा लाई थीं तो हम मर्द होकर पत्नी की सेवा क्यों नहीं कर सकते हैं. यमराज से लड़ सकते हैं.

पत्नी की बीमारी में 10 लाख रुपए से ज्यादा खर्च

वहीं बीमार अनिता देवी ने कहा कि मेरे बच्चे और पति सेवा करते हैं. रात भर सभी जागते रहते हैं. भगवान ऐसा पति सबको दे. यह मेरे लिए भगवान ही हैं. बीमारी में 10 लाख से ज्यादा खर्च हुए. वह पैसे बेटी की शादी के लिए रखा था. कमरे में बेड पर रात-दिन परिवार के साथ गुजरता है. पति मेरे लिए सब कुछ कर रहे. कष्ट सह रहे हैं. उनके गांव, अनुमंडल के लोग, जिले वासी और जनप्रतिनिधि भी विजय मंडल की सराहना करते थक नहीं रहे.

गांव के मुखिया ने बनवाया आयुष्मान कार्ड

मुखिया प्रतिनिधि प्रमोद कुमार ने बताया कि अपनी पत्नी के लिए विजय सब कुछ करते हैं. हर तरह से सेवा करते हैं. हमें जब मालूम हुआ तो हमने इनका राशन कार्ड, उसके बाद आयुष्मान कार्ड बनवाया, लेकिन सरकार के तरफ से मदद जो मिलनी चाहिए थी, वह नहीं मिल सकी. वहीं TV9 की टीम भी तन-मन से पत्नी की सेवा में समर्पित विजय मंडल के सोच और प्रेम की सराहना करती है. इस खबर के जरिए सरकार की नजर को भी विजय मंडल के परिवार की ओर खींचने का प्रयास है, ताकि इलाज में उनकी कुछ मदद हो सके और परिवार में थोड़ी सी सुकून और खुशी वापस लौट सके.

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