उत्तर प्रदेश में कड़ाके की ठंड का प्रकोप चरम पर है. जैसे-जैसे पारा गिर रहा है, वैसे-वैसे लोगों की परेशानी बढ़ती जा रही है. इस सर्दी के मौसम में पहली बार ‘कोल्ड-डे’ का अलर्ट जारी किया गया है. कोल्ड-डे यानी वो दिन जब तापमान इतना कम हो जाए और धूप इतनी फीकी पड़ जाए कि ठंड की मार और ज्यादा महसूस होने लगे. बीते 24 घंटों में प्रदेश का औसत न्यूनतम तापमान 10 डिग्री से लुढ़क कर 5 डिग्री तक पहुंच गया है.
शुक्रवार सुबह से प्रदेश के करीब 30 शहर घने कोहरे की चादर में लिपटे हुए हैं, जिससे यातायात प्रभावित हुआ और जनजीवन ठहर सा गया. मौसम विभाग ने चेतावनी दी है कि आने वाले पांच दिनों तक ठंड अपने चरम पर रहेगी. आइए विस्तार में जानते हैं कि आखिर क्या होता है कोल्ड डे, ये कोल्ड वेव से कैसे अलग है?
कैसे तय होता है कोल्ड डे और सीवियर कोल्ड डे?
अधिक सर्दी वाली दिन को दो कैटेगरी में बांटा गया है, कोल्ड डे और सीवियर कोल्ड डे. कोई दिन कोल्ड डे है या सीवियर कोल्ड डे, ये उस दिन के तापमान और वहां की जियोग्राफी पर तय होता है. मौसम विभाग ने मैदानी इलाकों और पहाड़ी इलाकों के लिए अलग-अलग मानक बनाए हुए हैं. शीत लहर और गंभीर ठंडे दिन में तापमान इतना नीचे गिर जाता है जो मानव शरीर के लिए घातक साबित हो सकता है.
किसे कहते हैं कोल्ड डे?
मौसम विभाग के मुताबिक, ‘कोल्ड डे’ तब होता है जब न्यूनतम तापमान सामान्य से 10 डिग्री सेल्सियस से कम या उसके बराबर होता है और अधिकतम तापमान सामान्य से कम से कम 4.5 डिग्री सेल्सियस कम होता है. पहाड़ी इलाकों में उसे कोल्ड डे माना जाएगा जब न्यूनतम तापमान 0 डिग्री सेल्सियस से कम या उसके बराबर हो और अधिकतम तापमान सीजन के सामान्य तापमान से 4.5 डिग्री से लेकर 6.4 डिग्री सेल्सियस नीचे हो. सीवियर कोल्ड डे को घोषित करने के लिए उस दिन का अधिकतम तापमान सामान्य तापमान से 6.5 डिग्री सेल्सियस कम दर्ज होना जरूरी है.
कोल्ड वेव कैसे मापी जाती है?
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के मुताबिक, जब मैदानी इलाकों में न्यूनतम तापमान 4 डिग्री सेल्सियस या इससे कम होता है तो उसे कोल्ड वेव कहते हैं. इसके अलावा अगर तापमान 10 डिग्री सेल्सियस से कम हो और अचानक उसमें -4.5 से -6.4 डिग्री की गिरावट दर्ज की जाए तो इसे भी शीतलहर माना जाता है. आमतौर पर दिसंबर और जनवरी के महीने में शीतलहर का प्रकोप देखने को मिलता है. सीवियर कोल्ड वेव में तापमान सामान्य तापमान से 6.5 डिग्री सेल्सियस कम होता है.
किन राज्यों में शीतलहर का खतरा ज्यादा?
आमतौर पर दिल्ली NCR समेत पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार और झारखंड में शीतलहर का प्रकोप देखने को मिलता है. इसके अलावा जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्यों में भी शीतलहर का असर दिखाई देता है.
क्यों पड़ रही है इतनी ठंड?
ते कुछ दिनों से ठंडी और शुष्क उत्तर-पश्चिमी हवाएं पहाड़ों से होकर उत्तर भारत के मैदानी इलाकों में उतर आई हैं, जिससे हरियाणा, दिल्ली और एनसीआर प्रभावित हुआ है. वहीं, एक पश्चिमी विक्षोभ पहाड़ों पर पहुंच चुका है. इसके तुरंत बाद चार से छह जनवरी 2025 के बीच एक और पश्चिमी विक्षोभ आने की संभावना है. मौसम विभाग के मुताबिक पश्चिमी विक्षोभ के गुजरने के बाद अगले कुछ दिनों में न्यूनतम तापमान बढ़ने के आसार हैं. यहां तक कि दिन का तापमान भी बढ़ सकता है.