दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने सोमवार को विधानसभा सत्र में डीटीसी के कार्यों पर कैग की रिपोर्ट प्रस्तुत की. यह सदन में पेश की जाने वाली तीसरी कैग रिपोर्ट है. इस रिपोर्ट में दिल्ली परिवहन निगम के कामकाज की पूरा ब्योरा है. रिपोर्ट में दिल्ली परिवहन निगम (DTC) ऑडिट में कई गंभीर खामियां उजागर हुई हैं, जो इस निगम की बिगड़ती स्थिति को दर्शाती हैं. रिपोर्ट के मुताबिक DTC पिछले कई सालों से लगातार नुकसान झेल रहा है, बावजूद इसके कोई ठोस व्यापार योजना या दृष्टि दस्तावेज नहीं बनाया गया.
DTC पर सीएजी को लेकर करीब एक महीने पहले रिपोर्ट आई थी. रिपोर्ट में दिल्ली परिवहन निगम की वित्तीय समस्याओं के बढ़ने की बात कही गई थी. रिपोर्ट में बताया गया है कि सरकार के साथ कोई समझौता ज्ञापन (MoU) नहीं हुआ, जिससे वित्तीय और परिचालन लक्ष्यों को तय किया जा सके. वहीं अन्य राज्य परिवहन निगमों (STUs) के साथ प्रदर्शन की तुलना भी नहीं की गई. 2015-16 में निगम के पास 4,344 बसें थीं, जो 2022-23 तक घटकर 3,937 रह गईं. जबकि सरकार से आर्थिक सहायता उपलब्ध थी, फिर भी निगम केवल 300 इलेक्ट्रिक बसें ही खरीद सका.
29.86 करोड़ रुपये का जुर्माना नहीं वसूला गया
इसके साथ ही रिपोर्ट में बताया गया है कि बसों की आपूर्ति में देरी के लिए 29.86 करोड़ रुपये का जुर्माना भी वसूल नहीं किया गया. 2015-16 में डीटीसी का कुल घाटा 25,300 करोड़ रुपये से बढ़कर 2021-22 में 60,750 करोड़ रुपये हो गया है. नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) की एक रिपोर्ट के अनुसार मार्च 2022 तक निगम ने 3,937 बसें संचालित कीं, जो आवश्यक 5,500 से काफी कम थीं. वहीं DTC के बेड़े में पुरानी बसों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. 2015-16 में जहां केवल 0.13% बसें ओवरएज (अधिवर्षीय) थीं, वहीं यह आंकड़ा 2023 तक बढ़कर 44.96% हो गया.
668.60 करोड़ रुपये का संभावित राजस्व नुकसान
कैग की रिपोर्ट के मुताबिक नए बसों की खरीदारी नहीं होने से परिचालन क्षमता प्रभावित हो रही है. बसों की उपलब्धता और उनकी दैनिक उत्पादकता राष्ट्रीय औसत से कम रही. रिपोर्ट में बताया गया है कि निगम की बसें प्रतिदिन औसतन 180 से 201 किलोमीटर ही चल सकीं, जो निर्धारित लक्ष्य (189-200 किमी) से कम था. बसों के बार-बार खराब होने और रूट प्लानिंग में खामियों के कारण 2015-22 के बीच 668.60 करोड़ रुपये का संभावित राजस्व नुकसान हुआ.
2009 के बाद से बस किराये में कोई वृद्धि नहीं
ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार, DTC ने किराया निर्धारण की स्वतंत्रता नहीं होने के कारण अपना परिचालन खर्च भी नहीं निकाला. दिल्ली सरकार 2009 के बाद से बस किराये में कोई वृद्धि नहीं कर पाई, जिससे निगम की आय प्रभावित हुई. वहीं विज्ञापन अनुबंधों में देरी और डिपो की खाली जमीन का व्यावसायिक इस्तेमाल न करने से भी निगम को संभावित राजस्व का नुकसान हुआ. इसके अलावा, 225.31 करोड़ रुपये सरकार से विभिन्न मदों में वसूलने बाकी हैं.
रिपोर्ट में बताया गया है कि DTC की कई तकनीकी परियोजनाएं भी निष्प्रभावी साबित हुईं. स्वचालित किराया संग्रह प्रणाली (AFCS) 2017 में लागू की गई थी, लेकिन 2020 से यह निष्क्रिय पड़ी है. वहीं 2021 में 52.45 करोड़ रुपये खर्च कर बसों में लगाए गए CCTV कैमरे भी अब तक पूरी तरह से चालू नहीं हो सके. वहीं DTC में प्रबंधन और आंतरिक नियंत्रण की भी भारी कमी देखी गई है. रिपोर्ट के अनुसार स्टाफ की सही संख्या तय करने की कोई नीति नहीं बनाई गई, जिससे चालक, तकनीशियन और अन्य महत्वपूर्ण पदों पर भारी कमी रही, जबकि कंडक्टरों की संख्या आवश्यकता से अधिक पाई गई.
यहां देखें कैग रिपोर्ट के प्वाइंट
- वाहन उत्पादकता में कमी 2015-22 के दौरान प्रति बस प्रतिदिन औसतन 180-201 कि.मी. रही, जबकि लक्ष्य 189-200 कि.मी. था.
- पुरानी बसें 31 मार्च 2022 तक 656 ओवरएज बसें परिचालन में थीं, जिससे ब्रेकडाउन अधिक हुए.
- अप्रभावी रूट प्लानिंग कुल 814 रूटों में से केवल 468 (57%) रूटों पर ही बसें चलाई जा रही थीं.
- ऑपरेशनल घाटा 2015-22 के दौरान ₹14,198.86 करोड़ का घाटा हुआ क्योंकि कोई भी रूट परिचालन लागत नहीं निकाल पाया.
- राजस्व हानि 7.06% से 16.59% किलोमीटर बसों द्वारा नहीं चलाई जा सकीं, जिससे ₹668.60 करोड़ की संभावित राजस्व हानि हुई.
- ब्रेकडाउन दर अधिक प्रति 10,000 कि.मी. पर 2.90 से 4.57 बार बसों में खराबी आई.
- स्वचालित किराया संग्रहण प्रणाली (AFCS) विफल दिसंबर 2017 में लागू हुई लेकिन मई 2020 से कार्यरत नहीं.
- CCTV प्रणाली गैर-सक्रिय 3,697 बसों में मार्च 2021 में लगाई गई, ₹52.45 करोड़ का भुगतान हुआ लेकिन गो लाइव नहीं हो पाई.
- DIMTS की क्लस्टर बसें बेहतर प्रदर्शन कर रही हैं डीटीसी की तुलना में संचालन बेहतर रहा, हालांकि राजस्व प्रति कि.मी. कम रहा.
- किराया निर्धारण में स्वायत्तता नहीं आखिरी बार 3 नवंबर 2009 को किराया संशोधित हुआ, सरकार वित्तीय सहायता देती रही.
- बकाया वसूली में विफलता परिवहन विभाग से ₹225.31 करोड़ की वसूली बाकी, संपत्ति कर व ग्राउंड रेंट ₹6.26 करोड़ तथा अन्य देय राशि ₹4.62 करोड़ लंबित.
- विज्ञापन राजस्व का नुकसान विज्ञापन अनुबंधों में देरी के कारण संभावित आय से वंचित रहा.
- गलत टैक्स क्रेडिट के कारण हानि जीएसटी में गलत इनपुट टैक्स क्रेडिट लेने से ₹63.10 करोड़ का ब्याज व जुर्माना देना पड़ा.
- वित्तीय स्थिरता का कोई रोडमैप नहीं निगम के आर्थिक संकट को सुधारने के लिए कोई ठोस योजना नहीं बनाई गई.
- कर्मचारी प्रबंधन में कमी 2013 में स्वीकृत कार्मिक नीति के बाद कोई संशोधन नहीं, जिससे आवश्यक स्टाफ नियोजन प्रभावित हुआ.
आंतरिक नियंत्रण की कमी निर्णय लेने में देरी, संचालन में कमजोर प्रबंधन, विभागों के बीच समन्वय की कमी और लंबित देनदारियों की वसूली में लापरवाही.
इस रिपोर्ट से स्पष्ट है कि डीटीसी के संचालन में गंभीर वित्तीय और प्रबंधकीय चुनौतियां बनी हुई हैं. शराब घोटाले के साथ ही मोहल्ला क्लीनिक के बाद सीएजी की यह तीसरी रिपोर्ट है. रिपोर्ट पेश किए जाने के बाद अब सदन में हंगामा होना तय माना जा रहा है.
दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष ने क्या कहा
श्री विजेंद्र गुप्ता इस बीच दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने बताया ’21 मार्च 2025 को Accountant General, दिल्ली ने मेरे कार्यालय में मुझसे मुलाकात की और दिल्ली सरकार से संबंधित, CAG रिपोर्ट के विभिन्न pending paras के बारे में जानकारी दी. उन्होंने मेरा ध्यान इस गंभीरतथ्य की ओर दिलाया कि तत्कालीन विधानसभा की Public Accounts Committee या Committee on Govt Undertakings (COGU) ने पिछले दस वर्षों के दौरान कोई भी रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं की. इससे अधिक गंभीर बात यह है कि प्रशासनिक विभागों ने भी CAG रिपोर्ट के पैराज पर अपने Action Taken Note प्रस्तुत नहीं किए हैं, जिन्हें तीन महीने के भीतर विधानसभा में प्रस्तुत किया जाना होता है’.